-सुरक्षा इंतजाम के बिना कर्मचारी कोरोना के कैरियर हो सकते हैं। 

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। जिला प्रशासन ने सभी गाँवों के सरकारी विद्यालयों को उसी गाँव के लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाकर उनमें 6-6 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है ताकि गाँव का कोई भी व्यक्ति बाहर से आये तो उसे उस केंद्र में रखा जा सके। इनमें दो-दो कर्मचारी रॉस्टर अनुसार सुबह 8 से रात 8 और रात 8 से सुबह 8 बजे तक 12-12 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं।

 प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 10 प्रतिशत विद्यालयों में भी बाहर से कोई नहीं आया है, लेकिन प्रशासन के आदेश स्पष्ट न होने के कारण शेष 90 प्रतिशत से अधिक विद्यालयों में भी कर्मचारी ड्यूटी पर पहुँच रहे हैं, जिनकी वहाँ अभी कोई ज़रूरत ही नहीं है, उलटे ये दूसरे गाँवों और शहरों से आने वाले कर्मचारी उस गाँव में कोरोना के कैरियर हो सकते हैं।

 यदि प्रशासन समझदारी का परिचय देता तो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर यह निर्देश देता कि ड्यूटी जब कोई व्यक्ति क्वारंटाइन किया जायेगा तब से शुरू होगी, इससे सैंकड़ों कर्मचारी बेवजह लॉक डाउन में बाहर निकलने से बच जाते जो सभी के हित में है।

अकेले महेंद्रगढ़ सब डिवीज़न में ही 79 केंद्र बनाए गए हैं, जिन पर लगभग 500 कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जबकि वहाँ खातिवास, जांजड़ियावास और बेरी जैसे तीन-चार गाँवों को छोड़कर किसी भी केंद्र पर अभी कोई व्यक्ति नहीं आया है, किन्तु इसके बावजूद प्रतिदिन 300 से अधिक कर्मचारी बेवजह इधर उधर आ जा रहे हैं।

कुछ जगह ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा के मध्यनजर प्रशासन से माँग की है कि इन कर्मचारियों को उनके गाँव के विद्यालय में तभी बुलाया जाये, जब किसी को क्वारंटाइन किया जाये, बेवजह की आवाजाही रोकी जाए।उधर संपर्क करने पर कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें न तो मास्क ग्लव्ज, सेनिटाइजर आदि उपलब्ध करवाए गए हैं और न विद्यालयों में कोई क्वारंटाइन है, बस प्रशासन ने एक आदेश जारी करके उन्हें भेज दिया गया है।

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