-कमलेश भारतीय

इतिहास बताता है साफ साफ कि कभी जयचंदों को राज नहीं मिले, सदा इनाम ही मिले हैं! महाराष्ट्र में महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस पर बनती सहमति देखकर पता नहीं क्यों यह इतिहास की याद आ गयी!

महाराष्ट्र में महायुति जीत गयी और मुख्यमंत्री पद के तीन तीन दावेदार सामने आये । उद्धव ठाकरे की शिवसेना से अलग होकर सरकार गिराकर, खुद असली शिवसेना बनाकर मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे । इसी तरह राकांपा से अलग होकर सरकार में शामिल हुए गुट की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व महाअघाड़ी के चाणक्य रहे शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी तीसरे दावेदार थे । अजित ने अपने चाचा तो एकनाथ शिंदे ने अपने आका उद्धव ठाकरे को पटकनी देकर भाजपा का साथ लेकर सरकार बना ली और उच्च पद भी ले लिये जबकि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद पर ही संतोष करना पड़ा मनमसोस कर ! शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के महाअघाड़ी को चित्त गिरा कर भाजपा के चाणक्य अमित शाह का मन कुछ ठंडा हुआ, तब संविधान का कोई काम नहीं था । अब ‘संविधान दिवस’ मनाते भाजपा ने देश भर में कार्यक्रम आयोजित करवाकर यह पाप धोने का प्रयास किया है, ऐसा लगता है ! यह संविधान भी जैसे खिलौना हो गया, जब चाहे, जैसी चाहे मान्यता दे दो ! यह संविधान न हुआ, सत्ताधारी दल का खिलौना हो गया ! संविधान संविधान का शोर मचाने वाली कांग्रेस ने अभी तक हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा नहीं की !

अब महाराष्ट्र में महायुति के मुख्यमंत्री पद पर मजे़दार खेल देखने को मिल रहा है । अब भाजपा के सबसे ज्यादा विधायक चुनकर आये हैं यानी भाजपा अब ड्राइविंग सीट पर आ गयी है और शिंदे और अजित पवार सिर्फ सवारियां रह गयीं दो ! जैसे कभी पंजाब व हरियाणा में हुआ करता था, इनेलो व अकाली दल ड्राइविंग सीट पर तो भाजपा सवारी ! वहां भी भाजपा से गठबंधन टूटा और फिर जजपा के साथ सरकार बना ली ! अब जजपा लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कहीं की नहीं रही और भाजपा तीसरी बार सरकार बना गयी । साफ संकेत हैं कि भाजपा ने हरियाणा में इनेलो, जजपा व पंजाब में अकाली दल को धरती पर ला दिया बड़ी राजनीतिक शतरंज से ! महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को धरातल दिखाया, कांग्रेस भी सिमट गयी और शरद पवार को भी चाणक्य नहीं रहने दिया ! अब तो भतीजा अजित कह रहा है कि चचा संन्यास ले लो, छोड़ दो राजनीति लेकिन शरद कह रहे हैं कि 84 की उम्र में भी यह फैसला मैं ही लूंगा, तुम कौन होते हो ?

इसके बावजूद अगर शिंदे और अजित इशारों को अगर समझ रहे हों या दीवार पर लिखी इबारत पढ़ सकते हों तो अब बारी इनको समेटने की है भाजपा की ओर से ! शिंदे यह दावा नहीं कर सकते कि उनके नेतृत्व में महायुति ने प्रचंड बहुमत पाया है और‌ न ही उन्हें कोई इसके इनाम में मुख्यमंत्री पद मिलने वाला है । इसी बात को भांपते हुए शिंदे ने मुख्यमंत्री पद पर दावा छोड़ देने में ही समझदारी समझी ! फिर अजित पवार तो क्या ही दावा करेंगे ? जयचंदों को कभी राज नहीं मिलता, उनका इस्तेमाल होता है राज पाने के लिए और यह बात इन दोनों को अच्छी तरह समझ आ रही होगी ! अब उपमुख्यमंत्री पद के झुनझुने से खेलते रहना पांच साल ! वैसे भी शायर कैस़र कह गये हैं :

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
कि आस-पास की लहरों को भी पता न लगे!
अब सुकून से डूब जाना पांच साल में!!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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