सचिव के खिलाफ सबूत जुटाने में जुटी बीजेपी!. पुराने सबूतों को हथियार बनाएंगी बीजेपी!

भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष सोनाली फौगाट और मार्केट कमेटी सचिव सुलतान सिंह के बीच शुक्रवार को बालसमंद की मंडी में हुए घटनाक्रम को लेकर बीती देर शाम भाजपा नेताओं की बैठक हुई।

हालांकि बैठक को भाजपा के केंद्र में एक साल पूरा होने को लेकर बताया गया, लेकिन सिरसा रोड स्थित पार्टी कार्यालय में साढ़े तीन घंटे चली बैठक में अधिकांश समय थप्पड़-चप्पल कांड पर चर्चा होती रही। बैठक की अध्यक्षता करनाल के सांसद एवं प्रदेश महामंत्री व पांच जिलों के प्रभारी संजय भाटिया ने की। कल शाम 5:30 बजे शुरू हुई बैठक रात 9 बजे खत्म हुई। गोपनीय रखी गई बैठक में स्वयं भाटिया समेत केवल पांच ही भाजपा नेता शामिल हुए, जिनमें सोनाली फौगाट के अलावा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा, स्थानीय विधायक डॉ. कमल गुप्ता और जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पूनिया शामिल रहे।

हालांकि पार्टी कार्यालय में अनेक नेता और कार्यकर्ता एकत्रित थे, लेकिन बैठक में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी गई। सूत्रों के अनुसार साढ़े तीन घंटे की बैठक में अधिकांश समय तक थप्पड़ कांड पर ही चर्चा होती रही। इसी विषय पर अध्यक्ष ने पहले सभी के साथ एकसाथ मंत्रणा की और उसके बाद फिर अलग कमरे में जाकर बारी-बारी से एक-एक नेता को बुलाकर चर्चा कर पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी हासिल की। बताया जा रहा है कि अन्य नेताओं ने अध्यक्ष के सामने रखे अपने पक्ष में सोनाली को एक तरह से क्लीन चिट दी है। साथ ही मंडी सचिव के चरित्र और भ्रष्टाचार में शामिल होने के सुबूत भी दिए हैं।

पार्टी नेताओं के तेवर और सांसद संजय भाटिया के बयानों से साफ जाहिर है कि भाजपा नेता मार्केट कमेटी सचिव के खिलाफ अभियान चलाकर उनके पुराने मामलों के सुबूत जुटा रहे हैं। ऐसे में यह संभव है कि सोनाली फौगाट भाजपा में बनी रहेंगी और जैसी चर्चाएं थीं कि उन्हें पार्टी की सदस्यता से हटाया जा सकता है, ऐसा फिलहाल नहीं किया जाएगा। जिस समय बैठक चल रही थी, उसी दौरान हिसार निवासी अनिल बंसल वहां पहुंचे। बैठक के बाद अनिल बंसल सोनाली से मिले और बताया कि उसकी सिरसा रोड पर एक बिल्डिंग है, जिसके कागजात पूरे न होने के कारण उन्होंने सचिव सुलतान सिंह से संपर्क किया।

अनिल बंसल ने आरोप लगाया कि सचिव ने कागज पूरे करने के लिए फीस के नाम पर उससे दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी। इसकी शिकायत उन्होंने 29 मई को पंचकूला उच्चाधिकारियों से भी की।

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