भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया है। इधर हाईकोर्ट ने हुड्डा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। दरअसल इंडस्ट्रियल प्लॉट आबंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई पर पंचकुला पीएमएलए कोर्ट ने 6 महीने पहले रोक लगा दी थी। ईडी ने इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं, उन्हें पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने नोटिस देकर इंडस्ट्रियल प्लॉट आबंटन मामले में नोटिस दिया गया है। दरअसल इस मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई पर पंचकुला पीएमएलए कोर्ट ने 6 महीने पहले रोक लगा दी थी। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने हुड्डा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

इस मामले पर एडिशनल सालिसिटर जनरल आफ इंडिया एसवी राजू ने ईडी का पक्ष रखा था। ईडी ने दलील दी कि मामला औद्योगिक भूखंडों के आबंटन से संबंधित है। उस समय सीएम हुड्डा हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट ऑथोरिटी के अध्यक्ष थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि आबंटन मानदंडों को अंतिम रूप देने के लिए फाइल को लंबे समय तक अपने पास रोके रखा। उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और आवेदन आमंत्रित करने की 6 जनवरी, 2016 की समय सीमा के बाद 24 जनवरी, 2016 को मानदंड बदल दिए। बता दे कि इस मामले में सीबीआई ने पहले से ही मामला दर्ज किया हुआ है। जबकि ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया हुआ है।

ईडी ने आदेश को चुनौती दी, आवेदन में कहा ऐसा
ईडी ने अपने आवेदन में कहा है कि जांच के बाद फरवरी 2021 में पंचकूला की विशेष कोर्ट के समक्ष मामला दायर किया गया था। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और 15 मई 2024 के आदेश के अनुसार पीएमएलए मामले की सुनवाई को ‘सीबीआई द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक’ रोक दिया था। ईडी ने इसी आदेश को चुनौती दी है। ईडी ने कहा है कि विशेष न्यायाधीश ने इस तथ्य को गलत तरीके से नजरअंदाज कर दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग अपराध स्वतंत्र था।

सीबीआई व ईडी की जांच अलग-अलग
ईडी ने कहा है कि एक ही मामले पर दो अलग-अलग जांच हो रही हैं। इसमें सीबीआई व ईडी की जांच अलग है। दरअसल मनी लॉन्ड्रिंग एक अलग अपराध है, इसलिए कि इस विषय पर सीबीआई जांच से कोई लेना-देना नहीं है।ये मामले एक ही विषय पर हैं, लेकिन इसकी जांच अलग है। ऐसी संबंधित कार्रवाई पर रोक के आधार पर मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाना कानूनी दृष्टि से ठीक नहीं था।

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