महचाना में पीने के पानी के लिए प्रदर्शन पड़ा भारी.
महिलाओं सहित कुल 18 ग्रामींणों पर दर्ज मुकदमा.
फतह सिंह उजाला
पटौदी। ठाढा मारे रौन दे नां, रजाई खोस ले सौन दे नां वाली कहावत गांव महचाना के लोगों पर साबित हो गई। रविवार को पेयजल समस्या के समाधान के लिए सड़क पर जाम लगाना ग्रामीणों के लिए भारी पड़ गया। पानी की समस्या तो हल नहीं हुई, उल्टे पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत गांव 9 महिला 9 पुरुषों सहित 18 के खिलाफ 147, 149, 188, 271, 283, 269, 270 आईपीसी व धारा 51 डिजार्स्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। समाचार लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुइ्र थी।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गांव महचाना में रविवार को ग्रामीणों ने पेयजल समस्या को लेकर फर्रुखनगर – हेलीमंडी मार्ग पर पीने के पानी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। सूचना के बाद मौके पर पहुंची और कोरोना वायसर के बढते संक्रमण को रोकने के लिए लागू किये गए लॉक डाउन -4 की अवेहलना करने , सड़क जाम करने, आमजन को परेशान करने आदि के तहत गांव महचाना निवासी राजेश, धर्मबीर, रमेश, नरेंद्र, करतार, दिनेश, आशिष, दीपक, रेखा, बिमला, अन्नु, कलावती, मंजू, उषा, राधा, सुनिता, सुशिला आदि के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि एक तो कोरोना के कारण वह घरों से बाहर कहीं जा नहीं सकते। उपर से पेजल संकट से एक माह से झूंझ रहे है।
ग्रामींणों का तर्क है कि पेयजल तो मूलभूत एवं जीवन बचाने के लिए अनिवार्य है, क्या संबंधित विभाग के अधिकारी और परिवार एक-एक माह तक बिना पानी के रहने की हिम्मत दिखा सकते हैं । ग्रामींण क्या भूखे प्यासे घरों की चार दीवारी में ही दम तोड़ दे। पेयजल की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, सरपंच, जन स्वास्थ्य एवं अभियान्त्रिकी विभाग के आला अधिकारियों के पास शिकायत करके थक गए थे। लेकिन जब कही भी किसी भ्ी अधिकारी ने समस्या की तरफ ध्यान नहीं दिया तो वह मजबूर हो गए। अपनी मांग को लेकर सड़क पर उतरे और शासन-प्रशासन सहित संबंधित अधिकारियों से उनकी पीने के पानी की समस्या का तो कोई समाधान नहीं निकला उल्टा मामला और दर्ज कर दिया। आखिर यह कहां का न्याय है। इससे साबित होता है कि अधिकारी अपनी कमी या लापरवाही को कभी नहीं मानने वाले है और ग्रामींणों की आवाज को कुचलने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते है।