कोरोना से देश-विदेश में ही क्या चहुओर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है प्रत्येक व्यक्ति भ्रामक प्रचारों से , फोन पर बजने वाली रिंगटोन हो याँ न्यूज़ चैनलों पर और अखबारों में छपने वाले संक्रमितों के ताजा आंकड़ो वाली खबरें से हों – विभिन्न माध्यमों से लोगों में उनके जीवित रहने की संभावनाएं कम कर हैं ऐसा बताया जा रहा है जब्कि कोरोना से जंग लड़ने की कोई रूपरेखा तैयार नहीं की जा रही है और ना ही उसे बताया जा रहा है  और सभी लक्षण जो बताए गए हैं वह लक्षण तो लगभग सभी मे पाए जाते हैं , इसका अर्थ तो यह हुआ कि देश की अधिकांश जनता संक्रमित है ।

लोगों में भय व्याप्त हो चुका है जिसको निकालने की बजाय  लोकडाउन को लागू कर  डर को कानूनी कार्यवाही का हवाला देकर मन में अच्छे से बैठाया गया जिसमें लोकडाउन की अहम भूमिका रही – जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया ।

अचानक ऐसे फैंसलों से सभी स्तब्ध और भौचक्के रह गए , चिंताग्रस्त हो गए  परिवारों के लालन पालन की चिंताएं सताने लगी कैसे सुरक्षित बच पाएंगे रह रहकर यही बात मन को कचोटने लगी , अधिक से अधिक राशन एकत्रित करने की चिंता होने लगी , पहले से जिन्होंने कुछ भी संजो कर रखा था वह बगैर तैयारियों के अपने आप को बंधन में समझने लगे ।

तमाम अनियमितताओं का दौर भी प्रारम्भ हो गया ,ऊपर से किसी भी हेल्पलाइन नंबर से सहायता न मिलना हो याँ कहें कि अधिकांश लोगों को किसी भी प्रकार की जानकारियां उपलब्ध नहीं हो पा रही थी ।

अधिकारियों में आपसी तालमेल स्थापित नहीं हो पा रहा था जिससे तथा वह अपने स्तर पर व्यवस्थाओं को स्थापित करने में लगे थे मगर वह राशन व भोजन वितरण तक नहीं कर पाए , भयमुक्त माहौल नहीं मिलने के कारण और समयावधि का निर्धारित नहीं हो पाने के चलते लोगों के पलायन करने की दिशा में सहायक साबित होने वाले ट्रांसपोर्टेशन को सुचारू रूप से नहीं चला पाए , मेडिकल व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं कर पाने वाले अधिकारियों की नीतिगत निर्णय नहीं ले पाने की अक्षमता भी अयोग्यता दर्शाती रही ।

नियमों में रोहजना परिवर्तन और उनको लागू करने व  निचले स्तर के अधिकारियों की उससे अनभिज्ञता से परिवर्तित दिशानिर्देशों का प्रचार आमजनमानस तक नहीं हो पाने के चलते कोरोनाकाल में लगे लोकडाउन ने व्यापार और व्यापारियों को लगभग समाप्त कर दिया । कारखानों और बाजारों को बंद करने से श्रमिकों , दिहाड़ीदार मजदूरों और रेहड़ी पटरी वाले छोटे मंझोले कामगारों , फेरी वालों , ऑटो रिक्शा चालकों सहित फलविक्रेताओं तक की दुर्गति होनी प्रारम्भ हो गई ,  लेकिन अफवाहों पर कोई अंकुश नहीं लग पाया ।

लाखों लोगों से अरबो रुपये सरकार ने इकट्ठा किए और उस पैसे को सहायता राशि के नाम पर वितरण भी किया गया मगर सभी उत्पादों को खरीदने में और साधनों को जुटाने में व उपकरणों की खरीदारी के पीछे पेट भर भृस्टाचार किया गया , जिसका कोई लेखा जोखा भी संभव नहीं ।

लोगों में जानकारियों का अभाव भी बहुत रहा , किसी को कुछ भी सूचना हाँसिल करने के लिए याँ जानने के लिए संघर्ष करते रहना पड़ा  चाहें स्वीकृतियाँ ही क्यों न लेनी हों , कहाँ से मिलेंगी अथवा कोंन देगा और क्या उन्हें वहां जाने की आज्ञा है  यह मामूली जानकारी नहीं थी बहुतों को ।

बक़ौल तरविंदर सैनी देशभगत (माईकल ) जिस प्रकार कोरोना संक्रमितों के आंकड़ो से अखबारों और न्यूज़ चैनलों की खबरें प्रसारित हो रही हैं  उस स्तिथि में नहीं लगता कि कोई सुरक्षित रह पाएगा ।

इतनी भयावह बीमारी नहीं जितना उसका डर है , पुरानी कहावत है कि  शेर से उतना डर नहीं लगा  जितना टपके का हो गया ।

संक्रमण जिसकी बात हो रही है अर्थात कोरोना से इतना डरने की जरूरत नहीं कि आप महंगे सनेटाइजर लगा लगा स्किन कैंसर कर लें , किसी भी साबुन से हाथ धो लें बहुत है ,  सनेटाइजेशन करने वाली मशीनों के निर्माता , दवा बनाने वाली बड़ी-बड़ी कम्पनियां और मास्क – पीपीई किटें बनाने वाली कम्पनियाँ धंधा करने में लगी हैं , एड्स ,कैंसर, मलेरिया, की दवाएं और वेंटिलेटर बेचने का काम हो रहा है – अब आप बताएँ की नजला, जुखाम ,बुखार तो अनुमन सभी को रहता है – तो आपको है जुखाम और दवा मलेरिया की दें , बुखार है तो कैंसर की दवा दें ,बुखार और जुखाम है तो एड्स की दवा दें  और यदि स्वांस की बीमारी है तो क्या तीनों दवाएं दें जिससे स्वास्थ्य और अधिक बिगड़ने के बाद आपको वेंटिलेटर की भट्ठी में झोंक दें आपको ? 

पारंपरिक चिकित्सापद्दति को भूल कर हम बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं ।

उपाय बहुत सारे हैं :– दिन की सुरुआत 2-3 गिलास पूरा दिन में 5 -6 गिलास पानी जरूर घूंट-घूंट कर पिए चाय दूध पीने के तौर पर , व्यायाम करें , दोपहर तक फ्रूट जूस लें , कम तेल -मसाले वाला भोजन लें , बाहर का खाना ना खाएं जंकफूड भी नहीं , गिलोय ,कालीमिर्च, तुलसी, सोंठ, दालचीनी और लहसुन अदरक कूट कर स्वादानुसार गुड़ याँ मिश्री मिलाकर काढ़ा बनाकर पियें , हल्दीयुक्त दूध लें , दो कच्चे लहसुन की कली सुबह शाम खाएं ।

अति महत्वपूर्ण जानकारी यह भी है कि सोते समय पेट के बल अथवा साइड लेकर सोएं , कमर के बल नहीं , जीवन में कभी वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ेगी ।फेसमास्क घर पर रहने पर न लगाएं , बाहर तो कानून है मैं भी मानता हूँ और आप भी मानें ।

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