-कमलेश भारतीय

तरसेम गुजराल के बेटे अनिरुद्ध की कविताओं का संग्रह-कुदरत रूठ गयी हमसे । डाक से मिला । प्रतिभाशाली अनिरुद्ध बिना पहचान के ही चला गया ।

मुझे याद है जब मैं चंडीगढ़ दैनिक ट्रिब्यून में ज्वाॅइन किया ही था उसके दो माह बाद ही अनिरुद्ध इस दुनिया को अलविदा कह गया था और कड़ी धूप में मैं उसकी शोक सभा में गया था । हालांकि एक बार अनिरुद्ध ने ही मेरे लिए छत पर न केवल बिस्तर लगाया बल्कि पानी का छिड़काव भी किया था ताकि मुझे किसी किस्म की परेशानी न हो । यह तो कह सकता हूं कि अनिरुद्ध का बचपन देखा पर उसके अंदर बैठे कवि को तो नहीं जान पाया न । न पापा, न मेरे जैसे दोस्त ।

अब आस्था प्रकाशन से अनिरुद्ध की कविताएं आई हैं । मैं इसे पढूंगा और नये अनिरुद्ध से मिलूंगा । आप भी हो सके तो मिलना । काश । हम तुम्हें पहचान पाते तो कविताएं तुम्हारे ही मुख से सुनते

,,,,ये कविताएं पंजाब के असर में पंजाबी में लिखी गयी हैं जिनका अनुवाद पापा तरसेम गुजराल ने किया है ।
तुम्हीं सो गये दास्तान कहे बिना

error: Content is protected !!