किर्गिस्तान में फंसे छात्रों की सरकारी से मदद की गुहार.
ये युवक मेडिकल एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए गए थे.
स्वदेश वापसी के लिए प्रदेश व केंद्र सरकार से गुहार.
वंदे भारत मिशन के तहत सभी कर चुके हैं आवेदन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । शुरू में तो एयरो प्लेन में बैठाकर सरकार विदेशों से भारतीयों को लेकर आई, लेकिन अब विदेशों में फंसे भारतीय सरकार से मदद की गुहार लगा रहें हैं। इन युवाअ  छात्रों को सरकारी वेबसाइट्स के साथ सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके सरकार को बताना पड़ रहा है कि वे भी स्वदेश लौटना चाहतें हैं। सूबे के इन सेंकड़ों छात्रों में पटौदी हलके के हेलीमंडी क्षेत्र सहित गुरुग्राम जिला के भी मेडिकल के छात्र शामिल हैं। उनके परिजन भी प्रशासन से मिलकर अपने बच्चों को वापिस लाने की गुहार लगा रहे हैं।

लॉकडाउन के बाद विदेशों में फंसे भारतीय छात्रों व अन्य को स्वदेश लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से वंदे भारत मिशन शुरू किया गया था। इसी के तहत किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों ने भी स्वदेश वापसी के लिए आवेदन किया था। काफी दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक उन छात्रों को स्वदेश वापसी में अब नियम बाधा बन रहे हंै। किर्गिस्तान में फंसे छात्रों ने कहा है कि किर्गिस्तान में विदेशी लोगों के लिए बाहर निकलने पर पासपोर्ट रखना अनिवार्य कर दिया गया है। इसकी वजह से बहुत से छात्र लॉकडाउन लागू होने के बाद अपने हॉस्टल से भी बाहर नहीं निकल पाए हैं।  

हेलीमंडी का मोहित बिस्केक में फंसा
पटौदी हलके के हेलीमंडी क्षेत्र का निवासी मोहित सिंह बिस्केक स्थित इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मेडिसिन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया था। बिस्केक किर्गिस्तान की राजधानी है। मोहित का कहना है कि लॉकडाउन के तुरंत बाद से ही वह अपने घर आने का प्रयास कर रहा है। उसने आवेदन भी किया, लेकिन कोई प्रयास काम नहीं आया। कई बार विदेश मंत्रालय को ट्वीट आदि करके भी गुहार लगाई । वहीं पीएमओ, सीएमओ कार्यालय को भी सूचना दे चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब आज तक नहीं मिल पाया है। वहां पढ़ाई ही नहीं हो रही है। ऐसे में वे बहुत परेशान हैं। बिस्केक में भारतीय दूतावास से कई बार संपर्क किया है, लेकिन वहां से भी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा। हरियाणा के 130 विद्यार्थियों को रोज उम्मीद बंधती है कि भारत सरकार की ओर से कोई संदेश आएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा।

मोहित के पिता ने प्रशासन के काटे चक्कर
हेलीमंडी में मोहित सिंह के शिक्षक पिता मुकत सिंह अपने बेटे को वापस लाने के लिए रोजाना जिला प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि बेटे की उन्हें बहुत चिंता हो रही है। ना तो विदेश में और ना ही स्वदेश में कोई प्रयास उनको लाने के हो रहे हैं। सभी को चिंता है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द ही सभी छात्रों को वहां से लाया जाए।

सेक्टर-46 के गजेंद्र का भतीजा भी फंसा
वहीं सेक्टर-46 निवासी गजेंद्र सिंह का कहना है कि उनका भतीजा भी तीन महीने से किर्गिस्तान में फंसा हुआ है। वह भी काफी चक्कर अधिकारियों के पास लगा चुका है। कोई भी ठोस जवाब उन्हें नहीं दिया जा रहा। ऐसे में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं। पहले तो चीन तक से छात्रों को तुरंत लाया गया, लेकिन अब बार-बार गुहार के बाद भी सरकार उदासीन बनी हुई है। सभी छात्र और उनके अभिभावक सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से रोजाना सरकार, अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं।

भारत में दाखिला नहीं मिलने पर जाते हैं किर्गिस्तान
बता दें कि भारत में मेडिकल की सीटें बेहद ही कम हैं। इन सीटों से कई गुणा विद्यार्थी आवेदन करते हैं। ऐसे में सभी को दाखिला तो मिलता नहीं। इसलिए वे मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश का रुख करते हैं। यही नहीं, भारत में प्राइवेट मेडिकल कालेजों के मुकाबले किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई भी काफी सस्ती है। सालाना करीब 3 लाख रुपए फीस वहां लगती है। उन्हें वहां पर बिना किसी बाधा के दाखिला मिल जाता है।

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