हुड्डा ने जीत के बाद दान सिंह को डिप्टी सीएम बनाने का किया ऐलान मोर्चों पर घेराबंदी… यादवों के वोट बंटेंगे, ब्राह्मण राजपूत निर्णायक भूमिका में अशोक कुमार कौशिक महेंद्रगढ़ सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर तब कांग्रेस के राव दान सिंह ने पंडित रामबिलास शर्मा को एक बड़े अंतर से हरा दिया था। इस बार भाजपा ने रामबिलास शर्मा की अंतिम चरणों में टिकट काट दी। महेंद्रगढ़ सीट से इस बार कुल 13 उम्मीदवार मैदान में है। जिनमें कांग्रेस पार्टी का मुकाबला आम आदमी पार्टी और दो निर्दलीयों के साथ है। वर्तमान में इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। कांग्रेस से राव दान सिंह को पार्टी का टिकट दिया गया है। उनके नामांकन में आए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनको बड़ी जिम्मेदारी (डिप्टी सीएम) देने का एलान भी कर दिया। जबकि भाजपा ने इस बार पूर्व जिलाध्यक्ष कंवर सिंह यादव को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी से डॉक्टर मनीष यादव, इनेलो ने सुरेंद्र कौशिक, आजाद समाज पार्टी काशीराम से शशि कुमार, भारतीय आशा पार्टी विष्णु यादव, राष्ट्रवादी जन लोक पार्टी से राकेश सिंह, पुष्कर राज गुप्ता निर्दलीय, नरेंद्र कुमार निर्दलीय, संदीप सिंह एसडीएम निर्दलीय, बलवान सिंह फौजी निर्दलीय, भूप सिंह निर्दलीय व वेद प्रकाश निर्दलीय चुनाव मैदान में है। कांग्रेस के राव दान सिंह के सामने इस बार आम आदमी पार्टी के डॉक्टर मनीष यादव, निर्दलीय संदीप सिंह एसडीएम तथा बलवान फौजी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार जातीय समीकरण अपना अलग ही खेल दिखा रहे हैं। जमीनी स्थिति हर बीतते दिन के साथ बदल रही है और कई सीटों पर हार जीत का अंतर कम तो कभी बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। हरियाणा की महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर भी सियासी समीकरण मायने रखते हैं। पिछले चुनाव के नतीजे महेंद्रगढ़ सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था उस सीट पर तब कांग्रेस के राव दान सिंह ने एक बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया था। उस चुनाव में एक तरफ कांग्रेस के राव दान सिंह को 46478 वोट मिले थे, वहीं भाजपा के राम बिलास शर्मा को 36258 में वोटो से संतुष्ट होना पड़ा था। पार्टी नेता वोट बीजेपी राम बिलास शर्मा 36258 कांग्रेस राव दान सिंह 46478 सीट का चुनावी इतिहास वैसे महेंद्रगढ़ एक ऐसी सीट रही है जहां पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में हमेशा मुकाबला देखने को मिला है। अगर 2019 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी तो 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भी कांग्रेस को बढ़िया अंतर से हराने का काम किया था। उस चुनाव में बीजेपी के राम बिलास शर्मा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता राव दान सिंह को करीब 35000 वोटों से हरा दिया था। शर्मा को लेकर कहा जाता है कि महेंद्रगढ़ सीट पर उनकी मजबूत पकड़ रही है। 1982 से 2000 तक तो वे लगातार चार बार इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। इसी तरह कांग्रेस के राव दान सिंह ने भी 2000 से लेकर 2014 तक इस सीट पर अपना कब्जा रखा। फिर 5 सालों के लिए बीजेपी के पास वो सीट आई, लेकिन 2019 में फिर कांग्रेस ने बाजी मारी। एक बार फिर कांग्रेस ने राव दान सिंह पर अपना भरोसा जताया है। आम आदमी पार्टी ने भी इस सीट से मनीष यादव को उतारने का काम किया है। बीजेपी ने अंतिम सूची में राज्य में पार्टी के नेता पंडित रामबिलास शर्मा का टिकट काट दिया। पार्टी ने उनकी जगह पर कंवर सिंह यादव को उतारा है। एक दिन पहले रामबिलास शर्मा ने नामांकन दाखिल कर दिया