कभी भी जारी हो सकती है भाजपा की लिस्ट

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट किसी भी वक्त जारी हो सकती है। इस बीच कुछ चेहरे ऐसे हैं, जिनके नाम पर चर्चा हो रही है और उन्हें पहली लिस्ट में उम्मीदवारों के तौर पर मौका दिया जा सकता है। इसमें कुछ पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 21 ऐसे नेता हैं, जिन्हें पहली लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। हाल ही में हुई बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में भी इन नामों पर चर्चा की गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आधा दर्जन से अधिक कैबिनेट सहयोगियों पर तलवार लटकी है। इनमें तीन कैबिनेट और चार राज्य मंत्री शामिल हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री और भाजपा के पुराने नेताओं में शामिल कंवर पाल गुर्जर की टिकट पर भी संकट के बादल गहरा गए हैं। गुर्जर को उनके निर्वाचन क्षेत्र जगाधरी से बदल कर नारायणगढ़ से चुनाव लड़वाने की पेशकश भी अंदरखाने हो चुकी है। लेकिन वे हलका बदलने को राजी नहीं हैं।

2014 में चुनाव जीतने के बाद विधानसभा अध्यक्ष बने गुर्जर ने 2019 में फिर जीत हासिल की और वे शिक्षा मंत्री। 12 मार्च को सरकार में हुए बदलाव के बाद उन्हें कृषि मंत्री बना दिया गया। इससे पहले वे छछरौली (खत्म हो चुका हलका) से भी विधायक बन चुके हैं। गुर्जर संघ पृष्ठभूमि के हैं और पुराने भाजपाइयों में उनकी गिनती होती है। गुर्जर की जगह इस बार संघ पृष्ठभूमि के ही एडवोकेट मुकेश गर्ग को जगाधरी से चुनाव लड़वाए जाने की चर्चाएं हैं। मनोहर सरकार में लॉ आयोग के सदस्य रहे मुकेश गर्ग वर्तमान में हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) के सदस्य हैं। मुकेश गर्ग यमुनानगर कोर्ट में लम्बे समय तक प्रेक्टिस भी करते रहे हैं। इसी तरह प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री बनवारी लाल की टिकट पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बावल से लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले बनवारी लाल ने कांग्रेस छोड़कर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के साथ ही भाजपा में एंट्री की थी।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता की टिकट पर भी तलवार लटकी है। सर्वे रिपोर्ट और हिसार की ग्राउंड रियल्टी को ध्यान में रखते हुए भाजपा इस बार हिसार से नये चेहरे को मैदान में उतारनी चाहती है। हिसार की सीट जिंदल परिवार के खाते में जा सकती है। कमल गुप्ता 2014 में पहली बार उस समय हिसार विधायक व कांग्रेस सरकार में मंत्री सावित्री जिंदल को चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे थे। अब नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद हैं। ऐसे में उनकी माता सावित्री जिंदल या पत्नी शालू जिंदल में से किसी को भी हिसार से टिकट मिल सकता है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री संजय सिंह को टिकट मिल पाएगी, इस पर भी दुविधा है। संजय सिंह पहली बार 2019 में सोहना से विधायक बने। उस समय भाजपा ने सोहना के मौजूदा विधायक तेजपाल तंवर की टिकट काटकर संजय सिंह को चुनाव लड़वाया था। बताते हैं कि टिकट को बचाए रखने के लिए संजय सिंह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पार्टी के दूसरे राजपूत नेताओं के यहां भी लॉबिंग कर रहे हैं।

बड़खल से दो बार की विधायक सीमा त्रिखा की टिकट पर भी खतरे के बादल मंडराए हुए हैं। 2014 में विधायक बनने के बाद उन्हें मनोहर सरकार में मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया। वहीं अब नायब सरकार में वे शिक्षा मंत्री हैं। सीमा त्रिखा की जगह बड़खल से रेणु भाटिया का नाम भाजपा गलियारों में चल रहा है।

बंतो कटारिया पर सढ़ौरा से दांव

हालिया लोकसभा चुनाव में अंबाला से भाजपा प्रत्याशी रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को सढ़ौरा हलके से विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। यहां से वर्तमान में कांग्रेस की रेणु बाला विधायक हैं। भाजपा सढ़ौरा से बंतो कटारिया के अलावा जिला शिक्षा अधिकारी पद से वीआरएस लेने वाली सुमन का नाम भी चर्चाओं में है। सुमन के पति और जिला आयुर्वेदिक अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए सतपाल पर भी पार्टी द्वारा चर्चा की गई है। पूर्व विधायक बलवंत सढ़ौरा भी टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।

रादौर, इंद्री सीट आपस में जुड़ी

2014 में इंद्री से विधायक बने कर्णदेव काम्बोज, मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2019 के चुनावों में भाजपा ने रादौर से सिटिंग विधायक श्याम सिंह राणा की टिकट काटकर उनकी जगह इंद्री से काम्बोज को रादौर शिफ्ट कर दिया। श्याम सिंह राणा इनेलो में शामिल हो गए थे और अब वे सीएम नायब सिंह सैनी की अगुवाई में भाजपा में वापसी कर चुके हैं। राणा का नाम रादौर से चर्चाओं में है। वहीं काम्बोज की दलील है कि उन्होंने पांच साल रादौर हलके में काम किया है। पार्टी उन्हें फिर इंद्री शिफ्ट करने पर मंथन कर रही है। 

किन मंत्रियों और अन्य उम्मीदवारों टिकट पक्के?

