आईएएस आईपीएस जजों के बाद डॉक्टर और प्रोफेसर टिकट की लाइन में, हाई कमान तक लाबिंग 

जेल विभाग में साढ़े 22 साल की सेवा के बाद अब राजनीति में कूदेंगे सुनील सांगवान

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर जहां राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं नेता और कार्यकर्ता टिकट की जुगत में लगे हैं। चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली दरबार तक लॉबिंग चल रही है। पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को राजनीति खूब भाने लगी है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कई अधिकारियों ने बीच में ही नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का फैसला किया। कई ने सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आने का मन बनाया। 

चुनाव में पहले कई आईएएस, आईपीएस और यहां तक कि रिटायर्ड जज भी किस्मत आजमाने के लिए कतार में हैं। चुनाव में अलग-अलग पार्टियों से टिकट लेने के लिए कई अधिकारी और पूर्व जज कोशिश कर रहे हैं। ज्यादातर रिटायर्ड नौकरशाह कांग्रेस का टिकट चाहते हैं। इनमें से कई तो खुलकर सामने आ गए हैं। वहीं कई पूर्व अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने पत्ते नहीं  खोले है और टिकट के ऐलान का इंतजार कर रहे हैं।

पहली बार 12 से अधिक सेवानिवृत्त आईएएस-आईपीएस अधिकारी, सेवानिवृत जज व न्यायपालिका से जुड़े लोग, शिक्षाविद् व डॉक्टर टिकट की लाइन में लगे हैं। कुछेक को घोषणा का इंतजार है, जबकि कुछेक ने अपने-अपने हलकों में सक्रियता बढ़ा दी है। खास बात है कि टिकट के चाहवान डॉक्टर और प्रोफेसर पुराने राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं और राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। वहीं, अफसर नई पारी शुरू करना चाहते हैं। हालांकि यह पारी अधिकतर अधिकारियों को रास नहीं आई। 

पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आइडी स्वामी, कृपा राम पूनिया और अभय सिंह यादव जैसे नेता लंबे समय तक नहीं टिक पाए। आईपीएस रणबीर शर्मा भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन बात नहीं बनी। इसी तरह रिटायर्ड आइएएस युद्धवीर ख्यालिया हिसार से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। टिकटों को लेकर चल रही खींचतान में यह देखना रोचक रहेगा कि इस बार किसका नंबर लगता है।

टिकट की चाह रखने वाले लोगों ने जनता के बीच आना-जाना शुरू कर दिया है। इस लिस्ट में 2003 बैच के आईएएस अधिकारी विनय सिंह यादव का भी नाम है। वह पिछले साल सितंबर में रिटायर हो चुके हैं।  जानकारी के मुताबिक वह नांगल चौधरी से कांग्रेस का टिकट चाहते हैं। उन्होंने कहा, पिछले कई महीनों से मैं कई महीनों से इस इलाके में सक्रिय हूं और लोगों से चुनाव लड़ने के बारे में राय भी ली है।

यहां से बीजेपी के विधायक अभय सिंह यादव भी पूर्व आईएएस हैं। वह राज्य सरकार में सिंचाई मंत्री हैं। ये दोनों ही एक ही गांव के रहने वाले हैं एक ही खानदान से ताल्लुक रखते है। ऐसे में अगर दो पूर्व नौकरशाहों का मुकाबला होता है तो यह काफी रोचक होगा। जातिगत समीकरणों को देखते हुए यदि कांग्रेस ने टिकट गुर्जर, जाट या ब्राह्मण समुदाय को दी तो बात दीगर है।

दूसरा नाम रिटायर्ड जज राकेश यादव का है। फरवरी 2023 में वह सत्र न्यायाधीश से रिटायर हुए और अब नारनौल सीट से कांग्रेस के टिकट की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि एसवाईएल मुद्दे का हल निकले और नहर का पर्याप्त पानी मिले। वह नारनौल से डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। उनके पिता भी वकील थे। अटेली विधानसभा से एक ओर सेवानिवृत न्यायाधीश अनूप यादव ने कांग्रेस टिकट पर आवेदन किया है।

एक अन्य रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वह भी नारनौल से ही टिकट चाहते हैं। गांव नीरपुर से ही सेवानिवृत्त आईएएस विकास यादव भी नारनौल विधानसभा से कांग्रेस की टिकट की दौड़ में हैं। नारनौल विधानसभा से पूर्व जिला उप न्यायवादी अशोक कुमार मांदी भी नारनौल विधानसभा से अपना भाग्य जमाना चाहते हैं। नीरपुर गांव से सेवानिवृत्ति अधीक्षण अभियंता राव सुखविंदर सिंह भी टिकट की दौड़ में है।

