वैश्य समाज को 2019 चुनाव में 9 मुकाबले इस बार प्रत्याशी उतारने से प्रदेश का अग्रवाल समाज गुस्से में

भाजपा द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनावों की पहली सूची में घोषित प्रत्याशियों में अग्रवाल वैश्य समाज की उपेक्षा कर सकती है सत्ता से उन्हें बेदखल

दक्षिण हरियाणा में पलवल, मेवात, गुरुग्राम, रेवाड़ी, नारनौल व दादरी जिले में एक भी सीट पर अग्रवाल वैश्य उम्मीदवार नहीं

भारत सारथी कौशिक         

नारनौल। भारतीय जनता पार्टी द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए घोषित 67 प्रत्याशियों की पहली सूची में अग्रवाल वैश्य समाज से केवल मात्र 5 प्रत्याशियों को ही टिकट आवंटित की गई है, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इस समाज से 9 प्रत्याशियों को टिकट दी गई थी। जिसमें से भाजपा की टिकट पर 7 विधायक चुनकर आए थे और 1 सीट पर सिरसा से गोपाल कांडा ने चुनाव जीता था, जिन्होंने भाजपा सरकार को 5 साल तक अपना समर्थन दिया हुआ है। भाजपा द्वारा वर्तमान विधानसभा चुनावों में अग्रवाल समाज की उपेक्षा से पूरा व्यापारी समाज व्यथित हैं और उनके इस फैसले से खासा नाराज है। 

भाजपा नेतृत्व में वर्तमान चुनावों में गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, पलवल से दीपक मंगला, सोनीपत से श्रीमती कविता जैन व सिरसा से प्रदीप रातुसरिया की टिकट काटकर अग्रवाल समाज की बेवजह नाराजगी मोल ले ली है। अग्रवाल समाज व अग्रवाल व्यापारियों की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में कहीं भारी न पड़ जाए और उन्हें सत्ता से कहीं बेदखल न कर दे? अग्रवाल समाज पिछले 5 सालों से पहले की 9 सीटों के मुकाबले 15 सीटों की मांग कर रहा था, वहीं भाजपा ने 9 सीटों से भी घटाकर सिर्फ 5 सीटे देकर अग्रवाल समाज से अच्छा खासा बैर मोल ले लिया है।    

उल्लेखनीय है कि अग्रवाल समाज हमेशा से विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस एवं भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से पूरी तरह भाजपा से जुड़ा रहा है। पूरे देश का अग्रवाल समाज हमेशा भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा रहा है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा 23 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा अभी भी बाकी है, ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व एवं प्रदेश नेतृत्व को पुनर्विचार करते हुए अग्रवाल समाज की नाराजगी को दूर करते हुए उन्हें पिछले चुनावों से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी उतारने चाहिए। दक्षिण हरियाणा में महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, मेवात, पलवल व दादरी जिलों में एक भी अग्रवाल समाज के प्रत्याशी को टिकट नहीं दी गई है। इसलिए एक दो सीटें अवश्य अग्र समाज को देनी चाहिए, ताकि यह समुदाय पहले की तरह भाजपा के साथ जुड़ा रहें।

दक्षिण हरियाणा में नारनौल विधानसभा सीट अग्रवाल समाज के प्रत्याशी के लिए बड़ी अनुकूल है। इससे पहले इसी समाज के पांच बार उम्मीदवार विजयी रहे हैं। चार बार अग्रवाल समाज के समर्थन के कारण दूसरे उम्मीदवार यहां से विजयी रहे। इसलिए अभी भी समय है यदि भाजपा नेतृत्व समय रहते अपनी भूल को सुधार करते हुए दक्षिण हरियाणा में नारनौल विधानसभा सीट से किसी अग्रवाल समुदाय के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाती है तो भाजपा की झोली में यह सीट बड़े बहुमत से आ सकती है। इसलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश के नेतृत्व को इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए माकूल फैसला लेना चाहिए अन्यथा इस समाज की नाराजगी उन्हें केवल इन विधानसभा चुनावों में ही नहीं, अपितु आने वाले दिल्ली जैसे अन्य प्रदेशों के चुनावों जहां अग्रवाल समुदाय का सत्ता बनाने में अहम रोल होता हैं, में भी भुगतनी पड़ सकती हैं।

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