अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में चुनावी बिगुल बज चुका है। भारत निर्वाचन आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। 1 अक्‍टूबर को मतदान और 4 अक्‍टूबर को मतदान। मतलब दशहरे से पहले हरियाणा में चुनावी महाभारत होगी। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। पूर्ण बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 सीटों का है। हरियाणा में भाजपा-कांग्रेस से लेकर जेजेपी व आईएनएलडी तक ने चुनावी बिछात बिछा दी। पार्टियां उम्‍मीदवार फाइनल करने में जुटी हैं।

उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा विधानसभा का मानसून सत्र नहीं बुलाए जाने का संकेत देने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है कि राज्यसभा के उपचुनाव के बाद विधानसभा को भंग किया जा सकता है। यदि सरकार 12 सितंबर से पूर्व विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से करती है तो फिर मानसून सत्र बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बीजेपी का राष्ट्रीय सदस्यता अभियान 1 सितंबर से शुरू हो रहा है। इसे लेकर हुई बीजेपी की एक मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सत्ता बरकरार रखने में कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है।

हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव होना है

सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2002 के निर्णय के अनुसार समय पूर्व भंग हुई विधानसभा के मामले में छह महीने के भीतर अगला सत्र बुलाने की संवैधानिक अनिवार्यता लागू नहीं होती। हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव होना है।

इस सीट पर भाजपा का कब्जा तय है। ऐसे में 27 अगस्त को राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचित घोषित होने के बाद प्रदेश कैबिनेट द्वारा राज्यपाल से विधानसभा भंग कराने की सिफारिश कर दी जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी।

15वीं विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक

15वीं विधानसभा के गठन के लिए अधिसूचना करीब तीन सप्ताह बाद पांच सितंबर को जारी होगी, जबकि एक अक्टूबर को मतदान होगा तथा चार अक्टूबर को मतगणना होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है। विधानसभा का पिछला एक दिन का सत्र पांच माह पूर्व 13 मार्च को बुलाया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था।

संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में स्पष्ट उल्लेख है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए 12 सितंबर से पहले विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है, भले ही वह एक दिन की अवधि का ही क्यों न हो।

विधानसभा का यह सत्र बुलाया जाना जरूरी था

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार यदि 12 सितंबर से पूर्व कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल विधानसभा को समय पूर्व भंग कर देते हैं तो आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी। विधानसभा का यह सत्र इसलिए बुलाया जाना जरूरी था, क्योंकि राज्यपाल से कुल पांच अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में जारी कराए गए हैं। अगर विधानसभा को समय पूर्व भंग कर दिया जाता है तो इन पांच अध्यादेशों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।