प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली में न खट्टर का नाम लिया और न खट्टर नजर आए …….

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज कुरूक्षेत्र में विधानसभा चुनाव के लिए शंखनाद करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुरूक्षेत्र रैली के मंच पर न पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर नजर आए और न ही उनका नाम लिया। इस बात की चर्चा रैली स्थल से ही चलते हुए सारे हरियाणा में हो रही है। रैली से दूरी बनाने वालों में दक्षिणी हरियाणा के नेता एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, 2014 में भाजपा को सत्तासीन करने वाले रामबिलास शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ आदि अनेक नेताओं की दूरी चर्चा का विषय बनी है।

रैली में व्यवधान पहुंचाने में इंद्रदेव भी सक्रिय रहे परंतु आज इंद्रदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आशीर्वाद बरसाया और रैली के समय बरसात नहीं हुई। हालांकि उसके पश्चात फिर बूंदाबांदी आरंभ हो गई। रैली स्थल पर कीचड़ भी दिखाई दे रही थी, जो व्यवस्थापकों की कमी को दर्शा रही थी। इसी प्रकार रैली में उपस्थित पत्रकार भी रैली के प्रबंधों से प्रसन्न नहीं दिखाई दे रहे थे।

हरियाणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भाग्योदय का सूचक है, क्योंकि हरियाणा के प्रभारी पद से सीधे जाकर बिना चुनाव लड़े गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए थे और उनके वर्तमान कार्यकाल की शुरूआत में भी हरियाणा का नाम लिए बिना बात पूरी नहीं होती। जब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया तो उसके पश्चात प्रथम रैली हरियाणा के रेवाड़ी में ही की थी, जिसमें उन्हें अपार जनता का समर्थन मिला था। उसके पश्चात से ही वह प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए। अत: हम कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग्य में हरियाणा का बहुत बड़ा योगदान है।

वर्तमान में देखें तो 2024 में प्रधानमंत्री मोदी ने रेवाड़ी में रैली की थी, वहां भी कोई जनता का विशेष समर्थन नहीं मिला। गुरूग्राम की द्वारका एक्सप्रेस-वे रैली में भी जनता में इनके प्रति मोह नहीं दर्शाया। लोकसभा चुनाव के परिणामों ने यह पूर्णत: घोषित कर दिया कि जनता का मोह नरेंद्र मोदी से भंग हो गया है।

आज की रैली में भी जो जनसमुदाय उपस्थित था, वह उपस्थिति स्वयं यह दर्शा रही थी कि यह प्रधानमंत्री की रैली के सम्मान के अनुरूप नहीं है। सूत्रों से जानकारी के अनुसार मंडप में दस हजार के लगभग कुर्सियां लगाई गई थीं। कुछ चर्चा तो यह भी सुनी गई है कि हरियाणा के अतिरिक्त रैली के लिए उत्तर प्रदेश से भी जनता आई थी। तात्पर्य यह कि भाजपाईयों के उत्साह को यह रैली बढ़ा पाएगी, इसमें संदेह है।

अब आज पर ही दृष्टि डालिए, प्रधानमंत्री मंच से कांग्रेस की बुराईयां कर रहे थे। चंद दिनों पहले इनके ओबीसी के अध्यक्ष कर्णदेव कांबोज भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए। दूसरी ओर आज की लें तो कुरूक्षेत्र में इनकी रैली चल रही थी और उधर भाजपा के किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र मांढी कांग्रेस का दामन थाम रहे थे।

अब आप ही सोचिए, वर्तमान में रामबिलास शर्मा को आडवाणी बनाने पर हरियाणा के ब्राह्मण समुदाय में रोष है। वैश्य समाज टिकटें न मिलने से कुपित है। ओबीसी किसान सेल उन्हें छोड़ चुके हैं। दलित स्पष्ट तो नहीं कह रहे हैं लेकिन स्थितियां वह भी भाजपा के हक में दिखाई नहीं देतीं। ऐसी स्थिति में यदि हम यह कहें कि प्रधानमंत्री की यह रैली हरियाणा के भाजपाईयों के उत्साह में या विधानसभा परिणाम में कोई अंतर डाल पाएगी, इसमें संदेह हैं।

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