योग तन और मन, कार्य और विचार तथा मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक माध्यम है :  रामबिलास शर्मा

भिवानी, योग तन और मन, कार्य और विचार तथा मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक माध्यम है।‬‪संयम, संस्कार, सुविचार व जोड़ का नाम ही योग है ! योग हमारी प्राचीन जीवन पद्धति है। सम्पूर्ण मानवता को भारतीय संस्कृति के इस अनमोल उपहार को मोदी जी ने अपने प्रयासों से वैश्विक स्वीकृति प्रदान करवायी जिससे आज पूरे विश्व ने योग को अपनाया है।

‬ यह बात हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने विश्व योग दिवस के अवसर पर कहीं। श्री शर्मा ने कहा कि संयम, संस्कार, सुविचार व जोड़ का नाम ही योग है। श्री शर्मा ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। योग और आयुर्वेद के महत्व को समझें। दुनियां में हर प्रकार की दवा का साइड इफेक्ट है लेकिन आयुर्वेद की दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।  योग का महत्व समझाने के लिए  रामप्रसाद बिस्मिल का उदाहरण दियापूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने  योग की महत्ता व इसके महत्व को समझाते हुए रामप्रसाद बिस्मिल का उदाहरण दिया।

उन्होंने बताया कि जब अंग्रेजों ने रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई तो वे थोड़ा भी विचलित नहीं हुए। सुबह फांसी के वक्त जब डॉक्टर ने उनका रक्तचाप जांचा वे दंग रह गए। एकदम सही रक्तचाप था। सुबह वे योग कर रहे थे। किसी ने सवाल पूछा कि आपको कुछ देर बाद फांसी होने वाली है तो फिर ये योग क्यों कर रहे हो। इस पर उन्होंने कहा कि वे अपनी दिनचर्या को अधूरा नहीं छोड़ते। फांसी देने वाले जल्लाद उसके चेहरे के ललाट व शांत भाव देखकर बेहोश हो गया। पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह योग की ही महिमा है कि मनुष्य को कठिन से कठिन हालात में भी संयमित रखता है।

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