केन्द्रीय श्रमिक संगठन – एआईयूटीयूसी ने ओंरगांबाद में रेलवे ट्रैक पर 16 प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक मौत पर गहरा दुःख व्यक्त किया। संगठन ने पीड़ित परिवारों के प्रति एकजुटता प्रकट की व दिवंगत श्रमिकों की दुखदायी मौतों पर आज 11 मई 2020 को शौक दिवस के रूप में मनाया। शोक संवेदना व्यक्त करते हुए केन्द्र व महाराष्ट्र सरकार से प्रत्येक पीड़ित परिवार को 50-50 लाख रुपये मुआवजा देने व दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हालात की जांच कर इसकी जिम्मेदारी तय करने की मांग की।

श्रमिक संगठन के जिला सचिव कामरेड श्रवण कुमार ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के प्रति केंद्र और कई राज्य सरकारों द्वारा बहुत ही अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।  उद्योगों और सेवा क्षेत्रों में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों को रोजगार से बाहर निकाल दिया गया है और उनके आवासों से बेदखल कर दिया गया और आकाश के नीचे अपने परिवार के सदस्यों के साथ भूखा मरने के लिए छोड़ दिया गया है। 

वास्तव में, उन्हें गरिमा और शालीनता के साथ ‘जीने के अधिकार’ से वंचित किया गया है। देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों को अब अपने घर लौटने के लिए ट्रेन का किराया देने के लिए कहा जा रहा है, जबकि आर्थिक रूप से वे ऐसा करने की स्थिति में नहीं हैं।  हम मांग करते हैं कि केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को उन श्रमिकों के ट्रेन किराये की भरपाई करनी चाहिए जिन्हें पहले से ही अपने यात्रा खर्च का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया है।  सरकार को उन्हें अपने मूल स्थानों तक पहुंचने तक भोजन, पेयजल, दवाइयां और अन्य आवश्यकताएं मुफ्त प्रदान करनी चाहिएं।  उनकी नौकरियों को सुरक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें लॉकडाउन अवधि की पूरी मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए।  उनके लिए वित्तीय राहत की व्यवस्था की जानी चाहिए।  प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थानों पर पहुंचाने की परिवहन प्रक्रिया को सुगम बनाया जाना चाहिए ताकि किसी प्रकार की शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का उन्हें शिकार ना होना पड़े।

कामरेड श्रवण कुमार ने घरेलू कुक, झाड़ू-पौचा करने वाली महिलाओं, पटरी-रेहड़ी लगाने वालों, चिनाई करने, दुकानों, होटल, ढ़ाबों में कार्य करने वालों और फैक्ट्री वर्करों, प्रवासी मजदूरों समेत असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिक जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है, उन्हें ₹10,000 / – प्रति माह की वित्तीय राहत प्रदान की जानी चाहिए, जब तक कि वे अपना सामान्य काम शुरू नहीं कर पाते हैं।  सस्ता राशन, गैस व स्वास्थ्य सुरक्षा समेत बुनियादी सुविधाओं का प्रबन्ध करने और रोजगार उपलब्ध कराने की भी मांग की।

श्रमिक नेता ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में भी प्रवासी श्रमिकों की मौत घर वापसी के दौरान रास्ते में दम तोड़ने जैसे प्रतिकूल हालात में हुई है। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस बारे अभी तक आंख बंद की हुई हैं। कार्य दिवस के घंटे बढ़ाने और नियोक्ताओं के पक्ष में काम की स्थिति में बदलाव के लिए ‘असाधारण परिस्थितियों’ की दलील पर श्रम कानूनों में मनमाने तरीके से बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।  केंद्र सरकार उस आदेश को तुरंत निरस्त करने को कहे जिसके तहत राज्य सरकारों ने काम के घंटे 8 से 12 घंटे प्रति दिन बढ़ा दिए हैं।  सामान्य स्थिति बहाल होने तक मौजूदा श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने का काम रोक दिया जाना चाहिए। 

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