वायरस का संकट और अधिक बढ़ने के संकेत लेकिन ग्रहण के बाद दूर होगी समस्या, नई ऊर्जा और बुलंद हौसले का होगा संचार

गुरुग्राम 19 जून: श्री माता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष पंडित अमरचंद भारद्वाज ने कहा कि पिछले साल 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण लगने के छह मास बाद दूसरा सूर्यग्रहण 21 जून को लगने जा रहा है। इस दौरान ग्रह गोचरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। इससे कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं, महामारी, अकाल जनमानस में असंतोष आदि के संकेत मिल रहे हैं लेकिन इस सूर्यग्रहण के बाद इन अमंगलों में कमी आएगी और मंगल होगा। इसका तात्पर्य है कि कोरोना का संकट भी अब चरम पर पहुंचने के बाद दूर होने लगेगा।

सूर्य ग्रहण के संबंध में पंचांग दिवाकर में दिए गए तथ्यों को वर्णित करते हुए पंडित अमरचंद ने कहा कि यह ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा जबकि राहू भी मिथुन राशि में है। राहू मिथुन से 25 सिंतबर को निकलेगा। यानी इसके बाद परिस्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होती जाएंगी। नई ऊर्जा का संचरण होगा। सूर्य ग्रहण मेष, सिंह, कन्या व मकर के लिए मंगलकारी है जबकि अन्य राशियों के लिए सामान्य है।   जिन राशियों के लिए यह ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है, उन्हें यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए।

पंचांग के हवाले से उन्होंने बताया कि आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार 21 जून रविवार को मृगशिरा नक्षत्र व मिथुन राशि में यह खंडग्रास कंकण सूर्यग्रहण लगेगा। यह चूड़ामणि योग में लग रहा है। संपूर्ण भूलोक पर इस कंकण ग्रहण प्रारंभ समय प्रातः 9:15:58 मध्य 12:10:04 और समाप्ति शाम 3:04:01 इसका समय रहेगा.

गुरुग्राम में यह ग्रहण सुबह 10 बज कर 19 मिनट 25 सेकेंड पर शुरु होकर अपराह्न 1 बज कर 48 मिनट पर समाप्त होगा। मध्यान्ह 12:01 पर होगा। फरीदाबाद और दिल्ली एनसीआर में भी इसी समय के आसपास ग्रहण के आरंभ और समाप्ति का समय रहेगा। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले  ही 20 जून शनिवार 2020 रात्रि 9:16 से  प्रारंभ  हो जाएगा। उत्तराखंड के क्षेत्रों में सूर्य ग्रहण कंकणाकृति में दिखाई देगा। गुरुग्राम फरीदाबाद और दिल्ली एनसीआर सहित देश के अन्य हिस्सों में सूर्य ग्रहण की खंड आकृति ही दिखाई देगी।

यह ग्रहण आर्थिक मंदी की ओर इशारा कर रहा है। वहीं ग्रहण के समय मंगल जलतत्व की राशि में बैठकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहू पर दृष्टि कर रहा है। इससे भारी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। आमजन को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

पंडित अमरचंद ने बताया कि सूर्य ग्रहण से होने वाले अमंगल को दूर करने के लिए प्रभावित राशियों के नागरिकों को सूर्य ग्रहण काल में ग्रहण को देखने से वंचित रह कर भजन पूजन करना चाहिए। सूर्य ग्रहण शुरु होने के समय ही स्नानादि, संकल्प व जप करने के साथ मध्यकाल में हवन पूजन व पाठ करें। ग्रहण की समाप्ति पर स्नान करके दान पुण्य करें। इसके अलावा सूर्य ग्रहण के समय सूर्य उपासना, हृदय स्त्रोत और सूर्य स्त्रोत आदि का पाठ करें।

पंचांग दिवाकर के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। ग्रहण प्रारंभ होने से अंत होने तक के समय में महिलाओं के अपने घरों के अंदर रहकर किसी तरह का कार्य करने से वंचित रहना होगा। गर्भवती महिलाएं इस समय गेरुआ रंग का वस्त्र धारण करने के साथ घर के बाहर दीवारों व दरवाजे पर इसी गेरुआ रंग का लेपन करें। वहीं ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं पूजा-पाठ, जप और देवताओं की स्तुति करें । 

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