यहां बनाया गया है एक सौ बैड का आइसोलेशन वार्ड. कोविड संदिग्द्धों की देखभाल में जुटी है एक दर्जन नर्स फतह सिंह उजालापटौदी। कोविड 19 जैसी महामारी के समय में देश-दुनिया की तमाम नर्स के द्वारा कोविड 19 संक्रमितों सहित संदिग्द्धों को जिस प्रकार से देखभाल सहित पीड़ितों के स्वस्थ होने में सहयोग किया गया हैं, उसको कभी भी नहीं भुलाया जा सकेगा। क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में नीलकंठ अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर यहां रात-दिन पीड़ितों की देखभाल कर रही नर्सो का डाक्टर शिव कुमार चैहान, डाक्टर हिमांशु सक्सेना, डाक्टर अंशुमान भारतेंदू के द्वारा सम्मान करते हुए यह बात कही गई। महाकाल संस्थान और श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर ज्योति गिरि के मार्ग दर्शन में बनाया गया अस्पताल, आज कोविड 19 महामारी और इसके संक्रमण को फैलते देख, जिला प्रशासन के द्वारा नीलकंठ अस्पताल को किसी भी आपातकाल के लिए एक सौ बैड का आइसोलेशन अस्पताल के रूप में उपयोग किया जा रहा है। एसएमओ डाक्टर अनुज बिश्नोई के मार्गदर्शन में डाक्टर कोमल, नर्स बबिता बब्बू, राजेश कुमारी, नीलम दहिया, गुगनता, सोनिया सहित अन्य मेडिकल स्टाफ और टीम मौजूदा समय में नीलकंठ अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में उपचाराधीन करीब 45 कोविड संक्रमित संदिग्द्धों की रात-दिन देखभाल करने में जुटी हुई है। एसएमओ डाक्टर अनुज बिश्नोई और डाक्टर शिव कुमार चैहान ने बताया कि, किसी भी नर्स के लिए वास्तव में अस्पताल एक घर के समान और रोगी परिवार के सदस्य के बराबर होता है। कोई भी महामारी हो, वैसे तो सभी मेडिकल स्टाफ पूरी निष्ठा अज्ञैर समर्पण भाव से पीड़ितों-रोगियों की सेवा करते हैं। लेकिन नर्स, जिसे की आम बोलचाल की भाषा में सिस्टर भी कहते हैं, इनकी जिम्मेदारी और भी कई गुणा बढ़ जाती है।नीलकंठ अस्पताल की नर्स बबिता बब्बू, राजेश कुमारी, नीलम दहिया, गुगनता, सोनिया व अन्य ने अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर मिले अपने वरिष्ठ डाक्टरों के हाथों सम्मान सहित प्रोत्साहन पर प्रतिक्रिया में कहा कि , नर्सिंग कार्य उनके लिए कोई नौकरी या डयूटी न होकर सबसे पहले मानव की सेवा करना ही है। सभी धर्म, वर्ग, संप्रदाय के रोगी-पीड़ित उपचार के लिए आते हैं, वे सभी एक ही शब्द का अच्चरण सिस्टर के रूप में कह कर बुुलाते है। हम भी यहीं चाहते हैं कि कैसी भी महामारी, बिमारी, रोग हो , पीड़ित जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपने परिवार के बीच पहुंच जाए। कई बार अंजान पीड़ितो-रोगियों से उनके उपचार के दौरान ऐसा भावनात्मक रिश्ता बन जाता है कि, दोनों पक्षों के द्वारा भूलाये भी नहीं भूल पाते है। जब भी कोई रोगी अथवा पीड़ित स्वस्थ होने के बाद जो दुआये अथवा उनके परिजन दुआएं देते हैं, वहीं सही मायने में हम नर्सो को और अधिक हौंसला प्रदान करते अधिक उर्जा और समपर्ण से काम करने की प्रेरणा प्रदान करते है। Post navigation ’ठेको को लेकर ठनी‘ ’छोटी सरकार‘ और बड़ी सरकार के बीच ’शुरू तकरार‘ सब्जी आढ़तियों की मनमानी, प्रशासन बना बेचारा