कुछ मंत्री ऐसे भी हैं, जिसको चुनावी मैदान में उतारा जाना लगभग तय सा है. नायाब सैनी सरकार के छह ऐसे नगीने, जिनको चुनावी मैदान में उतारे जाने की पूरी संभावना है। वहीं कई और मंत्री भी हैं, जिनको टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। मंत्रियों के अलावा कई अन्य लोगों के टिकट भी लगभग पक्के माने जा रहे हैं।

टिकट दावेदार विधानसभा सीट  क्या है खबर

सीएम नायाब सिंह सैनी लाडवा और करनाल दोनों पर टिकट लगभग पक्का

पं. मूलचंद शर्मा बल्लभगढ़ टिकट लगभग पक्का

रणजीत चौटाला रानिया टिकट लगभग पक्का

डॉ. अभय सिंह यादव नांगल चौधरी टिकट लगभग पक्का

सुभाष सुधा कुरुक्षेत्र टिकट लगभग पक्का

राव नरबीर सिंह बादशाहपुर टिकट लगभग पक्का

बिमला चौधरी पटौदी टिकट लगभग पक्का

आरती राव अटेली टिकट लगभग पक्का

मंजू यादव रेवाड़ी टिकट लगभग पक्का

हरियाणा में एक चरण में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग करवाई जाएगी। 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में अभी बीजेपी सरकार में है और पिछले पांच साल से उसकी सरकार चल रही है। ऐसे में बीजेपी दोबारा सरकार बनाने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है। वह उन चेहरों पर भी दांव लगाना चाह रही है, जिन पर पहले भी भरोसा जताया गया है। ऐसे में आइए आपको उन नेताओं के नाम बताते हैं, जिन्हें पहली लिस्ट में मौका दिया जा सकता है।

बीजेपी के इन संभावित चेहरों को मिल सकता है टिकट

1. फरीदाबाद ओल्ड से विपुल गोयल

2. तिगांव से राजेश नागर

3. पृथला से दीपक डागर

4. बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा

5. होडल से हरेंद्र राम रतन

6. पलवल से गौरव गौतम

7. सोहना से तेजपाल तंवर

8. अटेली से आरती राव

9. रेवाड़ी से मंजू यादव

10. बावल से संजय मेहरा

11. नांगल से चौधरी अभय सिंह यादव

12. लाडवा से नायब सिंह सैनी

13. अंबाला कैंट से अनिल विज

14. अंबाला सिटी से असीम गोयल

15. थानेसर से सुभाष सुधा

16. जींद से महिपाल डांडा

17. पानीपत से प्रमोद विज

18. जींद से कृष्ण मिड्डा

19. लोहारू से जेपी दलाल

20. तोशाम से श्रुति चौधरी

21. जगाधरी से कंवर पाल गुर्जर

हरियाणा में बीजेपी के लिए क्या चुनौतियां हैं?

बीजेपी के लिए हरियाणा के लिए विधानसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है। उसके सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें सत्ता विरोधी लहर से लेकर किसानों तक का मुद्दा शामिल हैं। यही वजह रही थी कि 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी को इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में महज 5 सीटें मिली हैं। इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ने वाला है, क्योंकि कांग्रेस फिलहाल बीजेपी के मुकाबले मजबूत नजर आ रही हैं।

हरियाणा में बीजेपी के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं, जो कुछ इस प्रकार हैंः

सत्ता विरोधी लहर: 

हरियाणा में 1977 के बाद से कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बना पाई है। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद ये तो साफ हो चुका है कि बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही है। ऐसे में अगर उसे सरकार बनानी है तो सबसे पहले सत्ता विरोधी लहर की काट ढूंढना होगा।

किसानों की नाराजगी: 

हरियाणा में किसानों का मुद्दा चुनाव के केंद्र में रहने वाला है। तीन कृषि कानूनों को लेकर अभी तक किसानों में नाराजगी है, भले ही उन्हें सरकार ही क्यों नहीं ले चुकी है। ग्रामीण इलाकों की जनता के बीच बीजेपी को लेकर काफी ज्यादा रोष है। किसान अभी भी एमएसपी की मांग कर रहे हैं।

जातिगत ध्रुवीकरण: 

हरियाणा का जातिगत समीकरण काफी ज्यादा जटिल है, जिससे निपटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनने वाला है। जाट समुदाय बीजेपी से नाराज चल रहा है। ऊपर से दलित वोट के लिए बीएसी भी चुनावी मैदान में होगी। विधानसभा में जीत के लिए बीजेपी को जातिगत समीकरण को साधने की जरूरत होगी।

बीजेपी में गुटबाजी: 

भले ही बीजेपी राजनीतिक गलियारों में ये दिखाने की कोशिश करे कि उसके यहां अनुशासन है, लेकिन आतंरिक गुटबाजी से इनकार नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह कैबिनेट रैंक नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं। उनके समर्थक बीजेपी के खिलाफ भी जा सकते हैं।

अग्निवीर, पहलवानों व पोर्टलों का मामला: 

हरियाणा में एक बड़ी आबादी सेना में जाने की तैयारी करती है, खासतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवा। अग्निवीर को लेकर इस तबके में नाराजगी है। ऊपर से महिला पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी को भी लोग अभी तक भूल नहीं पाए हैं। इसके साथ प्रदेश की जनता परिवार पहचान पत्र तथा प्रॉपर्टी आईडी जैसे पोर्टलों को लेकर काफी परेशान है जिसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।

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