गुरुग्राम, 15 मार्च 2025 – हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन को लेकर पार्टी के भीतर सवाल उठने लगे हैं। अन्ना हजारे आंदोलन के हरियाणा के पूर्व संयोजक पी. एल. कटारिया ने कांग्रेस हाईकमान को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पार्टी नेतृत्व ने समय रहते सही फैसले नहीं लिए, तो कांग्रेस को आने वाले समय में और बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कटारिया ने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और सांसद कुमारी सैलजा की उपेक्षा करना पार्टी को भारी पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा के 22% से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सैलजा से जुड़े हुए हैं और वे कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित हैं। लेकिन सैलजा की अनदेखी के कारण ये लोग चुनावों में निष्क्रियता दिखा रहे हैं, जिससे कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो रहा है।

विधानसभा के बाद निकाय चुनाव में भी दोहराई गई गलती

गुरुग्राम नगर निगम चुनाव में कांग्रेस नेताओं को सलाह दी गई थी कि वे कुमारी सैलजा की जनसभा कराएं। लेकिन, विधानसभा चुनाव में की गई गलती को निगम चुनाव में भी दोहराया गया, जिसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा। कटारिया ने आरोप लगाया कि हरियाणा कांग्रेस अब “एक परिवार की पार्टी” बनकर रह गई है, जिससे संगठन कमजोर हो रहा है।

“सोतेला व्यवहार हो रहा है” – पी. एल. कटारिया

पूर्व अन्ना आंदोलनकारी पी. एल. कटारिया ने कहा कि अन्ना हजारे आंदोलन से जुड़े कई लोग भाजपा और आम आदमी पार्टी में चले गए, लेकिन वह खुद हजारों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए, क्योंकि उन्हें कुमारी सैलजा के नेतृत्व पर विश्वास था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनका सामाजिक आंदोलन ठप हो गया और पार्टी में उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

राहुल गांधी को बताई पार्टी की स्थिति

कटारिया ने बताया कि उन्होंने हरियाणा कांग्रेस में चल रही अंदरूनी राजनीति और अपने साथियों की उपेक्षा को लेकर राहुल गांधी से भी बातचीत की है। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से मांग की कि पार्टी को एक परिवार विशेष तक सीमित न रखा जाए और कुमारी सैलजा जैसे मजबूत नेताओं को उचित स्थान दिया जाए, ताकि पार्टी को और नुकसान से बचाया जा सके।

कांग्रेस के लिए चेतावनी!

पी. एल. कटारिया का बयान कांग्रेस पार्टी के लिए एक चेतावनी की तरह है। अगर कांग्रेस नेतृत्व ने आंतरिक कलह और गुटबाजी को नहीं सुलझाया, तो आगामी चुनावों में पार्टी को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

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