मानवाधिकार दिवस पर गुरिंदरजीत सिंह का आह्वान

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“सभी नागरिकों को मिले समान अवसर, जातिगत आरक्षण पर पुनर्विचार जरूरी”**

गुरुग्राम, 11 दिसंबर। विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह (अर्जुन नगर) ने देश में समानता और न्याय की मूल भावना को पुनः स्थापित करने की पैरवी करते हुए कहा कि जातिगत आरक्षण अब नागरिक समानता और कार्यकुशलता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।

उन्होंने मानवाधिकार दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आज भी कई ऐसे प्रावधान हैं जो संविधान के मूल अधिकार—समान अवसर—को कमजोर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों को बराबरी का अवसर दे, लेकिन जातिगत आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था ने सामाजिक सद्भाव, भाईचारे और समानता पर नकारात्मक असर डाला है। कई बार योग्य और परिश्रमी नागरिकों के साथ अन्याय होता है।”

“प्रतिभा के साथ अन्याय—देश की प्रगति पर असर”

गुरिंदरजीत सिंह ने स्पष्ट कहा कि जातिगत आरक्षण के कारण कई बार कम अंक या कम क्षमता वाले उम्मीदवार महत्वपूर्ण पदों पर पहुँच रहे हैं, जबकि अधिक योग्य युवा अवसरों से वंचित रह जाते हैं।

उन्होंने कहा, “जब कम प्रतिभा वाला व्यक्ति सिर्फ आरक्षण के आधार पर जिम्मेदारी भरे पदों पर पहुंचता है, तो कार्य गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसका सीधा असर देश की प्रगति, विकास गति और प्रशासनिक दक्षता पर पड़ता है।”

प्रतिभा का पलायन—भारत के लिए बड़ी चेतावनी

उन्होंने चिंता जताई कि अवसरों की असमानता और जातिगत आरक्षण के कारण भारत के हजारों प्रतिभाशाली युवाओं को विदेशों का रुख करना पड़ रहा है।

“अमेरिका समेत कई देशों की तरक्की में भारतीय मूल के डॉक्टर, इंजीनियर और IT विशेषज्ञ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे अपनी प्रतिभा का उपयोग भारत के लिए कर सकते थे, लेकिन अवसरों के अभाव ने उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह स्थिति भारत के लिए हानि है,” उन्होंने कहा।

“जातिगत आरक्षण पर अब पुनर्विचार का समय”

इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि शिक्षा आज सभी के लिए मुफ्त और सुलभ है, ऐसे में जातिगत आरक्षण जारी रखना समानता के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।

उन्होंने सुझाव दिया, “आरक्षण का आधार जाति नहीं, बल्कि आर्थिक स्थिति और वास्तविक जरूरत होनी चाहिए। इससे जाति-आधारित विभाजन खत्म होगा और लाभ भी उन्हीं जरूरतमंद लोगों को मिलेगा जिनके लिए आरक्षण की अवधारणा बनाई गई थी।”

“समान अवसर—मानवाधिकार का असली अर्थ”

मानवाधिकार दिवस पर उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे समानता और बिना भेदभाव के अवसर प्रदान करने वाले वातावरण के निर्माण का संकल्प लें।

उन्होंने कहा, “सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें किसी भी नागरिक को जातिगत आरक्षण की बाधा का शिकार न होना पड़े। प्रतिभावान युवाओं को सम्मान और अवसर मिलें—यही सच्चा मानवाधिकार है।”

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Author: Bharat Sarathi

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