-कमलेश भारतीय

आखिरकार लम्बे 177 दिन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल ही गयी । इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए सीबीआई को लताड़ लगाते हुए कहा कि सीबीआई की छवि पिंजरे में बंद तोते की है, जिसे तोड़ना चाहिए । सीबीआई को दिखाना चाहिए कि वह बंद नहीं, स्वतंत्र है । जांच एजेंसी को ईमानदार होना चाहिए। उसे रत्ती भर भी शक के दायरे में नहीं होना चाहिए !

दिलचस्प बात यह है कि अरविंद केजरीवाल की जमानत की टाइमिंग हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ खूब जा मिली है ! अभी तक जो जमानत नहीं मिल रही थी, अब मिली है तो इसे हरियाणा विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है । हरियाणा में कांग्रेस व आप के बीच चार पांच दिन गठबंधन की कवायद चलती रही लेकिन सीटों पर तालमेल न होने से टूट गयी जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जवाब है कि अभी बातचीत चल रही थी कि अचानक से आप ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी । दूसरी ओर अभी तक सुनीता केजरीवाल ही हरियाणा में स्टार प्रचारक थी । अब केजरीवाल कह रहे हैं कि जमानत से मेरी ताकत और मेरा हौंसला सौ गुणा बढ़ गया है। जेल से जमानत होना या किसी को चुनाव के समय पैरोल मिल जाना, ये कैसे संयोग हैं ? वोटों को बाटने के अनेक तरीके सत्ताधारी दल अपनाते आये हैं, जिनमें यह सबसे कारगर फार्मूला सामने आया है कि वोट बिखेर दो इस बार ! यही कारण है कि निर्दलीयों की बाढ़ आ गयी है कि जो जितने वोट काट पाये, काट दे ! अब कांग्रेस और आप का गठबंधन सिरे नहीं चढ़ा तो यह अरविंद केजरीवाल को अचानक से जमानत मिल जाने से वोट काटने, बांटने का एक अचूक उपाय हाथ लग गया ! नब्बे के नब्बे प्रत्याशी जीत के करीब जायें या न जायें लेकिन कांग्रेस की राह मे कांटों जैसी तो चुभन पैदा करेंगे ही ! अब कोई चाहे तो आप को बी टीम भी कहेगा, जो ऐसे कहते भी आये हैं, दूसरे राज्यों में ! उत्तराखंड में कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था । हरीश रावत तक हार गये । दिल्ली और पंजाब में सरकार बनी लेकिन दिल्ली के सेक्रेटेरियट अभी नहीं जा सकेंगे, हां, हरियाणा में जाने की खुली छूट है ! दिल्ली की पुलिस केंद्र के अंडर ही रहेगी ! वक्त के साथ यह लड़ाई अब भूल‌ चुके !

इधर रूठे लोगों को मनाने का दौर भी चला है । मनाने के लिए इक मुलाकात जरूरी है, सनम ! मनाने जा रहे हैं, डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश ! कोई मान रहा है तो कोई बुरा भला समय याद दिला रहा है ! रूठने मनाने का खेल चल रहा है ! यह संजीवनी कितना असर दिखायेगी?

ज़िदा रहने के लिए तेरी कसम,
इक मुलाकात जरूरी है सनम !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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