-कमलेश भारतीय टिक टाॅक स्टार सोनाली फोगाट की चप्पल थप्पड़ कांड के बारह दिन बाद जिस तरह गिरफ्तार और हाथों जमानत हुई , उसके आधार पर यह सोच रहा हूं कि सोनाली ,,,,तेरे कितने हाथ ? बारह दिन में मार्केट कमेटी के कर्मचारी आंदोलनरत रहे , बिनैन खाप ने आंदोलन का अल्टीमेटम किया और मीडिया में लगातार यह कांड चर्चित रहा और सारा मामला मात्र सवा दो घंटे में खत्म ? कैसे ? क्या यह भी किसी टिक टाॅक वीडियो की शूटिंग थी या सचमुच अदालत ने न्याय किया ? अदालत का सम्मान करते हुए यह मामला ध्यान में आ रहा है कि प्रदेश में दो बार विधायक रह चुके सतविंदार राणा को फिर जेल की हवा क्यों खानी पड़ी? यदि कोविड का इतना ही डर था और जेलों में कोविड के कारण ज्यादा भीड़ न करनी थी तो इस आधार पर क्या उसे भी तुरंत जमानत मिल सकती थी ? पर उनके पीछे किसी का हाथ नहीं रहा होगा । इसी प्रकार चंद्र कथूरिया को तो तुरंत भाजपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । और सोनाली की कदम उठाये दम पर रक्षा ? कौन कर रहा है ? कितने हाथ हैं सोनाली ? वैसे कहते हैं कि कानून के हाथ लम्बे होते हैं । इनकी गिरफ्त से कोई बच नहीं सकता । बची तो नहीं । गिरफ्तारी हुई पर जमानत तुरत फुरत , टी ट्वेंटी क्रिकेट की तरह कैसे ? यदि कोविड का डर था , फिर बाकी चार जेल कैसे भेज दिए ? उनके बांड का प्रबंध नहीं हो पाया । वे बेचारे मुफ्त में मारे गये । क्या कानून सिर्फ पैसे वाले या रसूख वालों का ही रह गया ? जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटार्यर्ड जज दीपक मिश्रा ने कहा कि कानून अब प्रभावशाली और पैसे वालों के लिए रह गया है । क्या सचमुच ऐसा ही हुआ ? कितने हाथ हैं सोनाली ? क्या इसके पीछे सत्ताधारी दल में होना , करनाल के सांसद का भरोसा या फिर महिला आयोग का हाथ ? अभी तक जांच चल रही है जबकि पुलिस ने इधर अदालत में पेश किया , उधर कोविड का आधार लेकर और तपतीश के चलते जमानत भी हो गयी और सोनाली किसी टिक टाॅक स्टार की तरह अदालत परिसर से बाहर निकली । सतविंद्र राणा के पीछे कोई गाॅडफादर नहीं था । इसलिए जेल की हवा खानी पड़ी । यह तो ऐसा हुआ कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे । बिनैन खाप ने अल्टीमेटम दिया था कि यदि सोनाली को गिरफ्तार नहीं किया तो आंदोलन होगा । तो लो उनकी शर्त पूरी कर दी । मार्केट कमेटी के आंदोलनरत कर्मचारियों की मांग भी पूरी । अब चलो अपने अपने काम पर । सुल्तान सिंह भी कह रहा है कि उसे कानून पर भरोसा है । कानून ने अपना काम कर दिखाया । क्या राजनीति का सिर पर हाथ होने से किसी के हाथ बढ़ जाते हैं ? अब सोनाली की बारी है और वह अदालत से पूछ आई है कि क्या सुल्तान सिंह की भी गिरफ्तारी होगी या नहीं ? यह सब कानून के साथ क्रूर मज़ाक से ज्यादा कुछ नहीं । पीटा भी । मारा भी और गाली भी दी । फिर भी पार्टी का हाथ सोनाली के सिर पर ? इसे लीपा-पोती से ज्यादा क्या समझा जाए ? मात्र सवा दो घंटे में गिरफ्तारी , अदालत में पेशी और चालान तक हाजिर और फट से जमानत । ल्यो कर ल्यो बात । धोया , भिगोया , निचोड़ा और हो गया सब साफ । चमकदार । दीपक मिश्रा की बात पर विश्वास करें या न ? दिल है कि मानता नहीं । अदालत ने यह भी नहीं पूछा कि इस तरह सरेआम किसी अफसर की पिटाई कैसे कर सकती हो ? Post navigation एनएचएम कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार: सुभाष लांबा भारत में चीनी सामान की जगह सस्ता सामान विकल्प के रूप में उपलब्ध नहीं !