शहर के हालात बदतर नप से अपेक्षा बेकार: राव सुखविंदर

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। हल्की बरसात ने ही शहर को गंदे पानी का तालाब बना दिया है। जिस संस्था पर शहर को बचाने का जिम्मा है, उस नगरपरिषद के कार्यकारी अधिकारी के कार्यालय में ही पानी भरा हुआ है। ऐसे में लोग परिषद् से क्या आशा करें?

उक्त आरोप वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व अधीक्षण अभियंता राव सुखबिन्द्र सिंह ने शहर के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने के बाद लगाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, लोगों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। लम्बे समय से छलक नाले का निर्माण लटका हुआ है। इस पर जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रूपये खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन यह आज भी अधूरा पड़ा है और इस पर खर्च हुई राशि का कोई लाभ नागरिकों को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि खोदकर छोड़ा गया नाला शनिचर देव मंदिर के पास जानलेवा बना हुआ है, लेकिन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है| सैनी धर्मशाला के पास भी नाला ओवरफ्लो हो गया और पानी कैलाश नगर की तरफ जा रहा है, जिससे लोगों के घरों में पानी घुसने की आशंका बनी हुई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नगरपरिषद् चेयरपर्सन अक्षम हैं और अपना दायित्व पूरा करने में विफल रही हैं। पार्षद नगरपरिषद् की कार्यप्रणाली को लेकर विरोध जता रहे हैं और चेयरपर्सन उनकी मांगों को जायज बताकर समर्थन कर रही हैं। जब वे जायज काम भी नहीं करवा पा रही तो उन्हें अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

राव ने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था चौपट है। बरसात आने के पूर्व सभी नालों और सीवर की सफाई करवाई जानी चाहिए थी, लेकिन मॉनसून सक्रीय होने के बावजूद नालों की सफाई नहीं करवाई गई है, जो लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। शहर में अनेक स्थान ऐसे हैं जहाँ लम्बे अरसे से पानी जमा होता है, लेकिन परिषद् ने कोई उपाय नहीं किया। उन्होंने कहा कि शहर की दुर्दशा पर न विधायक कुछ बोलते हैं और न मंत्री मुँह खोलते हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि नारनौल नगर परिषद् की कार्यप्रणाली, नाले के निर्माण और भुगतान की जांच करवाई जाए तथा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ करवाई की जाए और शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करवाते हुए शहर को डूबने से बचाया जाए।

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