भारत को ताइवान की तकनीक से मिल सकता है लाभ

सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को कूटनीतिक समाधान निकालना चाहिए

गुरुग्राम : प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन दीपक मैनी ने भारत-ताइवान के बीच संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को लेकर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि ताइवान द्वारा भारत को सेमीकंडक्टर और उच्च तकनीकी उत्पादों के संयुक्त उत्पादन में सहयोग देने का प्रस्ताव भारत के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है।

दीपक मैनी ने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद सेमीकंडक्टर विनिर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल की कमी हो गई इससे सेमीकंडक्टर का उत्पादन प्रभावित हो गया था। जिस प्रकार से ताइवान पर चीन के हमले की संभावना प्रबल होती जा रही है। यदि ताइवान पर चीन भविष्य में कोई हमला करता है तो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों खासकर सेमीकंडक्टर से संबंधित ग्लोबल सप्लाई चैन टूट जाएगा। इसे देखते हुए सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत का आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक है। इस दिशा में भी ताइवान लगातार भारत की मदद करने को इच्छुक है।

पीएफटी चेयरमैन के अनुसार, भारत वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और आईसीटी उत्पादों के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है, जिसके कारण व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। 2023-24 में भारत का चीन से आयात 101.75 अरब डॉलर था, जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर रहा। यदि भारत ताइवान के साथ तकनीकी साझेदारी करता है, तो देश “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ संबंधों को लेकर संतुलन बनाए रखना जरूरी है। चीन पहले ही दुनिया के कई देशों को यह चेतावनी दे चुका है कि वे ताइवान के साथ औपचारिक द्विपक्षीय व्यापार समझौता न करें। यदि भारत इस दिशा में कदम बढ़ाता है, तो यह चीन के साथ कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

दीपक मैनी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए और कोई ऐसा समाधान निकाले जिससे भारत को ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिले, लेकिन चीन के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों में अनावश्यक तनाव न आए।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार आवश्यक हैं, जिससे देश तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सके और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब बन सके। भारत पिछले कुछ समय से इस दिशा में लगातार पहल कर रहा है। कॉविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की किल्लत हुई थी। इसी के बाद से ही भारत इस मामले में आत्मनिर्भर बनने की ओर लगातार आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में ताइवान की ओर से भारत को जो ऑफर मिला है वह एक सुनहरा अवसर है इसे सिर्फ चीन की नाराजगी के कारण नहीं खोया जा सकता है। मैनी ने कहा कि उन्हें बात की पूरी उम्मीद है कि भारत सरकार कोई न कोई बीच का रास्ता निकाल कर ताइवान के साथ मिलकर चिप का विनिर्माण भारत के अंदर कर सकते हैं। ताइवान अपनी पूरी टेक्नोलॉजी भी देने को तैयार है।

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