भारत सारथी/ऋषिप्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। लॉकडाउन-3 राहतों के साथ आरंभ हुआ। लोगों को कुछ सुकून मिला लेकिन कोरोना पीडि़तों का आंकड़ा जबरदस्त रूप से बढ़ा। अगर कहें कि बढऩे की गति देख डर लगता है तो अनुचित नहीं होगा। दस दिन पूर्व देश में कोरोना पीडि़तों की संख्या 20 हजार के लगभग थी और आज 60 हजार के लगभग, मतलब दस दिन में तीन गुणा कहां जाएंगे, कहां रुकेंगे भयावह प्रश्न?
वर्तमान में दिखाई यह दे रहा है कि लोग कोरोना की चिंता में कम और कमाई की चिंता में अधिक हैं। यूं भी कह सकते हैं कि मौत से अधिक भूख से डर रहे हैं। कुछ अच्छे तरीके से कहें तो यह कहें कि समर्थ हैं उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो और अधिक समर्थ होने की सोच रहे हैं।

आज समाचार मिला कि वार्ड 19 के पार्षद अश्वनी शर्मा ने अपने निवास कम कार्यालय पर सेनेटाइजर बूथ बनाया, जिसका उद्घाटन निगम की मेयर ने किया। अपने आपमें यह कई सवाल खड़े कर गया।

पहला तो यह कि वहां किसी डॉक्टर की उपस्थिति थी या नहीं। दूसरा यह कि कुछ समय पूर्व निगम के चीफ इंजीनियर के साथ अन्य अधिकारी भी थे, ने सैक्टर-10ए के सिविल अस्पताल में सेनेटाइजर टनल बनाई थी। उसके बाद ही इएसआइ अस्पताल में हमारे विधायक ने भी ऐसी ही टनल बनाई थी। हमने तब भी निगम के अधिकारियों से पूछा था कि आपके साथ कोई डॉक्टर तो था ही नहीं और इस प्रकार का कार्य तो डॉक्टर ही करते हैं तो उससे जवाब मिला था कि निगम के डॉ. आशीष सिंगला हमारे साथ थे लेकिन निगम के डॉ. आशीष सिंगला से इस बारे में पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई और दो दिन बाद ही डब्ल्यूएचओ और एम्स से एडवाइजरी जारी हो गई थी कि इस किस्म के सेनेटाइजर टनल कहीं नहीं लगाए जाएंगे और आपको बता दूं कि इसके पश्चात से सैक्टर-10 और इएसआइ अस्पताल में ये सेनेटाइज टनल काम नहीं कर रहे। यह बात निगम की मेयर को ज्ञात न हो यह समझ से बाहर की बात है और यह सब जानते-बूझते पार्षद के इस सेनेटाइज बूथ का उद्घाटन करना सवाल तो खड़े करता है और अगर मेयर को इसकी जानकारी नहीं है तो भी सवाल खड़े करता है कि निगम की मेयर कोरोना महामारी में अपने क्षेत्र पर नजर नहीं रख रही है तो क्या यह उचित है?

वैसे ज्ञात हुआ है कि इएसआइ अस्पताल में जो टनल लगाई गई थी वह भी किसी कंपनी ने निशुल्क लगाई थी, उसका लक्ष्य यह था कि जिस प्रकार लगता है कि कोरोना का असर लंबे समय तक रहेगा तो यह सेनेटाइज टनल लगने की मांग बढ़ेगी और इसके एक टनल विधायक के हाथ लगवाने से उन्हें व्यापारिक लाभ मिलेगा और जानकारी प्राप्त हुई है कि ऐसा कुछ आज जो उद्घाटन मेयर ने किया है वहां भी है।

अब व्यापार की बात देखो तो ध्यान आता है कि सरकार की ओर से राहतें मिली हैं और इन राहतों में भवन निर्माण की भी राहत मिली है और देखा जा रहा है कि गुरुग्राम में जो फ्लैट संस्कृति चल रही है, वह लोग सक्रिय होकर निर्माण भी आरंभ कर चुके हैं। पता नहीं इनको इतनी जल्दी कहां से परमीशन मिल गई, कहां से इनका नक्शा पास हो गया और कहां से उन्होंने अधिकारियों को संतुष्ट कर दिया कि हम सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का इस प्रकार पालन कर रहे हैं, जबकि भवन निर्माण करने वाले आम आदमी अभी निगम के कार्यालयों में चक्कर लगा रहे हैं या चक्कर लगाने के बारे में सोच ही रहे हैं। यहां भी वही व्यापार वाली बात आती है सामने कि इतनी शीघ्र वह किस प्रकार निर्माण शुरू कर बैठे, जबकि देखा जाए तो उनमें कई स्थान तो ऐसे हैं, जिनका नक्शा पास होना किसी भी सूरत में संभव नहीं है। अत: यह कहा जा सकता है कि निगम की मिलीभगत से ही यह कार्य आरंभ हो गए और यहां भी व्यापार ही चलेगा।

दिल की बात तो यह है कि यह देख बहुत दुख होता है कि आज जब सारा शहर, क्या जिला, प्रदेश, देश और दुनिया महामारी के प्रकोप से पीडि़त है और इससे बचने की राह खोज रहे हैं, वहां ऐसे लोग भी हैं जो इस समय में भी अपने व्यापारिक हित तलाश रहे हैं। माना कि मनुष्य अनेक स्वभाव का होता है तो कुछ का यह स्वभाव यह हो सकता है कि धन कमाएं लेकिन जब जनता के नुमाइंदे और प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें संलिप्त नजर आएं तो फिर कहने को शब्द नहीं है, आप स्वयं ही सोचें, समझें और किसी की समझ में आए तो हमें लिखे।

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