नई-नई शब्दावली गढ़ने की बजाए, अपनी किसान विरोधी नीतियों पर मंथन करे सरकार- हुड्डा 12 जून, चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश सरकार की तरफ से 17 हज़ार किसान मित्र नियुक्त करने के ऐलान पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार को ख़ुद किसानों की मित्र बनना चाहिए। लेकिन अगर सरकार ही किसानों के विरोधी बन बैठी हो तो फिर किसान मित्र नियुक्त करने का क्या फ़ायदा। सरकार को नई-नई शब्दावली गढ़ने की बजाय अपनी किसान विरोधी नीतियों पर मंथन करना चाहिए। तमाम महकमों, मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानों के मित्र की तरह काम करना चाहिए। लेकिन लगता है कि सरकार ऐसा कर पाने में विफल रही है। इसीलिए अलग से किसान मित्र नियुक्त करने पड़ रहे हैं। लेकिन सरकार की नीयत और नीति देखकर लगता है कि इससे भी किसानों को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला। सचमुच में आज सरकार से किसान को राहत और प्रोत्साहन की जरुरत है।अगर सरकार किसानों की हमदर्द मित्र बनना चाहती है तो उसे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, फसल के उचित रेट देने, कृषि की लागत कम करने, खेती उपकरणों से टैक्स हटाने,डीज़ल के रेट कम करने जोकि रोज बढ़ रहे है और कर्ज़ माफ़ी की दिशा में क़दम बढ़ाने चाहिए। बहरहाल सरकार नए नए घोटाले जैसे धान खरीद का घोटाला,चना खरीद घोटाला,सरसो खरीद घोटाला,गन्ना तोल घोटाला आदि पर पर्दा डालने का काम कर रही है। किसान को राहत और प्रोत्साहन देने की बजाय सरकार लगातार खेती को महंगी करने ,फसल की खरीद रोकने और किसानों पर बंदिशें थोपने पर लगी है। फिर भी खुद् को किसान हमदर्द दिखाने के लिए उसका पूरा ज़ोर नए-नए जुमले और नई-नई शब्दावली गढ़ने पर रहता है। इससे पहले भी सरकार की तरफ से एफपीओ(फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन), मास्टर ट्रेनर और मॉडरेटर बनाए गए थे। उनसे भी किसानों को कोई लाभ नहीं पहुंच रहा । बीजेपी ने पिछले कार्यकाल में अधिकारियो पर विश्वास ना करके अपने चहेतों को एडजस्ट करने के लिए, प्रदेश से बाहरियों को सुशासन सहयोगी भी नियुक्त किया था। लेकिन पूरी व्यवस्था में ना कहीं उनका सहयोग नज़र आया और ना ही प्रदेश में कहीं सुशासन देखने को मिला। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर तमाम विफलताओं के बावजूद सरकार किसान मित्र बनाना ही चाहती है तो उसे वॉलिंटियर नियुक्त करने की बजाए एचएयू से कृषि की पढ़ाई करने वाले बेरोजगार युवाओं को नियुक्ति देनी चाहिए। इससे युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा और वो अपनी दक्षता के मुताबिक कृषि क्षेत्र में अपना योगदान भी दे पाएंगे। अपने चहेतों को एडजस्ट करने की बजाए सरकार को इनकी भर्ती के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। Post navigation पेट्रोल व डीजल के रेटों में बढ़ोतरी से जनता में भारी नाराजगी – बजरंग गर्ग 127 किलो गांजा, 4800 बोतल प्रतिबंधित सिरप जब्त