सरकार के फैंसले से सरपंच एकता मंच को कड़ा एतराज.
सरकार ने प्रस्ताव लेने के बाद पंचायतों की अनदेखी की.
गुरूग्राम की 54 पंचायतों को छोड़ सभी प्रस्ताव थे मंजूर

फतह सिंह उजाला

पटौदी। कोविड 19 को लेकर लाॅक डाउन के बीच में ही सरकार के द्वारा शराब के ठेके खोले जाने खासकर देहात के क्षेत्र में ठेके खोलंे जाने को लेकर अभी से ग्रामींणों , वह भी महिलाओं में नाराजगी सामने आने लगी है। इसी बीच में सरपंच एकता मंच की पटौदी इकाई के द्वारा सरकार के इस फैंसले पर नाराजगी जाहिर की गई है कि पहले तो सरकार ने पंचायतों से गांव में ठेके नहीं खालने के प्रस्ताव मांगे और अब पंचायतों के प्रस्ताव को ही ठेंगा दिखा दिया है। ऐसा किया जाना लोगों के द्वारा चुनी गई छोटी सरकार और गांव की दस प्रतिशत आबादी की ठेके नहीं खोलनें की सहमति के साथ बड़र सरकार के द्वारा नाइंसाफी की जा रही है।

सरपंच एकता मंच के जिलाध्यक्ष एवं दौलताबाद के सरपंच अजित सिंह तो कि विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष भी है, का कहना है कि, बीजेपी-जेजेपी सरकार के द्वारा स्वयं ही पहल करके सभी ग्राम पंचायतों से गांव की दस प्रतिशत आबादी की सहमति युक्त प्रस्ताव मांगे गए कि, शर्त को पूरा करने वाले गांवों अथवा पंचायत में शराब के ठेके नए आबकारी सत्र से नहीं खोले जाएंगे या मंजूरी नहीं दी जाएगी। अजित सिंह के मुताबिक गांव में शराब के ठेके नही खोलने के फैंसले से सबसे अधिक महिला वर्ग में खुशी थी, जो कि अब सरकार के द्वारा लिये गए अथवा पंचायतों के प्रस्ताव की अनदेखी किये जाने से रोष का कारण बनने लगा है।

सरपंच एकता मंच के अध्यक्ष सरपंच अजित सिंह के मुताबिक गुरूग्राम जिला से विभिन्न 25 पंचायतो के द्वारा गांव की दस प्रतिशत आबादी के हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव गांवों में शराब के ठेके नहीं खोलने के समर्थन में सौंपे गए। इस योजना को सफल बनाने सहित अमलीजामा पहनाने के लिए हरियाणा के आबकारी आयुक्त के साथ में सरपंचों की बैठक भी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिला की 54 पंचायतों को छोड़कर अन्य पंचायतों के प्रस्ताव मंजूर भी कर लिये गए। सरपंच अजित सिंह के कथित आरोपानुसार एक प्रभावशाली अधिकारी के इशारे पर सारा खेल खेला गया और जिला की अधिकांश छोटी सरकार के फैसले को रद्द कर दिया गया। अधिकांश गांवों में शराब ठेके खोलने का रास्ता साफ कर दिया गया है।

इस फैंसले को लेकर अभी से गांवों में शराब के ठेके खोले जाने के खिलाफ ग्रामींणों के साथ-साथ ग्रामींण महिलाओं ने अपनी गोलबंदी भी आरंभ कर दी है। छोटी सरकार के प्रतिनिधियों का कहना है कि डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला उस राजनीतिक विरासत के वाहक हैं तो कि वादे की पक्की रही है। ऐसे में देेहात की भावना के खिलाफ जाकर गांवों में कथित जबरन शराब के ठेके खोले अथवा खुलवाये गए तो, देहात का माहौल सहित युवा वर्ग भी खराब होगा। इससे अधिक महत्वपूर्ण बात यह होगी कि डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला की राजनीतिक छवि झूठी वाह-वाह लुटने वाली ही भविष्य के लिए स्थापित होगी। सरकार के अपने फैसले से गांवों में शराब के ठेके खालने पर सभावित किसी भी प्रकार के जन विरोध, ठेके कोे हटाने सहित अन्य विवाद के लिए भी सरकार ही जिम्मेदार भी होगी।

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