
चंडीगढ़, 26 मार्च 2025: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दसवें दिन, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के विधायक अर्जुन चौटाला ने चिराग योजना को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत फीस माफी के बावजूद गरीब बच्चों की शिक्षा पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बना हुआ है, क्योंकि उन्हें किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क स्वयं वहन करना पड़ता है।
उन्होंने सदन में सवाल उठाते हुए पूछा कि:
- प्रदेश में कितने प्राइवेट स्कूलों ने अब तक चिराग योजना के तहत मान्यता प्राप्त नहीं की है? सरकार को उनकी सूची जारी करनी चाहिए।
- क्या चिराग योजना के तहत स्कूलों में इस्तेमाल होने वाली किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन भी मुफ्त किए जाने का कोई प्रावधान है?
- राज्य में मास्टर प्लान के तहत सरकारी स्कूलों के लिए आरक्षित की गई कितनी साइटें बाद में प्राइवेट निवेशकों को बेची गई हैं? इस पर सरकार को एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
गरीब बच्चों के लिए शिक्षा बनी चुनौती
अर्जुन चौटाला ने कहा कि शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सालाना ₹1,80,000 तक की आय वाले गरीब बच्चों को चिराग योजना के तहत मुफ्त शिक्षा दी जाए। लेकिन अनेक प्राइवेट स्कूल इस योजना को लागू करने में आनाकानी कर रहे हैं, जिससे गरीब बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि यदि कोई बच्चा ₹1100 मासिक फीस नहीं दे सकता, तो वह 3-4 हजार रुपये की किताबें और ड्रेस कैसे खरीदेगा? इसलिए सरकार को चिराग योजना में फीस माफी के साथ-साथ किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क को भी शामिल करने की नीति बनानी चाहिए।
सरकार से नीति बनाने की मांग
अर्जुन चौटाला ने जोर देकर कहा कि सरकार को चिराग योजना के दायरे को बढ़ाकर गरीब बच्चों को पूरी तरह निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करानी चाहिए। इसके लिए स्कूलों में किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क को भी योजना में शामिल करने की नीति बनाई जाए। इससे उन गरीब बच्चों को राहत मिलेगी, जो फीस तो माफ होने के बावजूद अन्य खर्चों के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।