कूड़े के पहाड़ से विशाखपट्टनम जैसी गैस त्रासदी का बन रहा खौफ. अरावली की फिजाएं कूड़े के पहाड़ से हो रही प्रदूषित,कहा सबको मिलकर उठानी होगी आवाज.  अगर हम अब भी धृतराष्ट्र बने रहे तो हमारा रहना और जीना हो जाएगा मुश्किल

गुडग़ांव, 13 मईएक तरफ  कोरोना महामारी देश और हमारे जिले में हर दिन फैलती जा रही है, दूसरी ओर इसके फैलाव को रोकने के मुख्य बिंदुओं पर प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आ रहा है, यह कहना है नव जन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ठ कुमार गोयल का। श्री गोयल ने गुडग़ांव फरीदाबाद रोड स्थित ग्वाल पहाड़ी में बन रहे कूड़े के पहाड़ का हवाला देते हुए एक बार फि र से प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। वशिष्ट कुमार गोयल ने कहा कि लोगों में डर है कि कहीं यहां भी विशाखापट्टनम जैसी घटना ना हो जाए। क्यों कि अरावली में भी कूड़े से बन रही गैस का खतरा बना हुआ है। यहां आस-पास एक कि.मी. की रेंज तक जमीन का पानी पहले से प्रदूषित हो चुका है। अब अगर यहां भी कूड़े से बनने वाली 98 प्रतिशत मिथेन गैस व कार्बन डाईऑक्साइड का रिसाव हुआ तो यहां के लोगों का क्या होगा। श्री गोयल ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएं जिससे किसी के जान व माल का नुकसान ना हो।   

एक और जहां साफ सफाई की बातें की जा रही है और कोरोना वायरस जैसी बीमारी को रोकने के लिए सफाई संबंधित व्यवस्थाएं हो रही वहीं दूसरी ओर जिस स्थान से पूरे गुरूग्राम को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है उसी अरावली की फिजाओं को आज प्रदूषित करने का कार्य किया जा रहा है। हैरानी यह है कि शासन प्रशासन और आसपास के समाजसेवियों और नेताओं को सब कुछ पता होने के बाद भी सभी लोग धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आ रहे हैं।

वशिष्ट कुमार गोयल ने कहा कि अगर हम अब नहीं जागे तो आने वाले समय में गुरुग्राम जैसे शहरों में रहना भी मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि कभी कोरोना तो कभी और कोई बीमारी हमें इसी तरह परेशान करेगी। वशिष्ठ कुमार गोयल ने कहा कि आज जो लोग गांव की तरफ  भाग रहे हैं इसका यही कारण है कि गांव में दो रोटी कम जरूर मिलेगी, लेकिन उन्हें अच्छा वातावरण तो मिलेगा। हम अरावली की वादियों में रहते हुए भी आज प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। कारण यह है कि जिस शहर को साफ सुथरा रखने के लिए प्रशासन सैकड़ों करोड़ रूपया हर साल खर्च कर रहा है, वह पैसा कहां जा रहा है, यह किसी को दिखाई नहीं दे रहा है और जिस सफाई के नाम पर पैसा लिया जा रहा है, वह पैसा सफाई पर क्यों खर्च नहीं किया जा रहा है, यह भी पूछने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आज सभी लोग ऐसे मामलों में धृतराष्ट्र की भूमिका में दिखाई देने लगे हैं।

वशिष्ट कुमार गोयल ने मांग की है कि गुरूग्राम में जिस इको ग्रीन कंपनी को कूड़ा रीसायकल करने का ठेका दिया गया है उसका ठेका तत्काल प्रभाव से खत्म किया जाए और उक्त ठेका एक हिंदुस्तानी कंपनी को दिया जाए, जोकि यहां की व्यवस्थाओं को समझते हुए साफ सफ ाई पर विशेष ध्यान दे सके। आज जिस कंपनी को ठेका दिया गया है वह कंपनी चाइना की बताई जाती है। यही कारण है कि शासन और प्रशासन भी इस कंपनी के खिलाफ ज्यादा सख्त कार्रवाई भी नहीं कर पाता। इस कंपनी के पर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिन लोगों ने भी निगम के अंदर सवाल उठाए उनके मुंह बंद क्यों हो गए, यह भी समझ के परे है। आज जो लोग इस कंपनी के खिलाफ बोलते हैं वह कुछ ही दिन बाद चुप क्यों हो जाते हैं, यह भी अपने आप ने जांच का विषय है।

वशिष्ट कुमार गोयल ने सभी लोगों से अपील की कि इस मामले में सभी लोगों को एकजुट होकर उठाना होगा, जिससे कि हमारी अरावली की फिजा साफ सुथरी हो सके और हमें अच्छा वातावरण मिल सके, जिससे कि देश में कोई भी बीमारी बाहर से आए तो हम उस बीमारियों से पूरी तरह से लड़ाई लडऩे के लिए तैयार हो सकें। वशिष्ठ कुमार गोयल ने कहा कि हमें यह भी समझना होगा कि आज जिस बीमारी से पूरा विश्व कराह रहा है हमारा देश भी इस बीमारी की चपेट में है, लेकिन हमारे देश के उन प्रदेशों में भी यह बीमारी ज्यादा नहीं फैल रही है जिन प्रदेशों के वातावरण शुद्ध है और प्रदूषण कम है। प्रदूषण वाले शहरों में यह बीमारी ज्यादा तेजी से फैलती हुई दिखाई पड़ती है, इसलिए वातावरण को शुद्ध करने के लिए सभी लोगों को साथ आना ही होगा।

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