भाजपा प्रत्याशी आरती राव का प्रचार करने गए अटेली के निवर्तमान विधायक सीताराम यादव का भी ग्रामीणों ने किया विरोध, पूछा कहां थे 5 साल ?
भारत सारथी कौशिक
नारनौल। जिला महेंद्रगढ़ में भाजपा नेताओं का विरोध जोर पकड़ने लगा है। नांगल चौधरी के भाजपा विधायक डॉ अभय सिंह का गहली और कोरियावास गांव में विरोध के बाद बृहस्पतिवार को अटेली विधानसभा के गांव स्याणा में भाजपा के निवर्तमान विधायक सीताराम यादव को ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा। ग्रामीणों का गुस्सा तब फूट गया तब वह विकास कार्य ने करने के बावजूद विकास गिनाने लगे।
अटेली विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी आरती राव के समर्थन में गांव स्याणा आए निवर्तमान विधायक सीताराम यादव को ग्रामीणों ने घेर लिया। लोग उनसे सवाल जवाब पूछने लगे और कहने लगेगी 5 साल तक आप कहां थे 5 साल तक आपने गांव वालों की कोई सुध नहीं ली। जब विधायक ने खूब विकास कार्य करने का दावा किया तो ग्रामीणों ने इस पर उनका विरोध किया इससे पहले नांगल चौधरी हल्के में अभय सिंह यादव को भी युवाओं ने रोजगार और पानी के मुद्दे पर घेरा।
गुरुवार को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी एवं भाजपा प्रत्याशी आरती राव का गांव स्याणा में कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में अटेली के पूर्व विधायक सीताराम यादव भी गए थे ।सीताराम यादव को वहां ग्रामीणों में घेर लिया और उनसे सवाल जवाब करने लगे। ग्रामीणों ने कहा कि आप आज वोट कैसे मांगने आ गए 5 साल तक आप कहां थे और गांव में आपने कितने विकास कार्य करवाए हैं। इसको लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखने को मिली।
अबकी बार पूर्व विधायक सीताराम यादव की टिकट काटकर आरती राव को दे दी गई है लेकिन आरती राव के बाहरी प्रत्याशी होने के कारण ग्रामीणों में भारी रोष है।
अटेली के पूर्व विधायक सीताराम यादव का ग्रामीणों विरोध की यह वीडियो सोशल मीडिया में भी तेजी से वायरल हो रही है। क्योंकि अब लोग 5 साल का हिसाब मांगने लग गए। इसी तरह के दो वीडियो नांगल चौधरी के निवर्तमान विधायक डॉ अभय सिंह यादव के गांव गहली व कोरियावास के भी वायरल हो रहे हैं।
जब से विधानसभा चुनाव का प्रचार शुरू हुआ है भाजपा प्रत्याशियों का ग्रामीण सभा में भारी विरोध हो रहा है । इसका ताजा उदाहरण दो दिन से नांगल चौधरी के विधायक और सिंचाई मंत्री का लगातार क्षेत्र में विरोध देखने को मिल रहा है।
इस विरोध का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि चुनाव जीतने के बाद ये जनप्रतिनिधि गांवों व जनता की सुध नहीं लेते। चुनाव जीतने के बाद उनके अंदर अहंकार आ जाता है। जनता चुनाव के समय ही अपनी सारी भड़ास निकालती है।
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