गुरुग्राम विधानसभा में जीएल की तीसरी बार दावेदारी, अब पार्टी की बारी 

पार्टी के हर फैसले और निर्देश को किया शिरोधार्य, जो जिम्मेदारी सौंपी, शिद्दत से पूरी की 

पार्टी के सिद्धांतों को रख रहे सर्वोपरि,  मूल सिद्धांत सेवा ही संगठन का को धर्म समझ कर निभा रहे 

गुरुग्राम।   चुनावी दंगल सज गया है। विभिन्न पार्टियों के सूरमा मैदान में  उतरे हैं। हालांकि मुकाबला किस-किस के बीच होगा, यह तस्वीर अभी साफ नहीं हो पाई। उम्मीद है कि इस सप्ताह यह तस्वीर भी साफ हो जाएगी और सियासत के दंगल में सियासी पहलवानों का कड़ा मुकाबला इस बार देखने को मिलेगा। इन्हीं सियासी सूरमाओं में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा का नाम भी शुमार है। जीएल इस विधानसभा से तीसरी बार दावेदारी कर रहे हैं। धरातल से लेकर संगठनात्मक स्तर पर उनकी दमदार दावेदारी नजर आ रही है। उनके पास हरी वर्ग के  समर्थकों और कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। अब देखना यह है कि जीएल की तैयारियां, प्रत्याशी चयन में भाजपा की ओर से निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरती है या नहीं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार इस बार भाजपा के दावेदारों में जीएल सबसे सशक्त चेहरा हैं। उनकी बेदाग छवि, ईमानदारी, पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण, परिपक्व व्यक्तित्व उनकी दावेदारी को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। उनका सबसे मजबूत पक्ष यह भी है कि दो बार पहले दावेदारी में विफल होने के बाद भी उन्होंने पार्टी विरोध या पार्टी लाइन से हटकर कुछ नहीं किया। उन्होंने हमेशा ही पार्टी के निर्देशों और फैसलों को शिरोधार्य किया है। 

जो जिम्मेदारी मिली, उसे शिद्दत से निभाया 

 भाजपा के तमाम दावेदारों में धरातलीय तैयारियों के साथ ही जीएल ऐसा चेहरा हैं, जिन्हें पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी, उसे शिद्दत से निभाया है। जिम्मेदारियों के ईमानदारी और निष्ठा से निर्वहन के कारण ही संगठन ने उन्हें लगातार दूसरी बार प्रदेश उपाध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी हुई है। इसके अलावा उनके पास ओबीसी मोर्चा के हरियाणा, फ के प्रभारी3. वर्तमान में ओबीसी मोर्चा भाजपा हरियाणा का प्रभार, कार्यालय निर्माण विभाग  के प्रभारी की जिम्मेदारी भी है। वह मौजूदा समय में फरीदाबाद के संगठनात्मक प्रभारी हैं। इससे पहले सीएम नायब सैनी के सांसद रहते कुरुक्षेत्र और नूंह के प्रभारी भी रहे। 

पार्टी के लिए भरोसे का नाम 

जीएल पार्टी के लिए भरोसे का नाम भी है। उन्होंने पार्टी के भरोसे पर कायम भी रहकर दिखाया है। विषम से विषम परिस्थितियों और स्थानों पर उन्होंने पार्टी की नीतियों को आमजन तक पहुंचाया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 2019 का लोकसभा चुनाव है। उन्हें कांग्रेस के परंपरागत गढ़ रोहतक में लोकसभा का चुनाव प्रभारी बनाया गया। उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल से पार्टी की हार को जीत में बदलने में अहम भूमिका निभाई। रोहतक की जीत के बाद भाजपा प्रदेश में पहली बार क्लीन स्वीप करने में सफल हो पाई थी। 2024 में पार्टी ने उन्हें फरीदाबाद लोकसभा चुनाव में प्रभारी की जिम्मेदारी दी। कांग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही यह सीट कांग्रेस की झोली में जाने के चर्चे आम हो गए, लेकिन जीएल ने एक बार अपनी संगठनात्मक सूझबूझ का परिचय देते हुए बूथ लेवल के एक-एक कार्यकर्ता का न केवल मनोबल बढ़ाया बल्कि उनके हौसले को दोगुना किया। कार्यकर्ताओं में भरे नए जोश के बाद फरीदाबाद सीट डेढ़ लाख वोटों के अंतर से जीतने में सफल हुए। इनके अलावा असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली विधानसभा और एमसीडी चुनाव, मध्य प्रदेश, पंजाब के विधानसभा चुनावों में विधानसभा प्रभारी की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। इन प्रदेशों में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी जीएल के बेहतर चुनाव प्रबंधन पर संज्ञान लिया। 