अटेली विधानसभा से भी एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सुभाष यादव भी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की अभिलाषा रखते हैं। वह कनीना तहसील के गांव सेहलंग के निवासी है।

ये अधिकारी कर रहे तैयारी

लोकसभा चुनाव में सेवानिवृत्त आईएएस चंद्रप्रकाश हिसार से कांग्रेस का चाह रहे थे, जबकि पूर्व डीजीपी बीएस संधु अंबाला से भाजपा का टिकट मांग रहे थे। विधानसभा चुनावों में ये दोनों अधिकारी टिकट चाह रहे हैं। इनके अलावा सेवानिवृत्त आईएएस वजीर सिंह, आरएस वर्मा टिकट की चाह में हैं। 

अन्य पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्र प्रकाश ओबीसी वर्ग से आते हैं। वह नलवा, हिसार से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। वह हिसार के ही आर्य नगर के रहने वाले हैं । लोकसभा चुनाव में वह हिसार से लोकसभा चुनाव के भी वह उम्मीदवारी चाहते थे। उनके चाचा रामजी लाल राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं और वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं।

रिटार्डड आईएएस आरएस वर्मा भी आर्य नगर के ही रहने वाले हैं और वह चुनाव में किस्मत आजमाना चाहते हैं। वह नलवा या फिर बरवाला से चुनाव लड़ना चाहते हैं। महेंद्रगढ़ में वह एसडीएम तथा नारनौल में एडीसी के पद पर रह चुके हैं। दो साल पहले वह रिटायर हुए थे लेकिन फिलहाल किसी पार्टी में नहीं हैं। माना जाता है कि वह बीजेपी की तरफ जा सकते हैं। उनकी पंडित रामबिलास शर्मा व अन्य भाजपा नेताओं से नजदीकियां है।

पूर्व आईएएस वजीर सिंह गोयत और हरियाणा सिविल सर्विस के पूर्व अधिकारी अमरजीत सिंह भी अलग-अलग पार्टियों से टिकट चाहते हैं। अमरजीत सिंह राज्यपाल के ओएसडी भी रह चुके हैं।

पूर्व आईपीएस सुभाष यादव, वी कामराजा, श्रीकांत जाधव और शील मधुर के नाम भी चर्चा में हैं। रिटायर्ड एचसीएस अधिकारी अमरजीत सिंह भी राजनीतिक पारी की शुरुआत करना चाहते हैं। इससे पहले, रिटायर्ड डीजीपी हंसराज स्वान, रिटायर्ड एडीजीपी रेशम सिंह भाजपा से जुड़े रहे हैं और रिटायर्ड डीजीपी महेंद्र सिंह मलिक इनेलो की सक्रिय राजनीति कर रहे हैं।

ये डॉक्टर व प्रोफेसर लाइन में, ज्यादातर को कांग्रेस से आस

पंडित भगवत दयाल शर्मा विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डाॅ. एसएस सांगवान पिछली बार भी पानीपत ग्रामीण सीट से कांग्रेस में टिकट के दावेदार थे और इस बार भी हैं। डाॅ. सांगवान का कहना है कि उन्होंने पहले डाॅक्टर के रूप में जनता की सेवा की है, अब वह विधानसभा प्रतिनिधि के रूप में सेवा के लिए तैयार हैं।

पीजीआई रोहतक में गायनी विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. पुष्पा दहिया खरखौदा भी कांग्रेस से टिकट चाह रही हैं। वह खरखौदा के गांव लाठ की निवासी हैं और उनके पति डाॅ. अशोक चौहान पीजीआई में सेवाएं दे चुके हैं। डाॅ. चौहान के पिता श्याम चंद पूर्व मंत्री रहे हैं। डाॅ. दहिया इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहती हैं। पीजीआई के ही डाॅ. संजय जोहर आदमपुर से कांग्रेस टिकट मांग रहे हैं।

