शुक्रवार को दिन में और दो दत्तक पुत्रियों का विवाह संपन्न.
महामंडलेश्वर ब्रह्मदेव का 30 जून को पूरा होगा संकल्प.
आश्रम हरी मंदिर का शताबदी वर्ष कन्याओं को समर्पित

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी के बावजूद धैर्य और संयम कोविड-19 को पराजित करने में अचूक हथियार साबित हुआ है । आश्रम हरी मंदिर शिक्षण संस्थान के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी के द्वारा 101 दत्तक पुत्रियों के विवाह का संकल्प 24 जून को आरंभ होने के साथ ही 30 जून को इसका समापन होगा । शुक्रवार को आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक दिन में दो दत्तक पुत्रियों का विवाह कर नव दंपति को उनके गृहस्त का सभी साजो सामान स्वामी धर्मदेव ने संस्था से जुड़े और समर्पित श्रद्धालुओं के हाथों भेंट करवा कर उन्हें भी पुण्य का भागीदार बनने का मौका दिया ।

गुरुवार और शुक्रवार यह 2 दिन ऐसे रहे , जब आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के परिसर में महामंडलेश्वर धर्मदेव जी के संकल्प के मुताबिक दत्तक पुत्रयो का विवाह और निकाह का आयोजन हो रहा था , तो देव लोक के देवता भी प्रसन्न दिखाई दिए । क्योंकि किसी भी पुण्य कार्य के मौके पर बरसात होना भारतीय सनातन संस्कृति में बेहद शुभ माना गया है । दूसरे शब्दों में देसी कहावत भी है की बरसात हो गई तो राम जी राजी हो गया । शुक्रवार को भी मेजबान संस्था पटौदी आश्रम हरी मंदिर में दो दत्तक पुत्रीयों का विवाह संपन्न हुआ । इससे पहले बरसात भी हुई, किसी भी पुण्य कार्य या शुभ कार्य के मौके पर बरसात का होना भी बेहद शुभ माना गया है । गुरुवार और शुक्रवार को बरसात होती देख कर श्रद्धालुओं के मुंह से यही सुना गया कि देवलोक में बैठे सभी देवता आश्रम हरी मंदिर संस्थान में किए जा रहे पुण्य कार्य को देखकर प्रसन्न हो रहे है । ंमहामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा 101 दत्तक पुत्रियो के विवाह का संकल्प लिया जाने के बाद यह कार्य 24 जून को मेजबान पटौदी आश्रम हरि मंदिर संस्था में आरंभ हुआ और इसका समापन 30 जून को होगा ।

दूसरे शब्दों में भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ही सभी पुण्य कार्य देवताओं को साक्षी मानकर ही किए जाते हैं और 1 जुलाई से देव सो जाएंगे और किसी भी पुण्य कार्य को देवताओं को साक्षी मानकर ही किया जाता आ रहा है । यही भारतीय सनातन संस्कृति की खूबसूरती और देवताओं का शुभाशीष भी माना गया है, जो 101 दत्तक पुत्रियां महामंडलेश्वर रामदेव जी के द्वारा उनके परिवारों की परिस्थितियों को देखकर विवाह और निकाह के लिए चुनी गई , उनमें 12 मुस्लिम दत्तक पुत्रीयां, 12 ईसाई दत्तक पुत्रियां, 3 सिख दत्तक पुत्रियां और 74 हिंदू दत्तक पुत्रियां शामिल है ै। इन सभी की शादी और विवाह अथवा वैवाहिक जीवन के लिए इनका पाण्ीी ग्रहण संस्कार संबंधित परिवारों के माने जाने वाले धर्म संस्कृति के मुताबिक ही पूरा किया जाएगा। पटौदी आश्रम में शगुन के तौर पर 11 दत्तक पुत्रियों का विवाह और निकाह कराया जा रहा है । 12 दत्तक पुत्रीयों की शादी भूरारानी उत्तराखंड, 12 दत्तक पुित्रयो की शादी बिलासपुर उत्तर प्रदेश, 3 दत्तक पुत्रियों की शादी परमहंस आश्रम वृंदावन, एक दत्तक पुत्री की शादी गोंडा जिला करनाल और दो दत्तक पुत्रियों की शादी ब्रह्मलीन स्वामी अमर देव महाराज जोकि महामंडलेश्वर धर्मदेव जी के दादा गुरु है उनके गांव कनसुहा कला पटियाला गुरुद्वारे में संपन्न की जाएंगी । आठ दत्तक पुत्रियों की शादी स्वामी रामानंद महाराज गांव अर्चना में होशंगाबाद मध्य प्रदेश में की जाएगी । इनके अलावा जो भी दत्तक पुत्रियां है , उनके परिजनों से आग्रह किया गया है कोरोना कॉविड नहीं जैसी महामारी को ध्यान में रखते हुए बहुत ही सीमित अतिथियों को आमंत्रित कर पूरे विधि विधान के साथ में विवाह करके इनकी विदाई की जाए।

सभी 101 दत्तक पुत्रियों को उनके घर गृहस्ती का संपूर्ण साजो सामान औसतन 3 तीन लाख का सामान प्रति नव दंपति को स्वामी धर्मदेव जी और संस्था को समर्पित श्रद्धालुओं के हाथों के द्वारा भी करवाया जा रहा है । महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज के शब्दों में कन्यादान से बड़ा दान अन्य कोई भी दान नहीं हो सकता है । कन्यादान को श्रेष्ठ दान कहा गया है । स्वामी धर्मदेव के मुताबिक जैसे भी हालात कैसी भी परिस्थिति हो, जब किसी भी पवित्र संकल्प को किया जाए तो उसको पूरा करने में आने वाली तमाम बाधाएं गुरुजनों , देवताओं के आशीर्वाद से पीछे हटती चली जाती है और परमपिता परमेश्वर कोई ना कोई ऐसा रास्ता बनाकर उपलब्ध कराता है कि उस पर चलकर संकल्प को आम जनमानस के सहयोग से बिना किसी बाधा के पूरा कर लिया जाता है । जिन दत्तक पुत्रियों का विवाह हो चुका और होना है सभी के मंगलकारी और कल्याणकारी जीवन की शुभकामनाएं की है ।

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