पहली बार घाटे की संस्था को लाभ में पहुंचाया

मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार में जीएल को हरियाणा डेयरी विकास सहकारी प्रसंघ के चेयरमैन की जिम्मेदारी मिली। यह सरकार की ऐसी संस्था थी जो कभी लाभ में नहीं रही। चेयरमैन बनने के बाद जीएल ने यहां ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए इस संस्था को पहली बार 42 करोड़ रुपये से अधिक के लाभ में पहुंचाया। उन्होंने संस्था में कुछ नए सुधार भी किए, जिससे प्रदेश के पशु पालकों और दुग्ध उत्पादकों को खासा लाभ हुआ और उनकी माली हालत पहले से ज्यादा स्ट्रांग हुई।  

शाह की सफल रैली का आयोजन कराया 

जीएल ने साल 2018 में भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्गज नेता अमित शाह की राजस्थान रैली का संयोजन किया। जीएल ने शाह की रैली का बेहतर संयोजन कर पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरे। इसी साल गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हें गांधी नगर विधानसभा का चुनाव प्रभारी बनाया गया।  कुल मिलाकर बीते एक दशक से ज्यादा पार्टी ने जहां-जहां चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी,  वहां उम्मीद के मुताबिक परिणाम मिले। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा नगर निकाय चुनाव, पार्टी उम्मीदवार की जीत में अहम भूमिका निभाई है।

 माता-पिता से लिए आमजन की सेवा के संस्कार

जीएल शर्मा कहते हैं उनके दादा उनके पैतृक गांव के सरपंच रहे। बाद में उनके पिता और माता ने करीब 20 साल तक सरपंच के रूप में जनसेवा की। यहीं से प्रेरणा मिली। वह भी पांच साल अपने गांव के सरपंच रहे हैं। गांव की सरपंच के रूप में अब उनकी पुत्रवधु इस सेवा कार्य को आगे बढ़ा रही है।  देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके सेवा के संकल्प को दृढ़ किया। वह संगठन में रहकर पार्टी कार्यों की व्यस्तता के बीच भी आमजन से मिलते हैं, उनकी समस्याओं का निदान करने का प्रयास करते हैं। दिन रात फोन पर लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का हल कराते हैं। वह 36 बिरादरी के सर्वमान्य नेता बने हैं। 

सामाजिक समरसता के बने पुरोधा 

जीएल शर्मा शहर में सामाजिक समरसता के पुरोधा के रूप में पहचाने जाते हैं। भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर हर साल सामाजिक समरसता सम्मेलन कराया जाता है, जिसमें 36 बिरादरी के प्रबुद्ध जनों को सम्मानित किया जाता है। यही कारण है कि जीएल को 36 बिरादरी का आशीर्वाद और समर्थन लगातार मिल रहा है। बहरहाल, जीएल ने अपनी पूरी उम्र जनसेवा को समर्पित की है। उनकी एक-एक गतिविधि यह दर्शाने के लिए काफी है कि जीएल कुशल संगठनकर्ता, बेहतर प्रतिनिधि और जन सेवक के रूप में अपनी पहचान कायम कर चुके हैं।

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