क्राइम रिफाॅर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. संदीप कटारिया ने बताया कि लद्दाख में भारत चीन सीमा पर सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के दो जवान और एक अफसर शहीद हो गए है। इस तरह से यह घटना काफी गंभीर रूप में देखी जा रही है। क्योंकि अमूमन भारत और चीन के बीच सीमा पर हिंसा की घटना पेश नहीं आती थी। भारत और चीन के बीच हुए समझौते को चीन ने एक तरह से तोड़ने का काम किया है।

लगातार इस विवाद को एक महीने से ऊपर का समय हो गया है यह कूटनीति स्तर पर भी बात चल रही थी, सैन्य स्तर पर भी बातचीत चल रही थी। लेकिन आज जो कुछ हुआ इसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की थीं। सरकार की तरफ से क्या स्पष्ट तौर पर अभी तक कहा जाए कि हमको बताया नहीं गया, जनता को बताया नहीं गया। क्या लग रहा है। जिस तरीके का ट्विट कांग्रेस के नेता अहमद पटेल ने बताया वह बहुत से सवाल खड़े करता है।

सैना की तरफ से चार लाइनोें की स्टेटमेंट आई हैं उसके अलावा सरकार की तरफ से अभी कुछ नहीं कहा गया। सबसे बड़ी बात इस इंसीडेंट से निकल कर आती है ये अब तक भारत – पाकिस्तान और भारत – चीन के मध्य नजर जो दो सबसे बड़ी थी वो ये थी कि पाकिस्तान के साथ कभी भी फायरिंग हो जाती थी। एलओसी पे या बाॅर्डर पे कभी भी केजवल्टी हो जाती थी लेकिन चीन के साथ लगने वाली सीमा चाएं वो विवादित हो या अविवादित हो वहां पर कभी भी इस तरह का वाकया देखने को नहीं मिला था। खासतौर पर 1975 के बाद 1993 के बाॅर्डरपी सेंटरिंग एग्रीमेंट में उसमें सारे प्रींसिपल डाले गए थे आखिरकार जब तक इस विवाद का पूरी तरह से निपटारा नहीं हो जाता। तब तक दोनों ही पक्ष सीमा के सैनिकों का जमावड़ा नहीं करेंगे। एक-दूसरे के पक्ष का जो सम्मान हैं वो करेंगे और इसीलिए 1996 में भी एक प्रीसिपल लेख किया गया। उसी को ज्यादा स्ट्रोंग व्यवस्था के साथ लगाया गया।

वहां पर आर्मी की ब्रीफिंग थी वहां पर  उन्होंने बहुत ही मायने से ब्रीफ दिया था वहां पर फिंगर 4 और फिंगर 8 की बात जो होती है। जब 1999 में हम पाकिस्तान के साथ कारगिल का वार लड़ रहे थे क्योंकि उस समय जार्ज जिला बंद था और हमें आर्मी इंफोर्समेंट भेजने की जरूरत थी बटालिन सेक्टर में क्योंकि हम वहां इंफोर्समेंट नहीं भेज पा रहे थे। तो हमने एलओसी से विड्रो किया था और बटालिन सेक्टर में लगाया था जोकि कारगिल से लगने वाला इलाका है। उस समय 1999 में चाईना ने ट्रेक बनाया था जिसको की आज  वो पक्की सड़क के तौर पर बता रहा है और फिंगर 4 तक वो टेªक बनाया था। 2000 में मैनें उस टेªक को देखा था जो डिस्टेंस नजर आता है। जहां से भारतीय सेना ने हमें ब्रीफ दिया था कि ये वो टेªक हैं। जहां पे उन्होंने आगे बढ़के टेªक बना लिया है।  अब बात ये है कि अब दो ऐसे प्रींिसपल समझौते के तौर पर 1993 और 1996 में रखे गए थे । उसको बिल्कुल चीन ने एक तरीके से तोड़ दिया है। इस तरह से भारतीय सेना के अफसर और जवान है उनकी शहादत हुई तो वह अपने आप में एक बहुत गंभीर बात है। क्योंकि जिस तरीके से मैनें शुरूआत की पाकिस्तान के साथ होता रहता है। ये यूजवली मामला हैं समझ में आता है। लेकिन यहां पर इस तरह से संधि को तोड़ना ये अपने आप में बहुत ही खतरनाक बात हैं।

पेंगेनसो 137 किलोमीटर लंबी झील है। एक तिहाई हिस्सा भारत के पास हैं और 2 तिहाई हिस्सा चीन के पास है। पंेगेनसो लेख माने हैं जब आप राइट हैंड से जाते हैं पेट्रोल के लिए तो पेंगेनसो पार करके जाना पड़ता है। आप अगर गलवान वैली की तरफ से वहां पर मेरी भौगोलिक स्थिति की परख हैं उसके हिसाब से आप टेªक लेकर और सड़क के रास्ते आ सकते हैं। वो इंपोर्टटेंट अलायमेंट हैं जो जोड़ता हैं सामूहिक तौर पे जब ये फिंगर 4 तक पहुंचे भारत न उस तरफ से अपनी इंफोर्समेंट करने की कोशिश की लेकिन ये पूरा वाकया हुआ है ये तब हुआ है जबकि दोनो ही पक्शों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही है। उसी बातचीत के सिलसिले में वो गए है और उल्टा देखिए भारत और चीन के बीच का विवाद है। उसका मूल ये माना जाता है जब यहां पे एलओसी खीची गई नक्शे पे तब चैड़े स्केच पेन का इस्तमाल किया गया था। उस स्केच पेन की चैडाई अपने आप में 4 से 6 किलोमीटर की चैड़ी पट्टी बनती है। चीन अपनी जो टेªड मानते हैं  उस पट्टी के आखिरी छोर तक उनकी तह गई है। और यहीं भारत मानता है। होता ये है अगर इस चैडाई की बात करें तो चीन यहां तक पेट्रोल के लिए आता था और भारत यहां तक पेट्रोल के लिए जाता था। लेकिन चीन ने अब यहां तक अपना टम्बू और इंफोर्समेंट ले आया और ये एक मेजर एरिया आॅफ कंसर्ट था। अब भारत का यही लगातार कहना है कि पहले जहां आपका इंफोर्समेंट था वहीं तक रहिए और ये पेट्रोलिंग का एरिया हैं। इस पर दोनो ही देश का एग्रीमेंट हैं। दोनों ही सैना अलग-अलग समय  यहा पर पेट्रोल के लिए जाती है। तो ये एक खतरनाक वाकया हैं। जैसा की चीन की तरफ से ये एक गलत कदम उठाया गया है

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