15 जुलाई 2020. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि सचिन पायलट ने पर्दे के पीछे से भाजपा से हाथ मिलाकर राजस्थान कांग्रेस अशोक गहलोत सरकार को गिराने का षडयंत्र रचने के बाद कांग्रेस नेतृत्व के पास सचिन पायलट व उनके समर्थकों को मंत्रीमंडल व पार्टी पदों से बर्खास्त करने के अलावा कोई विकल्प नही था।

विद्रोही ने कहा कि राजनीति में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री व उच्च से उच्च पद पार्टी में पाने की महत्वकांक्षा रखना गलत नही है, पर अपनी निजी महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए पार्टी के खिलाफ षडयंत्र रचकर अपनी अपनी ही सरकार को गिराने वाले कांग्रेस के विरोधी संघीयो के साथ मिलकर चलना धोखाधड़ी व गद्दारी के अलावा कुछ नही है। सचिन पायलट व उनके समर्थक कुछ भी दावे करे, पर कोई अंधा भी देख सकता है कि सचिन का साथ दे रहे कांग्रेस के बागी विधायक गुरूग्राम से सटे हरियाणा के कोटासायरन-तावडू स्थित भाजपा संघ भक्त के आईटीसी ग्रेंडभारत रिसार्ट होटल में हरियाणा भाजपा सरकार व हरियाणा पुलिस के सरंक्षण में संघीयों की निगरानी में सरकारी मेहमान बनकर ठहरे हुए है।

विद्रोही ने कहा कि जब कंाग्रेस विधायकों को रहने, खाने का सारा खर्चा संघी उठा रहे है और हरियाणा भाजपा सरकार व हरियाणा पुलिस उन्हे सरंक्षण दे रही है तो तब भी क्या कोई शक की गुंजाईश है कि यह सारा खेल संघीयों के इशारे पर सचिन पायलट खेल रहे है। यदि सचिन पायलट को अशोक गहलोत से कोई शिकायत थी तो उसकी लडाई पार्टी फोरम पर लडते न कि संघीयों से मिलकर राजस्थान कांग्रेस सरकार को गिराने का षडयंत्र रचते।

विद्रोही ने कहा कि जिस तरह मोदी-शाह राजस्थान कांग्रेस पदाधिकारियों के यहां आईटी, ईडी की छापेमारी करवा रहे है, वह मुंह बालेता प्रमाण है कि कांग्रेस विधायकों को आतंकित करके सचिन पायलट के माध्यम से काले धन के पर खरीदने का खुला खेल खेला जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि निजी महत्वकांक्षा की खातिर अपनी ही पार्टी व जनादेश से गद्दारी करने वाले न तो जनता के और न ही प्रदेश के कभी हितैषी नही हो सकते है। उनका एकमात्र लक्ष्य कुर्सी हथिया कर अपना निजी हित साधना होता है।

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को सचिन पायलट की तरह संघीयों से पर्दे के पीछे हाथ मिलाकर कांग्रेस के खिलाफ षडयंत्र रचने वालीे गद्दारों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही तत्काल करनी चाहिए ताकि ऐसे गद्दारों को पार्टी, विधायक, नेताओं को कार्यकर्ताओं को बरगलाने का मौका ही न मिले। 

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