
चंडीगढ़, रेवाड़ी, 16 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा भाजपा सरकार पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार बिना पर्ची-खर्ची सरकारी नौकरियां देने का ढोल पीट रही है, तो दूसरी ओर सुनियोजित तरीके से प्रदेश की प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियां हरियाणा के बाहर के लोगों को बेची जा रही हैं।
विद्रोही ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में हरियाणा लोक सेवा आयोग ने सिंचाई विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के 49 पदों पर भर्ती की, जिनमें 28 पद हरियाणा से बाहर के उम्मीदवारों को दे दिए गए। इसी तरह, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर के 394 पदों में से 75% पद बाहरी उम्मीदवारों को दिए गए। सिविल जज के 110 पदों में से 60 पद हरियाणा से बाहर के अभ्यर्थियों को सौंप दिए गए। वहीं, तकनीकी शिक्षा विभाग के 153 सामान्य वर्ग के पदों में से 106 पद बाहरी उम्मीदवारों को दे दिए गए।
हरियाणा के युवाओं से हो रहा अन्याय?
विद्रोही का आरोप है कि यह सिर्फ पिछले चार से पांच महीनों में हुई भर्तियों के उदाहरण हैं। पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार ने लगातार हरियाणा के युवाओं को द्वितीय दर्जे का नागरिक बना दिया है। जहां तीसरी श्रेणी (ग्रुप C व D) की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को सीमित अवसर मिलते हैं, वहीं प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों से उन्हें बाहर कर दिया जाता है।
विद्रोही ने सवाल उठाते हुए कहा:
“क्या हरियाणा के युवाओं के लिए केवल चपरासी, चौकीदार और सिपाही की नौकरियां बची हैं, जबकि अधिकारी स्तर की नौकरियां बाहरी लोगों को दी जा रही हैं? क्या यह प्रदेश के युवाओं के साथ धोखाधड़ी नहीं है?”
“संघी पर्ची-खर्ची” से नौकरियों की नीलामी?
विद्रोही ने भाजपा सरकार पर संघी एजेंडे के तहत प्रशासन पर बाहरी लोगों का कब्जा कराने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियां मोटी रकम लेकर बेची जा रही हैं और प्रशासनिक तंत्र को संघ समर्थकों से भरकर प्रदेश के मूल निवासियों को हाशिये पर धकेला जा रहा है। वहीं, सरकार बिना पर्ची-खर्ची नौकरी देने का झूठा प्रचार कर जनता को गुमराह कर रही है।
निष्कर्ष
विद्रोही का यह बयान हरियाणा में सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अगर सरकार के दावों और हकीकत में इतना बड़ा अंतर है, तो यह प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ विश्वासघात से कम नहीं। क्या हरियाणा के प्रतिभाशाली युवाओं को उनका हक मिलेगा या फिर नौकरियों की यह बंदरबांट ऐसे ही जारी रहेगी?