महामंडलेश्वर धर्मदेव का संकल्प 101 पुत्रियों का विवाह. बेटी कभी बोझ नहीं हो सकती बेटी दो परिवारों का गौरव फतह सिंह उजाला पटौदी । अपने पूर्व में लिए गए संकल्प के मुताबिक महामंडलेश्वर धर्मदेव जी के द्वारा आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में देश के विभिन्न राज्यों के गरीब परिवारों की अपनी दत्तक पुत्रियों के विवाह के तीसरे दिन उन्होंने आह्वान किया कि बेटी कभी बोझ नहीं होती, यह परमात्मा का किसी भी परिवार में दिया गया अनमोल तोहफा है । कोरोना कोविड-19 की महामारी को देखते हुए मेजबान संस्था में संपन्न 11 विवाह की रस्म पूरी किए जाने के बाद अपने संबोधन के दौरान धर्मदेव बेहद भावुक हो गए । यहां तक की संबोधित करते करते उनके नेत्रों से गंगा जमुना रूपी अश्रु धारा भी बह चली। उन्होंने दो टूक और साफ शब्दों में कहा बेटी कभी भी बोझ नहीं है , जो लोग बेटी को बहुत समझते हैं वास्तव में वही पृथ्वी पर बोझ हैं । प्रत्येक बेटी अपना भाग्य साथ लेकर जन्म लेती है । उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा की दत्तक पुत्रियों को दिया गया गृहस्ती का सामान दहेज नहीं है , यह एक पिता के मन का संकल्प और भावना है । धर्मदेव बोले मैं दहेज का कट्टर विरोधी हूं , रहूंगा और पहले भी विरोध करता रहा हूं । समाज के जो भी साधन संपन्न किसी भी वर्ग संप्रदाय के लोग हैं उन्हें यह संकल्प लेना चाहिए कि जीवन में जब भी अपने बेटे की शादी करें तो वधू पक्ष से किसी भी प्रकार के सामान रूपी दहेज की मांग नहीं करनी चाहिए । वास्तव में बेटी ही संपूर्ण दहेज है । इस बात को समझना चाहिए बेटी से प्यारा अनमोल धन इस ब्रह्मांड में और कोई भी नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा विवाह के समय लक्ष्मी रूपी बेटी को केवल नारियल और एक रुपए के साथ में अपने घर आंगन में लेकर के आए, निश्चित रूप से ही ऐसा करने पर आजीवन कभी भी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी । महामंडलेश्वर धर्मदेव ने कहा यह बात उस अभिभावक से पूछिए जो अपनी बेटी को जन्म के बाद विवाह के समय तक उसका पालन पोषण करता है , अच्छे संस्कार देता है और ऊंची से ऊंची शिक्षा प्रदान करता है । इस सब कार्य में क्या अभिभावकों का धन खर्च नहीं होता है ? वास्तव में दहेज प्रथा आज के समय में एक बहुत बड़ा कलंक बन चुकी है और इसके कारण अनेकानेक होनहार बेटियां अपनी जान गवाने के लिए मजबूर भी हो चुकी हैं । हमें संकल्प लेना चाहिए कि जिस प्रकार पर्यावरण की शुद्धि के लिए पौधे लगाते हैं , ठीक उसी प्रकार से घर परिवार समाज और राष्ट्र को संस्कारवान बनाने के लिए बेटियों का भी संरक्षण विवाह से पहले और विवाह के बाद करते रहेंगे । बेटी वास्तव में दो परिवारों के संस्कार कि वह बेल है , जो उन संस्कारों को आने वाली पीढ़ी को सौंपी है। उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा कि जब संकल्प लिया था की 101 दत्तक पुत्री ओं का विवाह किया जाएगा तो किस प्रकार से इनको गृहस्ती का दिया जाने वाला सामान की पूर्ति हो सकेगी । लेकिन जब संकल्प पवित्र और निस्वार्थ हो तो भक्त ही भगवान का रूप धारण करके सामने आते हैं और मेरे गुरुजनों के आशीर्वाद की बदौलत यह काम बिना किसी परेशानी के संपूर्ण भी हो गया है । वास्तव में भक्त और भगवान हर समस्या का समाधान करने के लिए पवित्र संकल्प लेने वालों की मदद को किसी न किसी रूप में तैयार मिलते हैं । उन्होंने सभी नव दंपतियों को अपना शुभाशीष देते हुए उनके मंगलकारी जीवन की कामना की। इस मौके पर यह गणमान्य लोग मौजूद रहे मेजबान संस्था में संपन्न 11 दत्तक पुत्रियों के विवाह संस्कार और इनकी विदाई के समय पर मुख्य रूप से पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता , पटौदी पालिका चेयरमैन चंद्रभान सहगल , पूर्व चेयरमैन प्रेम सचदेवा , राधेश्याम मक्कड़, पीएन मोंगिया , समाजसेवी सतीश ग्रोवर, रमेश मेंदीरत्ता , अशोक शर्मा, अभिषेक बंगा, तिलक राज, सुरेंद्र धवन , गगन , रविंद्र ग्रोवर, नरेश चावला , हरीश नंदा , राजू पेंटर, लोकेश , सतीश बत्रा, राहुल , भूषण , रोहित यादव, सुरेंद्र धवन , तेजभान तलहटी, तिलकराज, समाजसेवी प्रेम नाथ गेरा, सहित दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड से भी अनेक ऐसे प्रबुद्ध नागरिक मौजूद थे । जिन्होंने की दत्तक पुत्रियों के विवाह का संकल्प लेकर, महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा लिए गए इस पवित्र संकल्प में अपनी भी आहुति अर्पित की है । Post navigation राजनेताओं ने किया देश को खोखला- डाॅ. संदीप कटारिया गुरुग्राम में कोरोना के प्रसार को बढ़ने से रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बड़े प्रकोप वाले क्षेत्रों के प्रबंधन के आदेश जारी किए गए हैं।