मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री प्रदेश में डीएपी खाद की कोई कमी नही होने का झूठा राग अलापकर किसानों के जले पर नमक छिडकने का काम कर रहे है : विद्रोही कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा अपनी सरकार की असफलता स्वीकार करने की बजाय उल्टा किसानों पर ही आरोप लगा रहे है कि किसान ही ज्यादा खाद खरीदकर डीएपी खाद की कमी पैदा कर रहे है : विद्रोही कृषि मंत्री ने यहां तक जुमला उछाल दिया कि गेंहू की बिजाई एक जनवरी तक होती है, अभी तो गेंहू की बिजाई शुरू ही हुई है : विद्रोही 06 नवम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि रबी फसल बिजाई के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध करवाने में अक्षम भाजपा सरकार के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा अपनी सरकार की असफलता स्वीकार करने की बजाय उल्टा किसानों पर ही आरोप लगा रहे है कि किसान ही ज्यादा खाद खरीदकर डीएपी खाद की कमी पैदा कर रहे है जबकि खाद की कोई कमी नही है। विद्रोही ने कहा कि कल एक न्यूज चैनल की डिबेट में मेरी स्वयं की मौजूदगीे में कृषि मंत्री ने यहां तक जुमला उछाल दिया कि गेंहू की बिजाई एक जनवरी तक होती है, अभी तो गेंहू की बिजाई शुरू ही हुई है। डीएपी खाद की कमी कहां है, किसान व कांग्रेस व्यर्थ में डीएपी खाद की कमी का शोर मचा रहे है। कृषि मंत्री इससे अधिक गैरजिम्मेदाराना बयान और क्या दे सकते है? कृषि मंत्री को यह तक नही मालूम कि दक्षिणी हरियाणा में गेंहू की बिजाई अंतिम चरण में है और यहां खाद की इतनी भारी कमी है कि किसान ब्लैक में डीएपी खाद खरीदने को मजबूर है। विद्रोही ने कहा कि कृषि मंत्री इस कथन को भी बडी चालाकी से छिपा गए कि दक्षिणी हरियाणा व अहीरवाल का किसान सरसों की बिजाई लगभग पूरी कर चुका है और पूरी सरसों बिजाई के समय किसान डीएपी खाद के लिए तरसता रहा है। मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री प्रदेश में डीएपी खाद की कोई कमी नही होने का झूठा राग अलापकर किसानों के जले पर नमक छिडकने का काम कर रहे है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि यदि डीएपी खाद की कोई कमी नही है, तो वे हरियाणा का एक भी जिला, तहसील, ब्लॉक का नाम बता दे जहां खाद की कमी नही न हो और किसान खाद पाने के लिए मारामारी नही कर रहा हो। जो सरकार डीएपी खाद की कमी को ही स्वीकार करने को तैयार नही, ऐसी किसान विरोधी सरकार के मुख्यमंत्री किसानों के लिए पर्याप्त खाद की व्यवस्था करेंगे, यह सोचना भी बेमानी है। Post navigation हैल्थ विभाग में अगर अधिकारी राजनीतिक प्रभाव दिखाता है तो उसकी नौकरी जा सकती है