भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिकगुरुग्राम। मुख्यमंत्री मंगलवार को गुरुग्राम आए और अधिकारियों से मिले। इससे पूर्व दो और अधिकारी चंडीगढ़ से भी भेजे थे गुरुग्राम के अधिकारियों से विचार विमर्श करने के लिए। अब वह जनप्रतिनिधियों से मिले या नहीं, यह तो वही जानें जनता को तो बताया नहीं, न तो जनप्रतिनिधियों और न ही लोकसंपर्क विभाग ने। गुरुग्राम जस का तस रहा, बल्कि परेशानियां बढ़ गईं। मुख्यमंत्री जनता का प्रतिनिधि होता है और जब आए तो जनप्रतिनिधियों से और प्रेस से रूबरू होना चाहिए ऐसा मेरा विचार है। गुरुग्राम में मंगलवार को भी पॉजिटिव केसों की संख्या 200 पार है और मरने वालों को संख्या अब तक सर्वाधिक 9 है। स्वास्थ्य विभाग की शैली में कोई अंतर नहीं दिखाई दिया। नए सीएमओ की नई चाल: जब से मुख्यमंत्री ने सीएमओ बदला है, तभी से कोविड मरीजों के आंकड़े देर से मिलने लगे हैं और साथ ही यह पता नहीं लगता कि किस-किस क्षेत्र के मरीज हैं। जब जनता और अधिकारियों को यही पता नहीं होगा कि मरीज किस क्षेत्र का है, तो कंटेंटमेंट जोन का अर्थ ही क्या रहेगा। अर्थात गुरुग्राम जिले से कंटेंटमेंट जोन तो समाप्त ही हो गया लगता है। लोगों में दहशत का माहौल बढ़ता जा रहा है। सभी एक-दूसरे की गलियों को शक की नजर से देखने लगे हैं। सरकार का काम दहशत कम करना होता है, बढ़ाना नहीं। गुरुग्राम के जनप्र्रतिनिधि तो ऐसा लगता है कि वे कहीं है ही नहीं। उन्हें कभी कोरोना के बारे में तो बोलते सुना नहीं। हां, वर्चुअल रैली के बारे में बहुत मुखर हो रहे हैं। न जानें क्या सोच रहे हैं जनप्रतिनिधि? जब जनता ही नहीं रहेगी तो वे प्रतिनिधि किसके रहेंगे अपने नेताओं के, जो वे अभी भी बने हुए हैं। मुख्यमंत्री आए, अधिकारियों से मिले और अपने साथ पूर्व चेयरमैन जवाहर यादव को बिठाया। जवाहर यादव क्या जनप्रतिनधि हैं, क्या जनता उसे जानती है, क्या जनता में उसकी अच्छी छवि है? यह बात मैं नहीं कह रहा हूं, यह तो भाजपा के नेताओं के मुंह के उद्गार हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार मुख्यमंत्री यहां के अधिकारियों को यह संदेश दे गए हैं कि मेरे बाद आपको जवाहर यादव के आदेश मानने होंगे, न कि चुने जनप्रतिनिधियों के। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री गुरुग्राम को दे क्या गए? कह गए कि जनता पर चालान करो और उससे मास्क करो और जरूरतमंद को दो। हर गली-मौहल्लों में आइसोलेशन वार्ड बना दो, दो श्मशान घाट बना दिए हैं तीन और बनाने के आदेश दे रखे हैं। अर्थात मुख्यमंत्री यह मानकर चल रहे हैं कि गुरुग्राम में अभी कोरोना इस कदर फैलेगा कि हर गली-मौहल्ले में आइसोलेशन वार्ड बनाने पड़ेंगे और इतनी मौतें होंगी कि दो श्मशान घाट बनाने के पश्चात भी तीन और बनाने पड़ेंगे, वाह मुख्यमंत्री साहब वाह। मुख्यमंत्री तो मास्क खरीदने के लिए लोगों का चालान करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जहां जा रहे हैं विकास के लिए धन देते जा रहे हैं। ऐसा ही विधायक नैना चौटाला भी कर रही हैं। अब यह विचारनीय विषय है कि हरियाणा में क्या दो सरकार हैं। जो एक सरकार तो इतनी फक्कड़ है कि जीवन के लिए आवश्यक सामान भी कोरोना वॉरियर और जनता को नहीं दे सकती और दूसरी विकास के लिए धन मुहैया करा रही है। अब मुख्यमंत्री जी यह तो सोचें कि वह किस गुरुग्राम में थे, जिस गुरुग्राम की कमाई से वह पूरा प्रदेश चला रहे हैं। गुरुग्राम हरियाणा का कमाऊ पूत है और इस कमाऊ पूत को मारने का इंतजाम होता जा रहा है। वर्तमान में मुख्यमंत्री की कार्यशैली भी यही बता रही है कि उन्हें इसे बचाने की कोई चिंता नहीं है। वर्तमान में गुरुग्राम के औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन आरंभ नहीं हुआ है, श्रमिकों की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। यह दूसरी बात है कि प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि सभी फैक्ट्रियां चल रही हैं, जबकि वास्तव में फैक्ट्री मालिक अपनी इएमआइ भरने को चिंतातुर हैं। यही स्थिति व्यापारी वर्ग की है। नौकरीपेशा आदमी अपनी सैलरी में से 20, 30, 40 प्रतिशित कटवा रहा है। रिक्शा, रेहड़ी व फेरी वालों की आजीविका भी पूर्ण हो नहीं रही है। लोग भूखे मर रहे हैं। ऐसी स्थिति पर तो मुख्यमंत्री का ध्यान गया नहीं। न यहां के विधायकों ने बताया, न यहां की मेयर ने बताया। सभी ने मिलकर गुरुग्राम को मरने के लिए छोड़ दिया। अरे गुरुग्राम का आर्थिक तंत्र ही टूट जाएगा तो हरियाणा ही कहां बचेगा? Post navigation कोरोना की बैंक में एंट्री बुधवार और गुरुवार को बंद रहेगा एसबीआई बैंक कोरोना बेकाबू : जून के दूसरे पखवाड़े के दूसरे दिन ही 200 के पार