समिति का गठन कर मूल शिकायत प्रति न मिलने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ करे कार्यवाही …..अगली सुनवाई 12 को गुडग़ांव, 8 जुलाई (अशोक): नाबालिका के वीडियो को तोड़-मरोडकर प्रसारित करने के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार मेहता की अदालत में गत दिवस सुनवाई हुई। आरोपी अपने अधिवक्ताओं के साथ अदालत में पेश हुए। 2 आरोपियों के अधिवक्ताओं ने आवेदन कर उनकी हाजिरी माफी का आग्रह अदालत से किया, जो अदालत ने मान लिया। जबकि एक आरोपी को उच्च न्यायालय से हाजिरी माफी मिली हुई है। एसीपी की गवाही भी इस मामले में हुई। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए आगामी 12 जुलाई की तारीख निश्चित कर दी है। इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता धर्मेंद्र मिश्रा व सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछली तारीख पर अदालत में उनके द्वारा एक याचिका दायर की गई थी कि इस मामले से संबंधित मूल शिकायत की प्रति को अदालत में पेश नहीं कर सकी है। इससे संबंधित उनके पास जो दस्तावेज हैं उन्हें अदालत में इस मामले में पेश करने की इजाजत दी जाए। अदालत ने आरोपियों के अधिवक्ताओं को निर्देश दिए कि इस याचिका पर वे अपना जबाव आगामी 12 जुलाई को अदालत में प्रस्तुत करें। धर्मेंद्र मिश्रा का कहना है कि अदालत ने पिछली तारीख पर मूल शिकायत की प्रति न मिलने के कारण इस मामले से संबंधित डीसीपी को अदालत में पेश होने के आदेश दिए थे। एसीपी नवीन शर्मा अदालत में पेश हुए और उन्होंने अदालत को बताया कि मूल शिकायत की प्रति का पता नहीं लगाया जा सका है। अदालत ने इस पूरे मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के आदेश पुलिस आयुक्त को दिए हैं और अपने आदेश में कहा है कि समिति का गठन कर 2 माह के भीतर कार्यवाही कर इसकी जानकारी अदालत को भी दी जाए। उनका कहना है कि इस मामले से संबंधित टीवी चैनलों के निदेशकों को पुलिस ने अपनी जांच में निकाल दिया था। जबकि उन्होंने पुलिस की इस कार्यवाही का विरोध भी किया था। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को आदेश दिए हैं कि अगली तारीख पर इस मामले में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडकऱ अश£ील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की पैरवी सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार व उनकी टीम करती आ रही है। Post navigation युवाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने को तेजी से कार्य कर रही केंद्र व प्रदेश सरकार : राव नरबीर माननीय अदालत ने नाबालिक को सुनाई 20 वर्ष की कैद तथा दूसरे आरोपी को उम्र कैद व जुर्माने की सजा।