महेंद्रगढ़ में अरावली खनन को लेकर विरोध, ग्रामीणों ने की पंचायत 

ब्लास्टिंग से घरों में दरार, जलस्तर घटा, आंदोलन की चेतावनी 

भारत सारथी कौशिक 

नारनौल। महेंद्रगढ़ उपमंडल के गांव राजवास में स्थित अरावली की पहाड़ी पर सरकार द्वारा खनन शुरू किए जाने की खबर को लेकर ग्रामीणों की आज बड़ी पंचायत का आयोजन हुआ। पंचायत में ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि वह यहां किसी भी सुरत में खनन नहीं होने देंगे। अगर सरकार ने यहां जबरन खनन शुरू करवाया तो वह इसका डटकर विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी थी तो एक बड़ा आंदोलन भी खड़ा किया जा सकता है। 

गांव राजवास के सरपंच मोहित ने बताया कि उनके गांव में माईनिंग शुरू होने जा रही है। इससे पूरा गांव प्रदूषित हो जाएगा। खनन शुरू हुआ तो हम इसका डटकर विरोध करेंगे। हालांकि अभी पहाड़ी को खनन के लिए अलाट नहीं किया गया है, लेकिन कुछ दिन बाद सरकार अलाट किए जाने की संभावना है। तो इसलिए पूरा गांव पहले से ही इसके खिलाफ एकजुट हो गया है। 

उन्होंने बताया कि 2016-17 में माईनिंग अलाट हुई थी। उस समय ब्लास्टिंग से घरों में दरारें आ गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह यहां खनन बिल्कुल नहीं होने देंगे। 

पीपल फार अरावली की संस्थापक नीलम ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर वह यहां आई है। अरावली को बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को पत्र भी लिखा है, कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाना बहुत जरूरी है। मकान या अन्य निर्माण कार्य के लिए सरकार कोई अन्य विकल्प निकले ताकि इन धरोहरों को बचाया जा सके। वह अरावली को बचाने के लिए ग्रामीणों के साथ है। 

गांव पाली के सरपंच देशराज फौजी ने बताया कि अगर सरकार ने माईनिंग की अनुमति दी तो गलत है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं है। ब्लास्टिंग की आवाज 15 से 20 किलोमीटर तक जाती है और पूरा महेंद्रगढ़ ग्रामीण क्षेत्र इससे प्रभावित होता है। माईनिंग से उड़ने वाली धूल फेफड़ों के अंदर चली जाती है जो फेफड़ों को कमजोर करती है। अगर सरकार ने खनन की अनुमति दी तो वह है एक बड़ी महापंचायत करेंगे और उसके बाद एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी।

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