क्राइम रिफाॅर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पुष्पक टाईम्स के प्रधान संपादक डाॅ. संदीप कटारिया ने बताया कि देश के राजनेताओं ने किस हद तक देश को खोखला कर दिया है हमें लगता है आज उन पन्नों को पलटकर देखना ही होगा। आप उन पन्नों को देखना और महसूस करना तब आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ये देश आपके बच्चों के भविष्य तक बचेगा या नहीं। जो बच्चे हाई एजुकेशन कर रहे है। देश के अंदर या देश के बाहर उनके लिए ये देश है या नही है, या इस देश के राजनेता किसी भी प्रोफेशनलस को देश में रहने देना ही नही चाहते। जो भी पढ़ा लिखा है और जिसकी पहचान अंतरराष्ट्रीय तौर पर है उसके ही लिए अपने देश मे जगह नही है। एक ऐसी परिस्थ्तिि में देश आ गया जहां लगता है कि मनरेगा के तहत मिलने वाला रोजगार या वायरस के संकट से जूंझते हुए सेनिटाइजर इतनी बड़ी तादात में हम बना रहे है।

उस आंकडे को देखते हुए भारत की ताकत का पता चलता है। देश के भविष्य के पन्नों को खोलने से पहले आप जान ले तीन दशक पहले 1990 में भारत चीन से कई दृष्टि में आगे था। प्रकेपिटा इंकम में आगे था, एक्सर्पोट करने में आगे था, प्रोडक्शन में आगे था और सर्विस के क्षेत्र में आगे था लेकिन इन तीन दशकों के भीतर भारत की स्थिति देश के राजनेताओं ने कुछ इस तरह से बना दी है चाहे वह हिन्दु-मुस्लिम का मामला हो या चाहे वह आपस में बाटतें हुए सियासत सादते हो, रहीशी में रहने की सोच रखने वाले राजनेताओं में हो उनके बैंक खाते में पूंजी लगातार बढ़ती जा रही है और देश की गरीबी व इस देश के संसाधनों और राजनीति में आता पैसा ये सारी चीजें मिला कर देखोगे तो शायद आपको देश के नेताओं से घृणा हो जाएगी। हमें लगता है आज इस पन्ने को हमें जानबूझ कर खोलना चाहिए

डाॅ. कटारिया ने बताया कि अमेरिका ने जब कहा कि भ्1.ट वीजा हम नही देंगे एक साल के लिए इसको ससपेंड किया जा रहा है इसका मतलब बहुत साफ था जो 85 हजार वीजा अमेेरिका जारी करती है। जिसमें वीजा पाने की तादात व अप्लाई करने की संख्या सबसे ज्यादा इंडियन की होती है उन इंडियन के लिए क्या कोई जगह नही हैं। हमारा प्रवासी मजदूर गांव लौट रहा है उनको इंरोल किया जा रहा है मनरेगा में।

हम दुनिया में उन देशों में बेशुमार है जहां पर अनपढ़ लेबर की संख्या सबसे ज्यादा है। पढ़े-लिखे लेबर की तैयारी हमने की ही नही। प्रकैपिटा इंकम में हम नीचे चलते चले जा रहे है। हम इस पन्ने की शुरूवात भ्1.ट वीजा से ही करते है। यह वीजा 85 हजार में से 20 हजार वीजा मास्टर कोटा के तहत आते है जोकि मास्टरस की पढ़ाई के लिए होता है पिछले साल 85 हजार वीजा और जो रिनेवल हुआ 1 लाख 88 हजार 123 वीजा जारी हुए थे उसमें इंडियनस की तादात जो थी वह 1 लाख 31 हजार 549 थी भारत के बाद चीन का नंबर था। संख्या 28 हजार 483 थी पिछले महीने जो सस्पेंड होने से पहले जारी हुए उनकी संख्या 143 थी उनमें से 47 वीजा इंडियन को मिले है यहां जिक्र इस बात का नही है इसको समझना है कि अब आने वाले वक्त में 2021 में एचवनवी वीजा की मोहर अक्टूबर में लगनी शुरू हो जाती और उसके लिए जो एप्लिकेशन अमेरिका के पास है वह 2 लाख 75 हजार है और उन में से जो भारतीय है वो 1 लाख 87 हजार है इसका मतलब है ये सब पढ़े-लिखे भारतीय है और रोजगार के लिए वहां जाना चाहते हैै अब जब अमेरिका ने वीजा को सस्पेंड कर दिया है तब भारतीयों के लिए रोजगार का क्या स्कोप है दुनिया में भारत के लोग अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे है हमने यह जानने की कभी कोशिश ही नही की कि वे सभी विदेशों में जाकर काम करने की बजाय भारत में काम क्यों नहीं करते।

असल बात तो यह है कि जो भारतीय पढ़ा लिखा है उसको जल्दी ही भारत से बाहर कर दिया जाए देश के नेताओं का पूरा जोर इसी पर होता है। भारत के बहुत से लोग विदेशों में है लेकिन वे भारत में बिजनेस के लिए आना नही चाहते क्योंकि अगर वे भारत में बिजनेस शुरू करने के लिए जमीन के मालिक से लेकर उपर बैठे अधिकारियों को रिश्वत देनी पडती है। डाॅ. साहब ने बताया कि देश की पढ़ी लिखी पीढ़ी को ही जब रोजगार नही मिल रहा तो देश के अनपढ़ लोग सरकार से रोजगार की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। जिन भारतीयों का वीजा रद्द किया गया है उन्हें हमारी सरकार को नौकरी देनी चाहिए ताकि हमारे युवा हमारे देश में रहकर ही देश का विकास कर सकें। ताकि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया जा सकें।