था। अब देखना है कि रामबिलास शर्मा का क्या रुख रहता है। वह नामांकन वापस लेते हैं या फिर चुनाव मैदान में डटे रहते हैं। कंवर सिंह यादव काफी समय से बीजेपी में हैं। वह बीजेपी के दो बार जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर व डा अभयसिंह से भी काफी नजदीकी है। हरियाणा में रामबिलास शर्मा का टिकट कटने के बाद महेंद्रगढ़ सीट भी चर्चा में आ गई है। लंबे समय बाद यह पहला मौका होगा। जब बीजेपी ने उन्हें चुनावी राजनीति से बाहर कर दिया है। रामबिलास शर्मा का महत्व महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से विशेष महत्व वाली है क्योंकि इस सीट से चुनाव लड़ने वाले रामबिलास शर्मा अहीरवाल में बीजेपी की उपस्थिति लगातार बनाए रखने वाले इकलौते नेता हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी ने नए कैंडिडेड कंवर सिंह यादव कांग्रेस नेता राव दान सिंह ने को चुनौती दे पाएंगे। अभी तक आलम यह है कि पिछले 32 सालों से यही दोनों महेंद्रगढ़ से विधायक बनते आ रहे हैं। इस अहीर बहुल क्षेत्र में अहीर विधायक ही ज्यादा बने हैं। अभी तक रामबिलास शर्मा ने ही उनके जीतने के सिलसिले को रोका है। इस सीट पर बीजेपी नेता रामबिलास शर्मा 1977 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। जातीय समीकरण अगर इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो जाट और अहीर मतदाता सबसे निर्णायक माने जाते हैं। इन दो समुदायों के दम पर इस सीट पर हार और जीत तय हो जाती है। 60 प्रतिशत यादव और 18 प्रतिशत एससी वर्ग के मतदाता हैं। 15 प्रतिशत ब्राह्मण और सात प्रतिशत राजपूत वोट हैं। पारंपरिक और जातिगत वोट बैंक बचाने और विरोधी पर लीड जैसे दो मोर्चों पर कांग्रेस की घेराबंदी के लिए कंवर सिंह को भाजपा ने उतारा है। बड़े-बड़े धुरंधरों को पीछे छोड़ने वाले भाजपा के प्रत्याशी कंवर सिंह यादव महेंद्रगढ़ से दो बार जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाली। भाजपा के कई सर्वे में वह पार्टी की पहली पसंद के रूप में भी उभरे थे। लोकसभा चुनाव में उन्हें सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी। इस चुनाव में कंवर सिंह यादव को पारंपरिक और जातिगत वोट बैंक बचाने और विरोधी पर लीड जैसे दो मोर्चों पर घेराबंदी करनी पड़ेगी। अहीर बहुल महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2,08,862 कुल मतदाता अहीर बहुल महेंद्रगढ़ में यादव जाति के मतदाताओं का दबदबा है। कुल 2,08,862 मतदाताओं में से 60 प्रतिशत यादव और 18 प्रतिशत एससी हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस से रावदान सिंह ने यादव-एससी मतदाताओं की केमिस्ट्री बनाकर इस सीट को अपने खाते में कर लिया था। इस बार भी कांग्रेस इसी रणनीति पर काम कर सकती है, जबकि भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह यादव के चुनाव मैदान में उतरने से यादव वोट बंटेंगे। प्रो. रामबिलास शर्मा के भाजपा में ही रहने के कारण उन्हें 15 प्रतिशत ब्राह्मण और 7 प्रतिशत राजपूत वोट का फायदा भी मिल सकता है। माना जाता है कि प्रो. रामबिलास शर्मा का ब्राह्मण वोट बैंक सुरक्षित है। यहां एससी वोट बंटे तो ब्राह्मण निर्णायक भूमिका में होंगे। डार्क जोन महेंद्रगढ़ में अलग जिला और पानी है बड़ा मुद्दा नहरी सिंचाई पर आधारित जिले में पानी सबसे बड़ा मुद्दा है। किसान उमेद सिंह बताते हैं कि कई परियोजनाएं चालू होने के बावजूद अभी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। महेंद्रगढ़ को अलग जिला बनाने की मांग को लेकर यहां 2019 से संघर्ष चल रहा है। यादव, ब्राह्मण, राजपूत सभा सहित व्यापारिक संगठन भी एकजुट होकर इस मुद्दे पर संघर्ष करते आ रहे हैं। Post 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