आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि एमपीसी की बैठक तीन से पांच जून को होनी थी। लेकिन इसे पहले ही कर लिया गया है। यह 20 से 22 मई के दौरान की गई। 

बैठक में अधिकांश सदस्य रेपो रेट घटाने के पक्ष में थे। रेपो रेट में 40 आधार अंकों की कटौती की गई है और यह 4.40 फीसदी से कम होकर चार फीसदी रह गई। एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट घटाने के पक्ष में वोट दिया। 

साथ ही रिवर्स रेपो रेट 3.75 फीसदी से कम होकर 3.35 फीसदी कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि इस छमाही में महंगाई उंचाई पर बनी रहेगी। हालांकि अगली छमाही में इसमें नरमी आ सकती है।

लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। छह बड़े औद्योगिक राज्य में ज्यादातर रेड जोन रहे। इनका देश की अर्थव्यवस्था में 60 फीसदी हिस्सा है।

मार्च में कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 36 फीसदी की गिरावट देखी गई।
कंज्यूमर ड्यूरेबल के उत्पादन में 33 फीसदी की गिरावट आई।

मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 17 फीसदी की गिरावट देखी गई।
वहीं खरीफ की बुवाई में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

अप्रैल में वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। डब्ल्यूटीओ के मुताबिक, दुनिया में कारोबार इस साल 13 से 32 फीसदी तक घट सकता है।
अप्रैल में खाद्य महंगाई बढ़कर 8.6 फीसदी हो गई। दालों की महंगाई अगले महीनों में खासकर चिंता की बात रहेगी।

कोरोना के कारण वैश्विक वृद्धि पर असर पड़ा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ बढ़ रही है, मार्च के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट आई।

साल 2020-21 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार 9.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी 487 अरब डॉलर का है।

एग्जिम बैंक को 15,000 करोड़ रुपये का क्रेडिट लाइन दिया जाएगा।
सिडबी को दी गई रकम का इस्तेमाल आगे और तीन महीने तक करने की इजाजत।

आरबीआई ने टर्म लोन मोरेटोरियम 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह 31 मई तक के लिए था। तीन महीने और बढ़ने से अब मोरेटोरियम की सुविधा छह महीने की हो गई है। यानी इन छह महीने अगर आप अपनी ईएमआई नहीं चुकाते हैं, तो आपका लोन डिफॉल्ट या एनपीए कैटेगरी में नहीं माना जाएगा।

कोविड-19 के प्रकोप के बीच आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है। निजी उपभोग को सबसे ज्यादा झटका लगा है। 

आयात शुल्क की समीक्षा की जरूरत है।

वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी की वृद्धि नकारात्मक रहेगी।

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