विधानसभा चुनावों ने फिर साबित कर दिया कि कांग्रेस ही कांग्रेस को हरा रही है और कांग्रेस नेतृत्व बार-बार मिल रही हार से सबक लेकर कोई भी कठोर कदम उठाने की बजाय यथास्थितिवाद में बना हुआ है : विद्रोही

जिन नेताओं की सिफारिश पर बल्लभगढ़, तिगांव व अम्बाला कैंट से जमानत जब्त उम्मीदवारों को टिकट दिलवाई, वे नेता कांग्रेस हितैषी नही हो सकते : विद्रोही

23 अक्टूबर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि यदि कांग्रेस को हरियाणा में मजबूती से भाजपा का मुकाबला करना है तो तत्काल अपना संगठन भी बनाना होगा और हरियाणा विधानसभा चुनाव की हार की जवाबदेही भी साथ-साथ तय करनी होगी। विद्रोही ने कहा कि विधानसभा चुनावों ने फिर साबित कर दिया कि कांग्रेस ही कांग्रेस को हरा रही है और कांग्रेस नेतृत्व बार-बार मिल रही हार से सबक लेकर कोई भी कठोर कदम उठाने की बजाय यथास्थितिवाद में बना हुआ है। यह यथास्थितिवाद ही कांग्रेस को कमजोर व भाजपा को मजबूत कर रहा है। भाजपा का मुकाबला बातों, दावों, भाषणों से नही हो सकता। यदि भाजपा का मुकाबला करना है तो कांग्रेस को 24 घंटे सातों दिन जमीन पर रहकर न केवल लडना होगा अपितु नेताओं की जवाबदेही भी तय करने के साथ दरबारी नेताओं से भी छुटकारा पाना होगा।

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा में चुनावी हार की जवाबदेही उन तीन विधानसभा  क्षेत्रों वल्लभगढ़, तिगांव व अम्बाला कैंट से शुरू कर सकता है जहां कांग्रेस उम्मीदवारों की विधानसभा चुनावों में जमानत जब्त हुई है। कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त जन माहौल होने पर भीे हरियाणा में न केवल चुनाव हारी अपितु उपरोक्त तीनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हुई। इतने जनसमर्थन के बाद भी कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त होना प्रमाण है कि कांग्रेस नेतृत्व ने जिन लोगों को उम्मीदवारों के बारे में सर्वे की जिम्मेदारी सौपी थी, उन्होंने कांग्रेस के साथ बेईमानी व धोखाधडी की है। वहीें जिन नेताओं की सिफारिश पर बल्लभगढ़, तिगांव व अम्बाला कैंट से जमानत जब्त उम्मीदवारों को टिकट दिलवाई, वे नेता कांग्रेस हितैषी नही हो सकते। 

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व सबसे पहलेे बल्लभगढ़, तिगांव व अम्बाला कैंट से जमानत जब्त उम्मीदवारों को टिकट दिलवाने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करे और इसके लिए जवाबदेह नेताओं को भी कम से कम तीन साल तक राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर कोई भी पद न दे और उन्हे निर्देश दे कि वे कम से कम तीन साल तक एक कार्यकर्ता की तरह अपने-अपने राज्य में जमीन पर पसीरना बहाये, तभी भविष्य में पार्टी उनको महत्व देगी। यदि कांग्रेस नेतृत्व ऐसा साहस दिखाये तो कांग्रेस जमीन पर मजबूत होनीे अपने आप शुरू हो जायेगी। वहीं टिकटों में खेल करने वाले दरबारी नेता पार्टी के साथ दगाबाजी करके निजी हित की औच्छीे गंदी राजनीति करने से पहले लाख बार सोचेंगे। वहीं विद्रोही ने कहा कि 11 साल तक कांग्रेस का हरियाणा में संगठन न बनाना कांग्रेस नेतृत्व की कमजोरी की निशानी है। कमजोर नेतृत्व कोई बडा बदलाव देश व समाज में नही कर सकता। ऐसी स्थिति में कांग्रेस नेतृत्व को सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने आचरण से दिखाना होगा कि वह कमजोर नही है और इसकी शुरूआत हरियाणा से करते हुए हर हालत मेें एक माह के अंदर कांग्रेस के प्रदेश, जिला व ब्लॉक पदाधिकारियों की घोषणा करे दे फिर चाहे हरियाणा के नेता कुछ भी बहानेबाजी व अंडेंगे ही क्यों न लगाये।    

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