हांसी 14 जुलाई । मनमोहन शर्मा   

 गांव आर्य नगर में नई कुम्हार धर्मशाला में एक मीटिंग का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता प्रजापति हनुमान वर्मा ने की । मीटिंग का एजेन्डा था मृत्यु भोज बंद करना । आर्य नगर के सभी 36 बिरादरी के मोजिज व्यक्तियों ने इस मीटिंग में भाग लिया। सभी ने हाथ खड़े कर के सहमति दी कि हम आज के बाद हमारे परिवार में अगर किसी  सदस्य की मृत्यु होती है तो उसकी मृत्यु के बाद मृत्यु भोज नहीं करेंगे।

वर्मा ने कहा कि मृत्यु भोज एक सामाजिक कुरीति है । और हमें इसे छोड़ना चाहिए । मिठाई तो खुशी का प्रतीक है जब कोई व्यक्ति हमारे घर से चला जाए और उसकी मृत्यु पर मिठाई बनाना ग़लत परम्परा है ।  जिसके घर से इंसान चला जाता है उनके सदस्यों को बड़ा दुख होता है । पर बेचारे क्या करें उस समाज के दबाव में आकर उनको मृत्यु भोज करना पड़ता है । लेकिन अब समाज जाग चुका है सभी को ही पता लग चुका है कि यह एक बड़ी कुरीति है । इसलिए हम इस कुरीती को छोड़ देना चाहिए ।वर्मा ने कहा कि लोग तर्क देते हैं कि मरने वाले के पिछे मृत्यूभोज करने से उसे स्वर्ग मिलता है । ये सब ढकोसला है। जिंदा इंसान की सेवा करो । यही परम धर्म ना की मृत्यु भोज ।

 बजरंग इदंल ने अपने संबोधन में कहा कि अब समय आ गया है। सब को पता चल गया कि मृत्यु भोज एक सामाजिक कुरीती है । ये सब शिक्षा के कारण सम्भव हुआ है ।  आज समाज के 36 बिरादरी के लोगों ने जो सहमति जताई है कि आज के बाद आर्य नगर में मृत्यु भोज नहीं होगा । इसके लिए मैं सभी का आभार प्रकट करता हूं । और साथ ही साथ मैं प्रजापति हनुमान वर्मा का आभार  प्रकट करता हूं कि उन्होंने यह मीटिंग आयोजित की  कि मृत्यु भोज बंद होना चाहिए । इसके लिए वो धन्यवाद के पात्र हैं।

सभा में उपस्थित सभी लोगों ने अपने विचार रखे और सभी ने इस सामाजिक कुरीति को जड़ से खत्म करने की शपथ ली । वर्मा ने बताया जल्द ही गांव में 31 सदस्य कमेटी बना दी जाएगी । जिसमें 36 बिरादरी के लोगों को लिया जाएगा । और जब भी ऐसी कोई घटना होती हैं वह पूरी कमेटी उनके घर जाएगी और उन्हें मनाएगी कि वो मृत्यु भोज ना करें । उपस्थित लोगों ने शपथ ली की वो कहीं भी मृत्यु भोज में खाना नहीं खायेंगे । वर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार ने जिस तरह से मृत्यु भोज पर प्रतिबंध लगाया है । हम हरियाणा सरकार से अपील करते हैं उसी तर्ज पर हरियाणा में मृत्यु भोज पर प्रतिबंध लगाया जाए ।

 ताकि यह कुरीती हरियाणा प्रदेश से जड़ से ही मिट जाए। वहां मुख्य रूप से बजरंग इदंल , दल्लू राम ,धर्म घौंसला , राम सिंह धानक , महेंद्र डांगी ,ओम प्रकाश जांगड़ा ,लाधु राम जांगड़ा , रामकुमार जाखड़ ,जय सिंह टाक , रामकुमार फोरमैन , हरि सिंह उब्बा , धर्मपाल फौजी , भाग सिंह धानक , प्रोफेसर प्रेमसुख , हनुमान चमार ,भाल सिंह चमार , जयबीर शीला , इन्द्र बत्रा , बलवीर नायक पंच , कृष्ण आईतान , श्योचन्द आईतान , मोहर सिंह , रामकुमार खुडिया , श्रवण प्रधान , महेन्द्र जांगड़ा , महताब उब्बा , फुल सिंह जाखड़ ,रत्न टाक ,दलीप छिम्पी , अशोक डांगी , बलवन्त पंच , मेहरचन्द , सुरेन्द्र योगा ,रमेश जाखड़ ,कृष्ण जाखड़ , कृष्ण कालोड , राजु उब्बा , छबील दास हेड ड्राफ्ट्समैन आदि सैकड़ों लोगों मौजुद थे ।

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