सिरसा में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार प्रोफेसर मनोज सिवाच महम से कांग्रेस के दावेदार हैं। उनके पिता चौधरी उमेद सिंह सिवाच 1972 में महम से निर्दलीय विधायक रहे चुके हैं। डॉ. सिवाच और उनकी पत्नी डाॅ. प्रियंका सिवाच वर्तमान में सीडीएलयू सिरसा में वरिष्ठ अर्थशास्त्र प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. सिवाच ने कहा कि महम के लोग हमेशा मेरे दिल के करीब रहे हैं। वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना चाहते हैं।

सीडीएलयू में कमिस्ट्री की एसोसिएट प्रोफेसर गीता राठी ने भी महम से टिकट मांगा है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पत्नी आशा हुड्डा की करीबी मानी जाती हैं। इसी विवि के अर्थशास्त्र विभाग के डाॅ. रोहताश नरवाना से कांग्रेस और प्रोफेसर रानी देवी हथीन से इनेलो से टिकट की जुगत में हैं। वह पूर्व विधायक बीएस रावत की बेटी हैं। हाल ही में शिक्षा विभाग विभाग से सेवानिवृत्त हुए कैलाश मास्टर महेंद्रगढ़ से लड़ने की चाह में हैं। सोशल एक्टिविस्ट व कांग्रेस नेता शवेता ढुल कलायत से और हर्ष छिकारा गोहाना से कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं।

शकुंतला खटक के बाद से बदला पीजीआई का माहौल

शकुंतला खटक के विधायक बनने के बाद से पीजीआई रोहतक के स्टाफ में राजनीतिक दिलचस्पी बढ़ी है। कलानौर से कांग्रेस विधायक शकुंतला पीजीआई में स्टाफ नर्स थी। इस दौरान उनके हुड्डा परिवार के साथ पारिवारिक संबंध बने तो 2009 मैं वह विधायक बन गईं। इसके बाद से डाॅक्टर व प्रोफेसर राजनीतिक करियर में हाथ आजमाने की जुगत में हैं।

बृजेंद्र व दुग्गल समेत ये मैदान में उतरने को तैयार

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर रिटायर्ड आइएएस बृजेंद्र सिंह 2019 में भाजपा से सांसद बने। इस बार वह उचाना से कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। इसी प्रकार, रिटायर्ड आइआरएस अधिकारी से 2019 में भाजपा की सांसद बनीं सुनीता दुग्गल रतिया से टिकट की दावेदार हैं। यहीं से 2014 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर दो बार से विधायक बनते आ रहे सिंचाई मंत्री अभय सिंह यादव तीसरी बार मैदान में उतरेंगे। उनके मुकाबले कांग्रेस से विनय सिंह नांगल टिकट मांग रहे हैं। पूर्व आइएएस अधिकारी चंद्र प्रकाश नलवा और रिटायर्ड आइएएस अधिकारी प्रदीप कासनी कांग्रेस में टिकट के लिए सक्रिय हैं।

भौंडसी (गुरुग्राम) जेल सुपरिटेंडेंट सुनील सांगवान ने दिया इस्तीफा। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को वीआरएस के लिए भेजा पत्र। उनके चरखी दादरी से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। बता दें कि सुनील सांगवान के पिता व पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन की थी।

जनवरी-2002 में गुरुग्राम जेल में बतौर डिप्टी सुपरिटेंडेंट के रूप की पहली पोस्टिंग हुईं थी और अब इसी जेल के सुपरिटेंडेंट रहते हुए सरकारी सेवाओं से इस्तीफा दिया है।

उनके पिता सतपाल सांगवान ने भी 1996 में टेलीकॉम डिपार्टमेंट में एसडीओ के पद से इस्तीफा देकर राजनीति में एंट्री कर दादरी से हविपा टिकट पर पहला चुनाव जीता था।

भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के सबसे करीबियों में सतपाल सांगवान‌ शामिल रहे हैं।

आज भी वह बंसीलाल के ‘बुलडोजर’ के नाम से जाने जाते हैं। हरियाणा का पहला ऐसा राजनीतिक परिवार, जिसके दोनों बच्चे आर्मी में दे रहे सेवाएं। सुनील सांगवान को बेटा और बेटी दोनों आर्मी में कैप्टन है।

यहां आपको बता दे की हरियाणा में आईएएस अधिकारियों का चुनाव लड़ना कृपाराम पूनिया से शुरू हुआ था। दक्षिणी हरियाणा में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी राव मान सिंह को चौ. देवीलाल ने राज्यसभा का सदस्य बनाया था। इसके बाद अनेक अधिकारियों ने अलग-अलग पार्टियों से अपना भाग्य आजमाया।

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