भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

चंडीगढ़। शुक्रवार को राव इंद्रजीत की पुत्री और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य आरती राव का जन्मदिन था तथा सारे दक्षिणी हरियाणा में यह बड़े सेवाभाव से मनाया गया। लगभग दक्षिणी हरियाणा के हर क्षेत्र में इंद्रजीत समर्थकों ने कोरोना काल में राशन बांटकर, मास्क-सेनेटाइजर बांटकर व अन्य प्रकार से गरीब-मजलूम की सेवा कर इसे मनाया।

एक विशेष बात देखने में आई कि इस जन्मदिन को केवल इंद्रजीत समर्थक ही मना रहे थे, न कि भाजपाई। हमने भाजपाई विधायकों और पदाधिकारियों से इस बारे में पूछा भी तो उनका कहना था कि अरे भाई, इंद्रजीत वाले मनाएंगे हमारा इससे क्या वास्ता।

इस बात से ही इस बात का विश्वास हो गया कि आज जब लगभग सात वर्ष हो गए हैं राव इंद्रजीत को भाजपा में सम्मिलित हुए और वह भाजपा की नीतियों का अनुसरण करते हुए कार्य भी कर रहे हैं। फिर भी भाजपाइयों उन्हें अपना नहीं मान सके हैं।

इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो राव इंद्रजीत का कद, जिससे भाजपाई अपने आपको उनके कद के सामने बौना समझते हैं, दूसरा राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री के बीच सामंजस्य का न होना, तीसरा कि भाजपाई कांग्रेस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

इसी प्रकार की 19-21 स्थिति शायद भिवानी के सांसद चौ. धर्मबीर या फिर सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक और हिसार से चौ. वीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र बृजेंद्र सिंह के साथ भी होगी ही।
अब जब मोदी का जादू घट रहा है, क्षेत्रीय दिग्गजों का प्रभाव बढ़ रहा है, भाजपा का हरियाणा में ग्राफ गिर रहा है, मुख्यमंत्री अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं, बरौदा उपचुनाव, मंत्री मंडल का विस्तार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव आदि अनेक ऐसी बातें हैं, जो वर्तमान सरकार की कमजोरी की ओर इशारा करते हैं।

अब आने वाला समय यह तय करेगा कि इनका भाजपा में आत्मसात न होना कहीं भाजपा से दूर जाने का कारण तो नहीं बन जाएगा।

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