पीएम सूर्य घर मिशन के तहत दिसंबर 2025 तक 7 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा, लगभग 24 लाख घर सौर ऊर्जा से जुड़े
भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म ऊर्जा
गुरुग्राम, 14 दिसंबर 2025। ऊर्जा समिति द्वारा आज राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ऊर्जा के महत्व, उसके कुशल उपयोग और संरक्षण पर विस्तार से चर्चा की गई।
महासचिव संजय कुमार चुघ ने कहा कि राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस वर्ष 1991 से प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा की खपत को कम करना तथा ऊर्जा दक्षता के प्रति आमजन में जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा केवल बिजली या ईंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आधुनिक जीवन की आधारशिला है। घरों की रोशनी, उद्योगों का संचालन, परिवहन, डिजिटल सेवाएं, अस्पताल और विद्यालय आदि सभी ऊर्जा पर निर्भर हैं।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और तकनीकी उन्नति की नींव है। भारत की अर्थव्यवस्था के निरंतर विस्तार के साथ विश्वसनीय, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ ऊर्जा का कुशल और जिम्मेदार उपयोग भी उतना ही आवश्यक है।
भारत का ऊर्जा परिदृश्य
भारत विश्व के शीर्ष तीन ऊर्जा उपभोक्ता देशों में शामिल है। बिजली उत्पादन 2023-24 में 1,739.09 बिलियन यूनिट से बढ़कर 2024-25 में 1,829.69 बिलियन यूनिट हो गया, जो 5.21 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। जून 2025 में ऊर्जा की कमी मात्र 0.1 प्रतिशत रही, जबकि 241 गीगावॉट की पीक डिमांड शून्य कमी के साथ पूरी की गई।
31 अक्टूबर 2025 तक भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 505 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है, जिसमें 259 गीगावॉट से अधिक क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त हो रही है। इससे स्पष्ट है कि अब देश की 50 प्रतिशत से अधिक बिजली क्षमता सौर, पवन, जल और परमाणु ऊर्जा जैसे स्वच्छ स्रोतों पर आधारित है।
प्रमुख प्रयास
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत फरवरी 2024 से दिसंबर 2025 तक 23.9 लाख से अधिक घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित किए जा चुके हैं। वहीं, रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के अंतर्गत देशभर में 4.76 करोड़ स्मार्ट बिजली मीटर लगाए गए हैं। भवनों में ऊर्जा की खपत कम करने के लिए एनर्जी कंजरवेशन बिल्डिंग कोड और ऊर्जा दक्षता संहिताओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार तथा राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण चित्रकला प्रतियोगिता के माध्यम से उद्योगों, संस्थानों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
ऊर्जा संरक्षण केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि जनभागीदारी का विषय है। हर बचाई गई ऊर्जा इकाई देश की प्रगति में योगदान देती है। ऊर्जा दक्षता और संरक्षण भारत की विकास रणनीति का अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे, जिससे 2030 के जलवायु लक्ष्यों और ‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार किया जा सकेगा।








