पैदल , साइकिल से अपने घरों के लिए निकले. जैसे तैसे संक्रमण से बचकर सुरक्षित पहुंच जाये

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 महाराष्ट्र के जिला औरांगाबाद  में शुक्रवार को मालगाडी की चपेट में आए 16 प्रवासी श्रमिकों की ट्रेन से कटकर हुई मौत की घटना  के बाद भी हरियाणा प्रदेश में कोविड 19 के चलते लागू लॉक डाउन के बावजूद भी श्रमिकों का पलायन करने  का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस के नाकों से बच कर कच्चे रास्तों से मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के लिए लोग पैदल , साइकिल से अपने घरों के लिए निकल पडे है।

रोजगार के अभाव में मजदूरों का गुजर बसर करना लॉक डाउन में मुश्किल हो गया है। पलायन कर रहे लोगों को सबसे बडी चाहत तो इस महामारी से जान बचानी तो है ही साथ में परिजनों का प्यारे भी अपनी ओर खींच रहा है।  प्रदेश सरकार भले ही प्रवासियों को उनके प्रदेश भेजने की भले ही योजना बनाई गई हो लेकिन मजदूरों का मानों सरकार से विश्वास ही उठ गया और मजबूरी में उन्हें पैदल या साइकिल से भूखे प्यासे पलायन करना पड़ रहा है।  फर्रुखनगर क्षेत्र से हर रोज सैंकडों प्रवासी श्रमिकों का समुह छोटे छोटे बच्चे को गोदी मे, समान सिर पर और पीठ पर राशन पानी लाधकर निकल रहे है। उनका एक ही मिशन है कि जैसे तैसे करके वह अपने प्रदेश की सीमा में कोरोना संक्रमण से बचकर सुरक्षित पहुंच जाये। श्रमिकों का कहना है कि हरियाणा की प्रदेश सरकार कहने को तो रोज अखवार , टीवी पर समाचार के माध्यम से घोषणा कर रही है कि श्रमिकों को उनके घर सुरक्षित छोडने की योजना बन गई है।

लेकिन वह जिन गांव या शहर में दिहाडी ,मजदूरी, राजगीरी का कार्य करते थे, वहां केवल जनप्रतिनिधि उनके नाम की पिछले एक माह से लिस्ट बना रहे है कि उन्हें उनके प्रदेश भेजा जाएगा। जिससे सरकार की नीति से उनका विश्वास उठ गया और जो राशन बचा था उसे बीवी बच्चों व अन्य मजदूर साथियों के साथ पैदल या साइकिल से निकल पडे है। वह निकल तो पडे है लेकिन हालत यह है कि खाने को राशन, पीने के पानी की समस्या भी बन गई। गांवों से गुजरते है तो लोग उन्हें अछुत की नजर से देखते है। पीने का पानी भी वह सड़क के साथ बनी प्याऊ आदि से बोतल भर कर प्यास बुझा रहे है।

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