रेवाड़ी, गुरुग्राम, 15 मार्च 2025: स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने अहीरवाल क्षेत्र में वर्षा और ओलावृष्टि से हुई फसलों की भारी क्षति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इसे किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक आपदा करार दिया।

विद्रोही ने बताया कि वीरवार और शुक्रवार को हुई बारिश और ओलावृष्टि से अहीरवाल के रेवाड़ी जिले में कोसली, नाहड़, डहीना, जाटूसाना और धारूहेड़ा क्षेत्र के लगभग सौ गांवों में सरसों और गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इससे पहले, दिसंबर के अंतिम सप्ताह और मार्च के पहले सप्ताह में भी इसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा किसानों पर भारी पड़ी थी।

सरकार पर उदासीनता के आरोप

विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार ने अभी तक नष्ट फसलों की विशेष गिरदावरी और सत्यापन की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह लापरवाही किसानों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है क्योंकि इससे बीमा कंपनियों को किसानों को मुआवजा न देने का बहाना मिल जाएगा।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब खेतों में सरसों और गेहूं की फसल पूरी कट चुकी होगी, तब गिरदावरी और सत्यापन का क्या औचित्य रहेगा? सरकार ने 15 मार्च से सरसों की एमएसपी पर खरीद का आदेश जारी किया है और 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होगी, ऐसे में विशेष गिरदावरी की देरी किसानों के हितों के खिलाफ है।

किसानों के लिए ठोस मुआवजे की मांग

विद्रोही ने सरकार से मांग की कि नष्ट फसलों के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा बिना किसी शर्त के किसानों को दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में ठोस नीति बनाकर तुरंत क्रियान्वयन करना चाहिए ताकि किसानों को उनके नुकसान की भरपाई हो सके।

किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विद्रोही ने सरकार से शीघ्रता से कार्यवाही करने की अपील की है।

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