माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मांग लिया: पं. अमरचंद भारद्वाज

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सोमवार दोपहर 1:32 से लेकर रात्रि 9:08 तक: कथावाचक पं. अमरचंद भारद्वाज

गुरुग्राम: श्री माता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष कथावाचक पंडित अमरचंद भारद्वाज ने बताया कि साल 2024 में रक्षाबंधन वाले दिन श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि सोमवार प्रातः 3 बजकर 4 मिनट पर प्रारम्भ होगी उसी समय से भद्रा काल शुरू हो जाएगा जोकि दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक भद्रा काल रहेगा तथा सोमवार शाम 7 बजे से पंचक प्रारम्भ होकर 23 अगस्त शुक्रवार शाम 7 बजकर 54 मिनट तक रहेंगे जो पंचक सोमवार से प्रारम्भ होते हैं उन्हें राज पंचक कहा जाता है।  राज पंचकों में घर की छत ड़ालना, लकड़ी का सामान घर में लाना व दक्षिण दिशा में जाना मना है भाई के हाथ में राखी बांधने के लिए राज पंचक अशुभ नहीं माने जाते हैं । भद्रा हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार शूपर्णखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल के वक्त राखी बांधी थी जिस कारण पूरे साम्राज्य का सर्वनाश हो गया था भद्रा सूर्य और छाया की पुत्री है तथा शनिदेव की बहन है जिस तरह से शनिदेव क्रोधी हैं इसी तरह भद्रा के मुख से हमेशा आग निकलती है।

यह तीन टांग वाली तथा गधे के मुख जैसी है इसका जन्म तो राक्षसों का संहार करने के लिए हुआ था मगर यह उदण्ड होने के कारण देवताओं को ही परेशान करने लगी इन हरकतों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उन्हें श्राप दिया था कि जो भी भद्रा काल में कोई शुभ कार्य करेगा उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और उसे अशुभ प्रणाम प्राप्त होंगे यही कारण है कि भद्रा होने पर रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है।

दिल्ली और हरियाणा में सर्वाधिक ब्राह्मणों द्वारा पढ़े जाने वाला विक्रम संवत -2081 का पंचांग दिवाकर पेज नम्बर – 23 के अनुसार अति आवश्यक परिस्थितिवश जैसे कि यात्रा भ्रमण सुविधा उपलब्ध न होने पर, फौज आदि में, ड्यूटी आदि कार्यों में ‘ पुच्छे ध्रुवो जय :। भविष्य पुराण के अनुसार भद्रा पुच्छ काल में किए गए कृत्य में सिद्धि एवम विजय प्राप्त होती है। इसी कारण यदि अत्यंत आवश्यक परस्थिति हो तो बहनें प्रातः 9 बजकर 51 मिनट से प्रातः 10 बजकर 54 मिनट तक भद्रा पुच्छ काल में राखी बांधने का शुभ कार्य कर सकती हैं । राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करें – येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल :। तेन् त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

राखी पर्व को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा था और बदले में उनसे अपने पति भगवान विष्णु को मांगा था। कथा के अनुसार प्रभु नारायण ने वामन का अवतार लेकर दानव राज बलि के पास पहुंचे और उनसे दान मांगा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया भगवान विष्णु ने एक पग से आकाश लोक और दूसरे पग से पाताल लोक नाप लिया और जैसे ही तीसरा पग उठाए तब राजा बलि का घमंड टूटा और उसने अपना सर भगवान विष्णु के सामने रख दिया तब भगवान विष्णु प्रसन्न होकर राजा बलि से कहते हैं वरदान मांगने को कहा तब वरदान मांगते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि हे प्रभु आप हमेशा मेरे सामने रहे इस पूरे वाक्या का पता जब मां लक्ष्मी को लगा तब वह परेशान हो गईं और विष्णु को वापस लाने के लिए रूप बदलकर राजा बलि के पास पहुंच गईं वहां उन्होंने बलि को अपना भाई मानते हुए उनके हाथों में रक्षा सूत्र बांध दिया। माता लक्ष्मी ने फिर अपने भाई राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया कहते हैं कि इसी दिन से राखी ( रक्षा सूत्र ) बांधने की परंपरा शुरू हुई ।

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