एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) ने मनाया राज्यव्यापी मांग दिवस

गुडग़ांव :19 जून 2020. एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) ने आज राज्यव्यापी मांग दिवस मनाया। इस मौके पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हाथ में मांग पट्टिकाएं लेकर डीसी कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के नाम गुडग़ांव जिला उपायुक्त के माध्यम से 8 सूत्री ज्ञापन दिया गया। इसमें बिना तैयारी के अचानक किए गए लॉकडाउन से उत्पन्न हुई जन समस्याओं को हल करने मांग की गई।

ज्ञापन में सभी बेरोजगारों को रोजगार देने, महंगाई पर रोक लगाने, लॉकडाउन में हटाए गए श्रमिकों, कर्मचारियों, अध्यापकों को बकाया वेतन सहित बहाल करने, मनरेगा स्कीम को बड़े पैमाने पर चालू कर ₹600 रोजाना मजदूरी पर काम देने, प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ीदारों, खेत-मजदूरों, घरेलू कामकाजी महिलाओं, व गरीब किसानों समेत हर प्रभावित परिवार को दस दस हजार रुपये महीना आर्थिक सहायता देने, लॉकडाउन में थोपे गए किसान-मजदूर-कर्मचारी विरोधी फैसलों को रद्द करने, छात्रों – अभिभावकों से शिक्षा का कोई भी खर्च न लेने और कोरोना बिमारी का सारा खर्च सरकार द्वारा वहन करने की पुरजोर मांग की। इसके अलावा कृषि मार्केट कमेटी कानून व आवश्यक वस्तु कानून को बदल कर कारपोरेट घरानों के स्वार्थ में लाये गये अध्यादेशों और बिजली बिल 2020 को रद्द करने, 8 घंटे का कार्य दिवस बहाल करने, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बन्द करने की मांग की।

एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के जिला सचिव बलवान सिंह  ने कहा कि सरकार जानती थी कि लॉकडाउन अपने आप में कोई इलाज नहीं होता। इसलिये संक्रमण रोकने के लिये यदि सरकार शुरू से ही चौकसाई करती और लॉकडाउन अवधि का सदुपयोग कर सरकार कोविड अस्पतालों, डाक्टरों, नर्सों, लैबों, बचाव उपकरणों, एकान्त केन्द्रों की संख्या बढ़ाने जैसे आवश्यक उपाय करती तो हालात इतने बदतर नहीं होते।

कोरोना-लॉकडाउन का सबसे ज्यादा खामियाजा प्रवासी मजदूरों समेत सभी मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकशों को भुगतना पड़ा है। सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन में किसी की नौकरी नहीं हटेगी, पूरा वेतन मिलेगा। परन्तु इसे न तो केंद्र सरकार ने और ना ही प्रदेश सरकार ने लागू किया। 8 घंटे के कार्य दिवस को 12 घंटा कर दिया। कर्मचारियों व पैन्शनरों की सालाना भत्ता-वृद्धि को बर्फ में लगा दिया गया। नई भर्ती पर रोक लगा दी।

सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकज में आम आदमी को कोई राहत नहीं दी। इससे सरकार का जनविरोधी चरित्र जगजाहिर हो गया। इसमें पूंजीपतियों को तो लाखों करोड़ रुपये के तोहफे दिये गये हैं लेकिन आम लोगों के प्रति हर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया गया। लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए कोई भी ठोस कदम आज तक नहीं उठाया गया है।

प्रदर्शन में जिला कमेटी सदस्य श्रवण कुमार, रामकुमार, वजीर सिंह आदि ने भी बात रखी। सभी ने कहा कि ज्ञापन में उठाई गई मांगों को पूरा कराने के लिए आन्दोलन जारी रहेगा।

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